18 April 2022 12:11 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर
मिली जानकारी के अनुसार धुनिक समय में हम चाहे जितना भी आगे निकल जाएं लेकिन आज भी रूढ़ीवादी (Bikaner community trying to curb the evil in society) परंपराओं और कुरीतियां देखने को मिल ही जाती हैं. चाहे बात किसी भी धर्म, समुदाय और समाज की हो सामाजिक कुरीतियां रूढ़िवादी परंपराओं के नाम पर अपनी जगह बनाए हुए हैं. हालांकि अब धीरे-धीरे बदलते समय में काफी बदलाव हुआ है. ऐसा ही एक बदलाव बीकानेर में भी देखने को मिला है, जहां मुस्लिम समुदाय के कुरैशी समाज में मृत्यु भोज को बंद कर दिया और उन पैसों से एक धर्मस्थल बनाया गया. बात है बीकानेर के मोहल्ला व्यापारियान की. जहां सालों से रह रहे कुरैशी समाज के लोगों ने करीब (Unique initiative in Bikaner) 10 से 12 साल पहले मृत्यु भोज को बंद करने की शुरुआत की थी. आज पूरे समाज में भोज का आयोजन नहीं होता है, इसके बदले मृत्यु भोज में लगने वाले खर्च को लोग अपनी इच्छा अनुसार मस्जिद में जमा करा देते हैं. धीरे-धीरे उन पैसे से अब समाज के लोगों ने मस्जिद का पुनर्निर्माण करवा दिया है. 12 साल पहले हुई थी शुरुआत: कुरैशी समाज से ही ताल्लुक रखने वाले बीकानेर के पूर्व महापौर और नगर विकास न्यास के पूर्व चेयरमैन हाजी मकसूद अहमद कहते हैं कि एक बार बीकानेर में मुस्लिम समाज की बैठक हुई. बैठक में समाज के सभी वर्गों के लोग शामिल हुए और इस दौरान उस वक्त इमाम मरहूम गुलाम अहमद फरीदी साहब ने सबके सामने एक अपील करते हुए शादी समारोह में डीजे आतिशबाजी के साथ ही मृत्यु पर होने वाले खाने को बंद करने की बात कही. इस बात का व्यापक असर हुआ और कई जगहों पर शादियों में डीजे बंद हो गए, फालतू खर्च भी बंद हो गए. उन्होंने कहा कि उस वक्त मोहल्ला व्यापारियान में कुरैशी समाज के एक व्यक्ति ने मृत्यु भोज पर खाना नहीं करने की बात कहते हुए, मस्जिद में वो राशि भेंट कर दी थी. तब से समाज में मौजूद लोगों ने बैठकर इस बारे में चर्चा की और ये नई व्यवस्था शुरू हो गई.
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर
मिली जानकारी के अनुसार धुनिक समय में हम चाहे जितना भी आगे निकल जाएं लेकिन आज भी रूढ़ीवादी (Bikaner community trying to curb the evil in society) परंपराओं और कुरीतियां देखने को मिल ही जाती हैं. चाहे बात किसी भी धर्म, समुदाय और समाज की हो सामाजिक कुरीतियां रूढ़िवादी परंपराओं के नाम पर अपनी जगह बनाए हुए हैं. हालांकि अब धीरे-धीरे बदलते समय में काफी बदलाव हुआ है. ऐसा ही एक बदलाव बीकानेर में भी देखने को मिला है, जहां मुस्लिम समुदाय के कुरैशी समाज में मृत्यु भोज को बंद कर दिया और उन पैसों से एक धर्मस्थल बनाया गया. बात है बीकानेर के मोहल्ला व्यापारियान की. जहां सालों से रह रहे कुरैशी समाज के लोगों ने करीब (Unique initiative in Bikaner) 10 से 12 साल पहले मृत्यु भोज को बंद करने की शुरुआत की थी. आज पूरे समाज में भोज का आयोजन नहीं होता है, इसके बदले मृत्यु भोज में लगने वाले खर्च को लोग अपनी इच्छा अनुसार मस्जिद में जमा करा देते हैं. धीरे-धीरे उन पैसे से अब समाज के लोगों ने मस्जिद का पुनर्निर्माण करवा दिया है. 12 साल पहले हुई थी शुरुआत: कुरैशी समाज से ही ताल्लुक रखने वाले बीकानेर के पूर्व महापौर और नगर विकास न्यास के पूर्व चेयरमैन हाजी मकसूद अहमद कहते हैं कि एक बार बीकानेर में मुस्लिम समाज की बैठक हुई. बैठक में समाज के सभी वर्गों के लोग शामिल हुए और इस दौरान उस वक्त इमाम मरहूम गुलाम अहमद फरीदी साहब ने सबके सामने एक अपील करते हुए शादी समारोह में डीजे आतिशबाजी के साथ ही मृत्यु पर होने वाले खाने को बंद करने की बात कही. इस बात का व्यापक असर हुआ और कई जगहों पर शादियों में डीजे बंद हो गए, फालतू खर्च भी बंद हो गए. उन्होंने कहा कि उस वक्त मोहल्ला व्यापारियान में कुरैशी समाज के एक व्यक्ति ने मृत्यु भोज पर खाना नहीं करने की बात कहते हुए, मस्जिद में वो राशि भेंट कर दी थी. तब से समाज में मौजूद लोगों ने बैठकर इस बारे में चर्चा की और ये नई व्यवस्था शुरू हो गई.
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