15 March 2022 04:43 PM
जोग संजोग टाइम्स ,बीकानेर
हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं-कर्नाटक हाईकोर्ट।
क्या महानगरों और विदेश में पढ़ने वाली मुस्लिम छात्राएं क्लास में हिजाब पहनकर बैठती हैं?
हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध हिजाब का मामला अब सुप्रीम कोर्ट जाएगा।
14 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यी पीठ ने कहा है कि हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने उन सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया जिसमें मुस्लिम छात्राओं को स्कूल कॉलेज की कक्षाओं में हिजाब पहन कर बैठने की अनुमति देने की मांग की गई थी। हिजाब इस्लाम धर्म का अनिवार्य हिस्सा है या नहीं इस पर कोर्ट ने धर्म के जानकारों की भी राय ली थी। ऐसी धार्मिक विचारों के अध्ययन के बाद ही हाईकोर्ट का मानना रहा कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। कोर्ट ने यह भी माना कि संबंधित कॉलेज प्रबंधन ने कक्षा में हिजाब पहनने पर जो रोक का आदेश दिया है, वह भी सही हे। स्टूडेंट को स्कूल कॉलेज की यूनिफॉर्म कोड का पालन करना ही पड़ेगा। मालूम हो कि जनवरी में कर्नाटक के एक कॉलेज ने जब से हिजाब पर प्रतिबंध लगाया तभी से कर्नाटक का माहौल गर्म है। हाईकोर्ट के फैसले को देखते हुए कर्नाटक के कई शहरों में धारा 144 लागू की गई है। हाईकोर्ट ने भले ही याचिकाओं को खारिज कर दिया हो, लेकिन फैसले से असंतुष्ट वर्ग अब सुप्रीम कोर्ट जाएगा। याचिकाकर्ताओं का मानना है कि स्कूल कॉलेज की कक्षाओं में हिजाब पहन कर बैठना मुस्लिम छात्राओं का संवैधानिक अधिकार है। अधिकार है क्योंकि संविधान में हमें अपने धर्म के अनुरूप रहने की इजाजत दी है। मुस्लिम छात्राओं को अपने धर्म के नियमों की पालना करने से कोई नहीं रोक सकता है।
महानगरों और विदेशों में क्या?:
ऐसा नहीं कि मुस्लिम लड़कियां सिर्फ कर्नाटक के स्कूल कॉलेजों में ही पढ़ती है। मुस्लिम लड़कियां जयपुर, दिल्ली, लखनऊ, पटना, मुंबई, कोलकाता, भोपाल, अहमदाबाद, बैंगलोर, इंदौर, चेन्नई, अजमेर जैसे बड़े शहरों और विदेशों में भी पढ़ती है। सवाल उठता है कि बड़े शहरों और विदेश में पढ़ने वाली मुस्लिम लड़कियां क्या क्लास में हिजाब पहनकर ही बैठते हैं? इस सवाल का जवाब न में ही आएगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि इस्लाम में धर्म का विशेष महत्व है, इसलिए अनेक मुस्लिम परिवार अपनी बच्चियों को मदरसों में मिलने वाली तालीम दिलवाते हैं। मदरसों में पूरी तरह इस्लाम धर्म का पालन किया जाता है। ऐसे बहुत से मुस्लिम परिवार हैं जो बच्चियों को सिर्फ मदरसों से ही शिक्षा दिलवाते हैं, लेकिन प्रगतिशील और उच्च शिक्षा दिलवाने वाले परिवार अपनी बच्चियों को बड़े शहरों और विदेशों में पढऩे के लिए भेजते हैं। शायद ही कभी किसी मुस्लिम छात्रा ने कक्षा में हिजाब पहन कर बैठने की जिद की हो। ऐसी अनेक मुस्लिम छात्राएं हैं जो अपने घर से हिजाब पहन कर निकलती है लेकिन कक्षा में प्रवेश से पहले हिजाब को उतार दिया जाता है। हिजाब पहन कर स्कूल कॉलेज आने पर कभी कोई ऐतराज नहीं हुआ । शिक्षा ग्रहण के समक्ष समानता बनी रहे इसलिए यूनिफार्म का नियम लागू किया है।
जोग संजोग टाइम्स ,बीकानेर
हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं-कर्नाटक हाईकोर्ट।
क्या महानगरों और विदेश में पढ़ने वाली मुस्लिम छात्राएं क्लास में हिजाब पहनकर बैठती हैं?
