10 March 2023 02:11 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
बीकानेर नगर निगम में मेयर और आयुक्त के बीच चल रहे विवाद पर सरकार की भी नजर है। सीएम अशाेक गहलाेत एक मंत्री के समक्ष नाराजगी जता चुके हैं। हैरत की बात ये है कि प्रदेश में बीकानेर ऐसा निगम है जहां तीन साल में 13 आयुक्त बदले गए, लेकिन मेयर सुशीला कंवर की ज्यादातर से बनी ही नहीं।
सवाल ये है कि आखिर बीकानेर निगम में ऐसा क्या है जो आयुक्त ज्यादा दिन तक टिक ही नहीं पाते। मौजूदा कार्यकाल गोपालराम विरदा का चल रहा है। यूं तो प्रदीप गवांडे का कार्यकाल भी रहा, लेकिन उनके कार्यकाल में निगम चुनाव हुए थे। चुनाव बाद उनका तबादला हाे गया। पट्टों को लेकर सबसे विवादित बीकानेर रहा। प्रदेश के सभी निगमों में सबसे कम पट्टे यहां बने। बोर्ड बनते ही मेयर का प्रदीप गवांडे से कमेटियों को लेकर विवाद हो गया। फिर खुशाल यादव के कार्यकाल में गाैशाला काे लेकर बड़ा विवाद हुआ।
मामला पुलिस तक पहुंच गया था। विवाद पंकज शर्मा से भी रहा, लेकिन वाे थम गया लेकिन गाेपालराम बिरदा से विवाद पूरे प्रदेश में छा गया है। आयुक्त के अलावा निगम सचिव से हुअा हालिया विवाद भी चर्चा का विषय बना हुआ है। जानकाराें का कहना है कि मेयर के पारिवारिक हस्तक्षेप के कारण विवाद हुआ।
विवादों से मेयर को भी नुकसान
मेयर और आयुक्त के बीच हुए विवाद का नुकसान शहर काे ताे हुआ ही, लेकिन मेयर काे व्यक्तिगत भी हुआ। मेयर काे शुरुआती दाैर में पूर्व विधानसभा से भाजपा से प्रबल दावेदार के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन निगम में आए दिन हाे रहे विवाद से उनकी छवि विवादित हो गई। हालांकि बार-बार निगम आयुक्त बदलने, आयुक्त काे सत्ताधारी पार्टी के नेताओं का संरक्षण हाेने से सबसे बड़ा नुकसान कांग्रेस काे हुआ है।
तीन साल में इन आयुक्तों से हुआ मेयर का विवाद
प्रदीप गवांडे : मई 2018 से फरवरी 2020
प्रदीप गवांडे और मेयर सुशीला कंवर ने साथ में तीन महीने ही काम किया। शुरूआती में दाैर में ही कमेटियाें के गठन में प्राेसीडिंग में देरी हुई। इसी मुद्दे काे लेकर मेयर-आयुक्त के बीच विवाद हुआ और कमेटियाें का मामला अब तक न्यायालय में है।
डाॅ. खुशाल : 18 फरवरी से 3 जुलाई 2020
आईएएस डाॅ. खुशाल यादव और मेयर सुशीला कंवर के बीच काफी विवाद हुआ था। मामला गाैशाला के भुगतान काे लेकर उठा। आयुक्त गाैशाला का भुगतान करने जा रहे थे। मेयर ने कहा, गाय मरी हैं। कांग्रेस पार्षदाें ने मुद्दा उठाया था इसलिए मेयर ने जांच कराने काे कहा। यहां से दाेनाें के बीच तनाव शुरू हुआ। हालात ये हाे गए थे कि आयुक्त के कक्ष में ही बहस और गरमागरमी हाे गई। सिर्फ पांच महीने ही यादव यहां आयुक्त रहे। उनका भी यहां से स्थानांतरण हो गया।
पंकज शर्मा : 27 जुलाई से 25 अप्रैल 2021
एएच गाैरी के अतिरिक्त संभागीय आयुक्त बनने के बाद वापस उपायुक्त पंकज शर्मा काे आयुक्त का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया। इस दाैरान मेयर और पंकज के बीच कुछ मुद्दाें और पट्टाें काे लेकर गर्मागर्मी हाे गई थी, लेकिन मामला बढ़े उससे पहले ही दाेनाें पक्षाें ने आपस में मामला शांत कर लिया।
गाेपालराम : 27 अप्रैल से 15 दिसंबर 22
अप्रैल में गाेपालराम बिरदा यहां आए ताे शुरूआत दाैर में ही स्वास्थ्य अधिकारी अशाेक व्यास काे लेकर मेयर और उनमें ठन गई। कई मुद्दों पर विवाद इतना बढ़ा कि मेयर धरने पर बैठ गईं। दबाव में कुछ दिन के लिए बिरदा काे छुट्टी पर भेजा गया। बाद में व्यापारी के साथ कथित मारपीट मामले में विरदा निलंबित कर दिए गए। 24 फरवरी काे बिरदा दोबारा निगम आयुक्त बने। इसके बाद मेयर से कई मुद्दों पर उनका विवाद चल रहा है।
विवाद न हो इसलिए मैं रबर स्टांप बनकर रहूं क्या : मेयर
नगर निगम के ज्यादातर आयुक्ताें से आपका विवाद हुआ। ऐसा आखिर क्यों हुआ?
