02 June 2022 12:48 PM
जोग संजोग टाइम्स,
आज यानी 30 मई को पूरा देश हिंदी पत्रकारिता दिवस मना रहा है. पत्रकारिता दिवस को मनाने के कारणों को जानने के बाद यह दिवस हिंदी भाषा के प्रेमियों के साथ-साथ हम सभी भारत के सपूतों के लिए अहम् हो जाता है. आज के ही दिन 30 मई, 1826 को हिंदी भाषा के प्रथम अखबार उदन्त मार्तंड का प्रकाशन शुरू हुआ था. इसकी शुरुआत एक साप्ताहिक पत्र के रूप में की गयी थी. सप्ताह में यह मंगलवार के दिन छपता था. वैसे तो भाषा के लिहाज से देखें तो यह दिन पत्रकारिता के क्षेत्र में हिंदी भाषा की पहली उपस्थिति दर्ज करने का दिवस था. लेकिन अगर अपने समझ को विस्तृत आयाम दें, तो यह दिन अंग्रेजी शासन काल में हिंदी को क्रांति के संचार की भाषा बनाने की पहली और ऐतिहासिक पहल की शुरुआत का दिन था. उदन्त मार्तंड में खड़ी बोली और ब्रज भाषा का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता था. इस अखबार का प्रकाशन तत्कालीन कलकत्ता शहर से किया जाता था. पंडित जुगल किशोर शुक्ल स्वयं ही इसके प्रकाशक और संपादक थे. मूल रूप से कानपुर के रहने वाले जुगल किशोर शुक्ल वकील भी थे.
यह ब्रिटिश काल का वह समय था जब तत्कालीन हिन्दुस्तान में दूर दूर तक मात्र अंग्रेजी, फ़ारसी, उर्दू एवं बांग्ला भाषा में केवल अखबार छपते थे, हिंदी भाषा का पहली बार किसी ने पत्रकारिता से परिचय कराया तो वह थे देश की राजधानी “कलकत्ता” में “कानपुर” के रहने वाले वकील पण्डित जुगल किशोर शुक्ल जी. जिन्होंनें साहस भरे क्रांतिकारी कदम उठाते हुए अंग्रेजों की नाक के नीचे हिन्दी पत्रकारिता के इतिहास की नींव रखी |
हिंदी भाषा के अखबार उदन्त मार्तण्ड के पहले अंक की 500 प्रतियां छापी गयी थीं, वैसे प्रारंभ में इस अखबार को ज्यादा पाठक नहीं मिले थे. ऐसा कलकत्ता में हिंदी अखबार के पाठक न के बराबर होने के कारण था. इसलिए इसे डाक से अन्य राज्यों जहाँ हिंदी के ज्यादा पाठक थे, वहां भेजना होता था
हिंदी भाषा के अखबार उदन्त मार्तण्ड के पहले अंक की 500 प्रतियां छापी गयी थीं, वैसे प्रारंभ में इस अखबार को ज्यादा पाठक नहीं मिले थे. ऐसा कलकत्ता में हिंदी अखबार के पाठक न के बराबर होने के कारण था. इसलिए इसे डाक से अन्य राज्यों जहाँ हिंदी के ज्यादा पाठक थे, वहां भेजना होता था. अखबार के डाक से भेजने के कारण खर्च भी काफी आ जा रहे थे, इसके समाधान के लिए उस समय के ब्रिटिश से डाक के लागत को कम करने का भी अनुरोध किया गया. लेकिन उस समय की औपनिवेशिक सत्ता ब्रिटिशों ने इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया. जिसके कारण बाद में यह अखबार आर्थिक तंगी का शिकार हो गया और दिसंबर 1827 तक इसकी छपाई को बंद करना पड़ा.
