08 February 2023 11:56 AM

जोग संजोग टाइम्स बीकानेर . फागोत्सव के तहत द्वारकाधीश मंदिर में पहले राल के दर्शन मंगलवार शाम काे गाेवर्धन चाैक में शाम साढ़े सात बजे हुए। राल दर्शन के दौरान गाेवर्द्धन चाैक में दर्शनार्थियों की अच्छी खासी भीड़ रही। श्रीद्वारिकाधीश के समक्ष परंपरा अनुसार राल के दर्शन की परंपरा निभाई जाती है।गत साल से राल के दर्शन गोवर्धन चौक में आम श्रद्धालुओं के लिए शुरू किए। गोवर्धन चौक में ही राल के बाद गुलाल भी उड़ाई जाती है। इसके बाद मंदिर के दर्शन खोले गए। राल एक विशेष प्रकार की औषधी हाेती है, जिसे जलती हुई मशाल पर कपड़े में भरकर ग पर फेंका जाता है।जिससे आग का बड़ा सा गुबार निकलता है। इस आग के गुबार से ताप महसूस हाेता है। ऐसा माना जाता है, कि इस ताप से सर्दी काे प्रभाव काे भी कम किया जाता है। फागोत्सव के तहत द्वारकाधीश मंदिर में राल व गुलाल के दर्शन 6 से 7 बार हाेते है
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर . फागोत्सव के तहत द्वारकाधीश मंदिर में पहले राल के दर्शन मंगलवार शाम काे गाेवर्धन चाैक में शाम साढ़े सात बजे हुए। राल दर्शन के दौरान गाेवर्द्धन चाैक में दर्शनार्थियों की अच्छी खासी भीड़ रही। श्रीद्वारिकाधीश के समक्ष परंपरा अनुसार राल के दर्शन की परंपरा निभाई जाती है।गत साल से राल के दर्शन गोवर्धन चौक में आम श्रद्धालुओं के लिए शुरू किए। गोवर्धन चौक में ही राल के बाद गुलाल भी उड़ाई जाती है। इसके बाद मंदिर के दर्शन खोले गए। राल एक विशेष प्रकार की औषधी हाेती है, जिसे जलती हुई मशाल पर कपड़े में भरकर ग पर फेंका जाता है।जिससे आग का बड़ा सा गुबार निकलता है। इस आग के गुबार से ताप महसूस हाेता है। ऐसा माना जाता है, कि इस ताप से सर्दी काे प्रभाव काे भी कम किया जाता है। फागोत्सव के तहत द्वारकाधीश मंदिर में राल व गुलाल के दर्शन 6 से 7 बार हाेते है
RELATED ARTICLES
27 July 2022 12:45 PM
© Copyright 2021-2025, All Rights Reserved by Jogsanjog Times| Designed by amoadvisor.com