सवाल ये है कि विवाद क्याें हुआ। गाैशाला की 4400 गायाें में 4000 गाय मर गई और आयुक्त उसका भुगतान कर रहे थे। हमने कहा, जांच हाे। इसे अगर विवाद कहते हैं ताे काेई कुछ भी कहे। माैजूदा आयुक्त से कहा, स्वास्थ्य अधिकारी ऐसा लगे जाे काम करे। माैजूदा एचओ के खिलाफ जांच हुई। जांच में गंभीर आराेप हैं।
विवादाें से आपका नुकसान हाे रहा ?
मैं मानती हूं कि विवादाें से शहर का नुकसान हाे रहा है। गलत हाेगा ताे मैं बाेलूंगी। मैं अभी भी कह रही हूं कि 69-ए में 390 पट्टे बने हैं। आयुक्त ने लिस्ट 4000 की भेजी है। सरकार जांच कर ले। एक अधिकारी पूरी सरकार काे गुमराह कर रहा है। ऊपर से उसे मंत्री संरक्षण दे रहे हैं।
आपके कार्यकाल में 13 आयुक्त बदल गए। इसे कैसे देखती हैं ?
सीएम इतनी बार बीकानेर आए, लेकिन किसी मंत्री ने बात नहीं रखी। हैरानी की बात ये है कि पट्टा अभियान फेल हाेने पर सीएम ने नाराजगी जताई। तब आईएएस अभिषेक खन्ना काे लगाया। खन्ना ने शानदार काम शुरू किया लेकिन ऊपर से एक फाेन आया और खन्ना काे कहा गया कि मेयर काे इग्नाेर कराे। सिर्फ एक नेता की हाजिरी नहीं लगाई इसलिए हटा दिया गया। विवाद ना हाे इसलिए मैं रबर स्टांप बनकर रहूं क्या?
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
बीकानेर नगर निगम में मेयर और आयुक्त के बीच चल रहे विवाद पर सरकार की भी नजर है। सीएम अशाेक गहलाेत एक मंत्री के समक्ष नाराजगी जता चुके हैं। हैरत की बात ये है कि प्रदेश में बीकानेर ऐसा निगम है जहां तीन साल में 13 आयुक्त बदले गए, लेकिन मेयर सुशीला कंवर की ज्यादातर से बनी ही नहीं।
सवाल ये है कि आखिर बीकानेर निगम में ऐसा क्या है जो आयुक्त ज्यादा दिन तक टिक ही नहीं पाते। मौजूदा कार्यकाल गोपालराम विरदा का चल रहा है। यूं तो प्रदीप गवांडे का कार्यकाल भी रहा, लेकिन उनके कार्यकाल में निगम चुनाव हुए थे। चुनाव बाद उनका तबादला हाे गया। पट्टों को लेकर सबसे विवादित बीकानेर रहा। प्रदेश के सभी निगमों में सबसे कम पट्टे यहां बने। बोर्ड बनते ही मेयर का प्रदीप गवांडे से कमेटियों को लेकर विवाद हो गया। फिर खुशाल यादव के कार्यकाल में गाैशाला काे लेकर बड़ा विवाद हुआ।
मामला पुलिस तक पहुंच गया था। विवाद पंकज शर्मा से भी रहा, लेकिन वाे थम गया लेकिन गाेपालराम बिरदा से विवाद पूरे प्रदेश में छा गया है। आयुक्त के अलावा निगम सचिव से हुअा हालिया विवाद भी चर्चा का विषय बना हुआ है। जानकाराें का कहना है कि मेयर के पारिवारिक हस्तक्षेप के कारण विवाद हुआ।
विवादों से मेयर को भी नुकसान
मेयर और आयुक्त के बीच हुए विवाद का नुकसान शहर काे ताे हुआ ही, लेकिन मेयर काे व्यक्तिगत भी हुआ। मेयर काे शुरुआती दाैर में पूर्व विधानसभा से भाजपा से प्रबल दावेदार के रूप में देखा जा रहा था, लेकिन निगम में आए दिन हाे रहे विवाद से उनकी छवि विवादित हो गई। हालांकि बार-बार निगम आयुक्त बदलने, आयुक्त काे सत्ताधारी पार्टी के नेताओं का संरक्षण हाेने से सबसे बड़ा नुकसान कांग्रेस काे हुआ है।
तीन साल में इन आयुक्तों से हुआ मेयर का विवाद
प्रदीप गवांडे : मई 2018 से फरवरी 2020