इस अखाबर की वजह से हिंदी भाषा की पहचान पत्रकारिता के भाषा के रूप में बनीं, साथ ही यह अखबार तत्कालीन औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ प्रखर आवाज बनकर सामने आयी. पत्रकारिता की शुरुआत इस अखबार के प्रकाशन के 46 वर्ष पूर्व ही हो चुकी थी, जब 1780 में जेम्स अगस्टस हिकी ने कलकत्ता जनरल एडवाइजर नाम से एक अंग्रेजी अखबार का प्रकाशन शुरू किया. यह भारत का पहला अखबार था, जिसके 4 दशक बाद 30 मई के दिन हिंदी भाषा का पहला अखबार उदन्त मार्तंड अस्तित्व में आया. इसी वजह से इस दिन को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है
जोग संजोग टाइम्स,
आज यानी 30 मई को पूरा देश हिंदी पत्रकारिता दिवस मना रहा है. पत्रकारिता दिवस को मनाने के कारणों को जानने के बाद यह दिवस हिंदी भाषा के प्रेमियों के साथ-साथ हम सभी भारत के सपूतों के लिए अहम् हो जाता है. आज के ही दिन 30 मई, 1826 को हिंदी भाषा के प्रथम अखबार उदन्त मार्तंड का प्रकाशन शुरू हुआ था. इसकी शुरुआत एक साप्ताहिक पत्र के रूप में की गयी थी. सप्ताह में यह मंगलवार के दिन छपता था. वैसे तो भाषा के लिहाज से देखें तो यह दिन पत्रकारिता के क्षेत्र में हिंदी भाषा की पहली उपस्थिति दर्ज करने का दिवस था. लेकिन अगर अपने समझ को विस्तृत आयाम दें, तो यह दिन अंग्रेजी शासन काल में हिंदी को क्रांति के संचार की भाषा बनाने की पहली और ऐतिहासिक पहल की शुरुआत का दिन था. उदन्त मार्तंड में खड़ी बोली और ब्रज भाषा का ज्यादा इस्तेमाल किया जाता था. इस अखबार का प्रकाशन तत्कालीन कलकत्ता शहर से किया जाता था. पंडित जुगल किशोर शुक्ल स्वयं ही इसके प्रकाशक और संपादक थे. मूल रूप से कानपुर के रहने वाले जुगल किशोर शुक्ल वकील भी थे.
यह ब्रिटिश काल का वह समय था जब तत्कालीन हिन्दुस्तान में दूर दूर तक मात्र अंग्रेजी, फ़ारसी, उर्दू एवं बांग्ला भाषा में केवल अखबार छपते थे, हिंदी भाषा का पहली बार किसी ने पत्रकारिता से परिचय कराया तो वह थे देश की राजधानी “कलकत्ता” में “कानपुर” के रहने वाले वकील पण्डित जुगल किशोर शुक्ल जी. जिन्होंनें साहस भरे क्रांतिकारी कदम उठाते हुए अंग्रेजों की नाक के नीचे हिन्दी पत्रकारिता के इतिहास की नींव रखी |
हिंदी भाषा के अखबार उदन्त मार्तण्ड के पहले अंक की 500 प्रतियां छापी गयी थीं, वैसे प्रारंभ में इस अखबार को ज्यादा पाठक नहीं मिले थे. ऐसा कलकत्ता में हिंदी अखबार के पाठक न के बराबर होने के कारण था. इसलिए इसे डाक से अन्य राज्यों जहाँ हिंदी के ज्यादा पाठक थे, वहां भेजना होता था
हिंदी भाषा के अखबार उदन्त मार्तण्ड के पहले अंक की 500 प्रतियां छापी गयी थीं, वैसे प्रारंभ में इस अखबार को ज्यादा पाठक नहीं मिले थे. ऐसा कलकत्ता में हिंदी अखबार के पाठक न के बराबर होने के कारण था. इसलिए इसे डाक से अन्य राज्यों जहाँ हिंदी के ज्यादा पाठक थे, वहां भेजना होता था. अखबार के डाक से भेजने के कारण खर्च भी काफी आ जा रहे थे, इसके समाधान के लिए उस समय के ब्रिटिश से डाक के लागत को कम करने का भी अनुरोध किया गया. लेकिन उस समय की औपनिवेशिक सत्ता ब्रिटिशों ने इस अनुरोध को स्वीकार नहीं किया. जिसके कारण बाद में यह अखबार आर्थिक तंगी का शिकार हो गया और दिसंबर 1827 तक इसकी छपाई को बंद करना पड़ा.
इस अखाबर की वजह से हिंदी भाषा की पहचान पत्रकारिता के भाषा के रूप में बनीं, साथ ही यह अखबार तत्कालीन औपनिवेशिक सत्ता के खिलाफ प्रखर आवाज बनकर सामने आयी. पत्रकारिता की शुरुआत इस अखबार के प्रकाशन के 46 वर्ष पूर्व ही हो चुकी थी, जब 1780 में जेम्स अगस्टस हिकी ने कलकत्ता जनरल एडवाइजर नाम से एक अंग्रेजी अखबार का प्रकाशन शुरू किया. यह भारत का पहला अखबार था, जिसके 4 दशक बाद 30 मई के दिन हिंदी भाषा का पहला अखबार उदन्त मार्तंड अस्तित्व में आया. इसी वजह से इस दिन को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है
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