हाईकोर्ट के फैसले के विरुद्ध हिजाब का मामला अब सुप्रीम कोर्ट जाएगा।
14 मार्च को कर्नाटक हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस ऋतुराज अवस्थी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यी पीठ ने कहा है कि हिजाब पहनना इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। इसके साथ ही कोर्ट ने उन सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया जिसमें मुस्लिम छात्राओं को स्कूल कॉलेज की कक्षाओं में हिजाब पहन कर बैठने की अनुमति देने की मांग की गई थी। हिजाब इस्लाम धर्म का अनिवार्य हिस्सा है या नहीं इस पर कोर्ट ने धर्म के जानकारों की भी राय ली थी। ऐसी धार्मिक विचारों के अध्ययन के बाद ही हाईकोर्ट का मानना रहा कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य हिस्सा नहीं है। कोर्ट ने यह भी माना कि संबंधित कॉलेज प्रबंधन ने कक्षा में हिजाब पहनने पर जो रोक का आदेश दिया है, वह भी सही हे। स्टूडेंट को स्कूल कॉलेज की यूनिफॉर्म कोड का पालन करना ही पड़ेगा। मालूम हो कि जनवरी में कर्नाटक के एक कॉलेज ने जब से हिजाब पर प्रतिबंध लगाया तभी से कर्नाटक का माहौल गर्म है। हाईकोर्ट के फैसले को देखते हुए कर्नाटक के कई शहरों में धारा 144 लागू की गई है। हाईकोर्ट ने भले ही याचिकाओं को खारिज कर दिया हो, लेकिन फैसले से असंतुष्ट वर्ग अब सुप्रीम कोर्ट जाएगा। याचिकाकर्ताओं का मानना है कि स्कूल कॉलेज की कक्षाओं में हिजाब पहन कर बैठना मुस्लिम छात्राओं का संवैधानिक अधिकार है। अधिकार है क्योंकि संविधान में हमें अपने धर्म के अनुरूप रहने की इजाजत दी है। मुस्लिम छात्राओं को अपने धर्म के नियमों की पालना करने से कोई नहीं रोक सकता है।
महानगरों और विदेशों में क्या?:
ऐसा नहीं कि मुस्लिम लड़कियां सिर्फ कर्नाटक के स्कूल कॉलेजों में ही पढ़ती है। मुस्लिम लड़कियां जयपुर, दिल्ली, लखनऊ, पटना, मुंबई, कोलकाता, भोपाल, अहमदाबाद, बैंगलोर, इंदौर, चेन्नई, अजमेर जैसे बड़े शहरों और विदेशों में भी पढ़ती है। सवाल उठता है कि बड़े शहरों और विदेश में पढ़ने वाली मुस्लिम लड़कियां क्या क्लास में हिजाब पहनकर ही बैठते हैं? इस सवाल का जवाब न में ही आएगा। इसमें कोई दो राय नहीं कि इस्लाम में धर्म का विशेष महत्व है, इसलिए अनेक मुस्लिम परिवार अपनी बच्चियों को मदरसों में मिलने वाली तालीम दिलवाते हैं। मदरसों में पूरी तरह इस्लाम धर्म का पालन किया जाता है। ऐसे बहुत से मुस्लिम परिवार हैं जो बच्चियों को सिर्फ मदरसों से ही शिक्षा दिलवाते हैं, लेकिन प्रगतिशील और उच्च शिक्षा दिलवाने वाले परिवार अपनी बच्चियों को बड़े शहरों और विदेशों में पढऩे के लिए भेजते हैं। शायद ही कभी किसी मुस्लिम छात्रा ने कक्षा में हिजाब पहन कर बैठने की जिद की हो। ऐसी अनेक मुस्लिम छात्राएं हैं जो अपने घर से हिजाब पहन कर निकलती है लेकिन कक्षा में प्रवेश से पहले हिजाब को उतार दिया जाता है। हिजाब पहन कर स्कूल कॉलेज आने पर कभी कोई ऐतराज नहीं हुआ । शिक्षा ग्रहण के समक्ष समानता बनी रहे इसलिए यूनिफार्म का नियम लागू किया है।
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