प्रदीप गवांडे और मेयर सुशीला कंवर ने साथ में तीन महीने ही काम किया। शुरूआती में दाैर में ही कमेटियाें के गठन में प्राेसीडिंग में देरी हुई। इसी मुद्दे काे लेकर मेयर-आयुक्त के बीच विवाद हुआ और कमेटियाें का मामला अब तक न्यायालय में है।
डाॅ. खुशाल : 18 फरवरी से 3 जुलाई 2020
आईएएस डाॅ. खुशाल यादव और मेयर सुशीला कंवर के बीच काफी विवाद हुआ था। मामला गाैशाला के भुगतान काे लेकर उठा। आयुक्त गाैशाला का भुगतान करने जा रहे थे। मेयर ने कहा, गाय मरी हैं। कांग्रेस पार्षदाें ने मुद्दा उठाया था इसलिए मेयर ने जांच कराने काे कहा। यहां से दाेनाें के बीच तनाव शुरू हुआ। हालात ये हाे गए थे कि आयुक्त के कक्ष में ही बहस और गरमागरमी हाे गई। सिर्फ पांच महीने ही यादव यहां आयुक्त रहे। उनका भी यहां से स्थानांतरण हो गया।
पंकज शर्मा : 27 जुलाई से 25 अप्रैल 2021
एएच गाैरी के अतिरिक्त संभागीय आयुक्त बनने के बाद वापस उपायुक्त पंकज शर्मा काे आयुक्त का अतिरिक्त कार्यभार दिया गया। इस दाैरान मेयर और पंकज के बीच कुछ मुद्दाें और पट्टाें काे लेकर गर्मागर्मी हाे गई थी, लेकिन मामला बढ़े उससे पहले ही दाेनाें पक्षाें ने आपस में मामला शांत कर लिया।
गाेपालराम : 27 अप्रैल से 15 दिसंबर 22
अप्रैल में गाेपालराम बिरदा यहां आए ताे शुरूआत दाैर में ही स्वास्थ्य अधिकारी अशाेक व्यास काे लेकर मेयर और उनमें ठन गई। कई मुद्दों पर विवाद इतना बढ़ा कि मेयर धरने पर बैठ गईं। दबाव में कुछ दिन के लिए बिरदा काे छुट्टी पर भेजा गया। बाद में व्यापारी के साथ कथित मारपीट मामले में विरदा निलंबित कर दिए गए। 24 फरवरी काे बिरदा दोबारा निगम आयुक्त बने। इसके बाद मेयर से कई मुद्दों पर उनका विवाद चल रहा है।
विवाद न हो इसलिए मैं रबर स्टांप बनकर रहूं क्या : मेयर
नगर निगम के ज्यादातर आयुक्ताें से आपका विवाद हुआ। ऐसा आखिर क्यों हुआ?
सवाल ये है कि विवाद क्याें हुआ। गाैशाला की 4400 गायाें में 4000 गाय मर गई और आयुक्त उसका भुगतान कर रहे थे। हमने कहा, जांच हाे। इसे अगर विवाद कहते हैं ताे काेई कुछ भी कहे। माैजूदा आयुक्त से कहा, स्वास्थ्य अधिकारी ऐसा लगे जाे काम करे। माैजूदा एचओ के खिलाफ जांच हुई। जांच में गंभीर आराेप हैं।
विवादाें से आपका नुकसान हाे रहा ?
मैं मानती हूं कि विवादाें से शहर का नुकसान हाे रहा है। गलत हाेगा ताे मैं बाेलूंगी। मैं अभी भी कह रही हूं कि 69-ए में 390 पट्टे बने हैं। आयुक्त ने लिस्ट 4000 की भेजी है। सरकार जांच कर ले। एक अधिकारी पूरी सरकार काे गुमराह कर रहा है। ऊपर से उसे मंत्री संरक्षण दे रहे हैं।
आपके कार्यकाल में 13 आयुक्त बदल गए। इसे कैसे देखती हैं ?
सीएम इतनी बार बीकानेर आए, लेकिन किसी मंत्री ने बात नहीं रखी। हैरानी की बात ये है कि पट्टा अभियान फेल हाेने पर सीएम ने नाराजगी जताई। तब आईएएस अभिषेक खन्ना काे लगाया। खन्ना ने शानदार काम शुरू किया लेकिन ऊपर से एक फाेन आया और खन्ना काे कहा गया कि मेयर काे इग्नाेर कराे। सिर्फ एक नेता की हाजिरी नहीं लगाई इसलिए हटा दिया गया। विवाद ना हाे इसलिए मैं रबर स्टांप बनकर रहूं क्या?
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