06 August 2021 03:42 PM
आईपीसी की धारा 375 में संशोधन के बाद 15 वर्ष से अधिक आयु की पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता है।
इलाहाबाद, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि आईपीसी की धारा 375 में संशोधन के बाद 15 वर्ष से अधिक आयु की पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता है। इसी के साथ कोर्ट ने दहेज के लिए पत्नी को प्रताड़ित करने और आप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के आरोपी मुरादाबाद के खुशाबे अली की जमानत मंजूर कर ली है।
यह आदेश न्यायमूर्ति मो. असलम ने खुशाबे अली के अधिवक्ता केशरीनाथ त्रिपाठी व सरकारी वकील को सुनकर दिया है। खुशाबे अली के खिलाफ उसकी बीवी ने आठ सितंबर 2020 को मुरादाबाद के भोजपुर थाने में दहेज उत्पीड़न, मारपीट करने और धमकी देने के अलावा आप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का मुकदमा दर्ज कराया था।
याची के अधिवक्ता केशरीनाथ त्रिपाठी का कहना था कि मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए बयान में पीड़िता ने आप्राकृतिक यौन संबंध बनाने व याची के भाइयों द्वारा दुष्कर्म करने की बात से इनकार किया है। साथ ही आईपीसी की धारा 375 में वर्ष 2013 में किए गए संशोधन के बाद 15 वर्ष की आयु से अधिक की पत्नी से यौन संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता है।
सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि धारा 375 में कई संशोधन किए गए हैं। संशोधित धारा की उपधारा दो में यदि पत्नी 15 वर्ष से कम आयु की नहीं है तो उसके साथ यौन संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं माना जाएगा। कोर्ट ने याची की जमानत मंजूर करते हुए शर्तों के साथ उसे रिहा करने का आदेश दिया है।
आईपीसी की धारा 375 में संशोधन के बाद 15 वर्ष से अधिक आयु की पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता है।
इलाहाबाद, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि आईपीसी की धारा 375 में संशोधन के बाद 15 वर्ष से अधिक आयु की पत्नी के साथ यौन संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता है। इसी के साथ कोर्ट ने दहेज के लिए पत्नी को प्रताड़ित करने और आप्राकृतिक यौन संबंध बनाने के आरोपी मुरादाबाद के खुशाबे अली की जमानत मंजूर कर ली है।
यह आदेश न्यायमूर्ति मो. असलम ने खुशाबे अली के अधिवक्ता केशरीनाथ त्रिपाठी व सरकारी वकील को सुनकर दिया है। खुशाबे अली के खिलाफ उसकी बीवी ने आठ सितंबर 2020 को मुरादाबाद के भोजपुर थाने में दहेज उत्पीड़न, मारपीट करने और धमकी देने के अलावा आप्राकृतिक यौन संबंध बनाने का मुकदमा दर्ज कराया था।
याची के अधिवक्ता केशरीनाथ त्रिपाठी का कहना था कि मजिस्ट्रेट के समक्ष दिए बयान में पीड़िता ने आप्राकृतिक यौन संबंध बनाने व याची के भाइयों द्वारा दुष्कर्म करने की बात से इनकार किया है। साथ ही आईपीसी की धारा 375 में वर्ष 2013 में किए गए संशोधन के बाद 15 वर्ष की आयु से अधिक की पत्नी से यौन संबंध बनाना दुष्कर्म की श्रेणी में नहीं आता है।
सुनवाई के बाद कोर्ट ने कहा कि धारा 375 में कई संशोधन किए गए हैं। संशोधित धारा की उपधारा दो में यदि पत्नी 15 वर्ष से कम आयु की नहीं है तो उसके साथ यौन संबंध बनाना दुष्कर्म नहीं माना जाएगा। कोर्ट ने याची की जमानत मंजूर करते हुए शर्तों के साथ उसे रिहा करने का आदेश दिया है।
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