05 December 2022 01:16 PM

जोग संजोग टाइम्स,
धीरेरां के सरपंच प्रतिनिधि लक्ष्मण जांगू की हत्या के 38 महीने बाद हत्या में शामिल ईनामी बदमाश गिरधारी सिंह को पुलिस ने भीलवाड़ा से गिरफ्तार कर लिया है। गिरधारी पर आठ हजार रुपए का इनाम रखा हुआ था। हत्या के बाद कई दिनों तक हंगामा चला लेकिन गिरधारी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया। अब डीएसटी टीम ने भीलवाड़ा पहुंचकर उसे दबोच लिया। मृतक लक्ष्मण जांगू की पत्नी धीरेरां ग्राम पंचायत की सरपंच है।
तीन अक्टूबर 2019 को धीरेरां के सरपंच प्रतिनिधि लक्ष्मण जांगू को गिरधारी सिंह सहित तीन जनों ने मार दिया था। कारोबार में लेनदेन को लेकर इनके बीच झगड़ा हुआ था। इस मामले में दो आरोपी पहले गिरफ्तार हो चुके हैं लेकिन गिरधारी सिंह फरार हो गया। पिछले दिनों उसके भीलवाड़ा में होने की सूचना मिली थी, जिसके बाद बीकानेर पुलिस वहां पहुंची और गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में मुख्य आरोपी सोढ़वाली निवासी मदन सिंह, खियेरां निवासी प्रेम कुलड़िया को पुलिस ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया था।
फरारी में पड़ौसी देशों में पहुंचा
गिरधारी सिंह काफी शातिर दिमाग का निकला। उसने हत्या के बाद फरार होने से काफी समय तक अपने घर से कोई संपर्क नहीं किया। वो नेपाल और भुटान तक चला गया। इसके अलावा उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, पंजाब और बिहार तक घूमता रहा। कहीं मजदूरी करके दिन काटे तो कहीं भूखे रहकर। हाल ही में वो राजस्थान के कई जिलों में घूमता रहा। राजस्थान के जयपुर, जोधपुर, जालौर, सिरोही, उदयपुर, बाड़मेर, पाली नागौर में फरारी काट रहा था। इसी दौरान भीलवाड़ा पहुंच गया, जहां से उसे गिरफ्तार किया गया।
पीछे लगी थी साइबर टीम
उसका पीछा करने के लिए साइबर टीम ने एक साल तक मेहनत की। गिरधारी सिंह के साथ ही उसके परिजनों, मित्रों सहित कई लोगों के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर रखे गए। इन नंबरों पर जब भी किसी नए नंबर से कॉल आता तो वो पुलिस सक्रिय हो जाती। सैकड़ों मोबाइल कॉल को ट्रेस करने के बाद उसके भीलवाड़ा में होने की सूचना मिली।
पुलिसकर्मी भीलवाड़ा में बने लेबर
गिरधारी सिंह को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने कई दिनों तक भीलवाड़ा में डेरा डाले रखा। इस दौरान कुछ कपड़ा फैक्ट्रियों में लेबर के रूप में काम किया। इस दौरान उसकी तलाश होती रही। बीस कपड़ा फैक्ट्रियों में लेबर बनकर काम कर रही पुलिस को आखिरकार गिरधारी सिंह मिल गया।
टारगेट मिला था डीएसटी को
पुलिस अधीक्षक योगेश यादव और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार ने डीएसटी टीम को गिरधारी सिंह की गिरफ्तारी का टारगेट दिया था। काफी मशक्कत के बाद पुलिस उस तक पहुंच सकी। इसमें लूनकरणसर वृताधिकारी नोपाराम ,थानाधिकारी लूनकरणसर चन्द्रजीत व हेड कॉन्स्टेबल दीपक यादव की मुख्य भूमिका रही। दीपक यादव ने ही साइबर सिस्टम के दम पर गिरधारी सिंह को ट्रेस आउट करने में मुख्य भूमिका निभाई।
जोग संजोग टाइम्स,
धीरेरां के सरपंच प्रतिनिधि लक्ष्मण जांगू की हत्या के 38 महीने बाद हत्या में शामिल ईनामी बदमाश गिरधारी सिंह को पुलिस ने भीलवाड़ा से गिरफ्तार कर लिया है। गिरधारी पर आठ हजार रुपए का इनाम रखा हुआ था। हत्या के बाद कई दिनों तक हंगामा चला लेकिन गिरधारी पुलिस की गिरफ्त में नहीं आया। अब डीएसटी टीम ने भीलवाड़ा पहुंचकर उसे दबोच लिया। मृतक लक्ष्मण जांगू की पत्नी धीरेरां ग्राम पंचायत की सरपंच है।
तीन अक्टूबर 2019 को धीरेरां के सरपंच प्रतिनिधि लक्ष्मण जांगू को गिरधारी सिंह सहित तीन जनों ने मार दिया था। कारोबार में लेनदेन को लेकर इनके बीच झगड़ा हुआ था। इस मामले में दो आरोपी पहले गिरफ्तार हो चुके हैं लेकिन गिरधारी सिंह फरार हो गया। पिछले दिनों उसके भीलवाड़ा में होने की सूचना मिली थी, जिसके बाद बीकानेर पुलिस वहां पहुंची और गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में मुख्य आरोपी सोढ़वाली निवासी मदन सिंह, खियेरां निवासी प्रेम कुलड़िया को पुलिस ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया था।
फरारी में पड़ौसी देशों में पहुंचा
गिरधारी सिंह काफी शातिर दिमाग का निकला। उसने हत्या के बाद फरार होने से काफी समय तक अपने घर से कोई संपर्क नहीं किया। वो नेपाल और भुटान तक चला गया। इसके अलावा उत्तरप्रदेश, मध्य प्रदेश, दिल्ली, गुजरात, पंजाब और बिहार तक घूमता रहा। कहीं मजदूरी करके दिन काटे तो कहीं भूखे रहकर। हाल ही में वो राजस्थान के कई जिलों में घूमता रहा। राजस्थान के जयपुर, जोधपुर, जालौर, सिरोही, उदयपुर, बाड़मेर, पाली नागौर में फरारी काट रहा था। इसी दौरान भीलवाड़ा पहुंच गया, जहां से उसे गिरफ्तार किया गया।
पीछे लगी थी साइबर टीम
उसका पीछा करने के लिए साइबर टीम ने एक साल तक मेहनत की। गिरधारी सिंह के साथ ही उसके परिजनों, मित्रों सहित कई लोगों के मोबाइल नंबर सर्विलांस पर रखे गए। इन नंबरों पर जब भी किसी नए नंबर से कॉल आता तो वो पुलिस सक्रिय हो जाती। सैकड़ों मोबाइल कॉल को ट्रेस करने के बाद उसके भीलवाड़ा में होने की सूचना मिली।
पुलिसकर्मी भीलवाड़ा में बने लेबर
गिरधारी सिंह को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस ने कई दिनों तक भीलवाड़ा में डेरा डाले रखा। इस दौरान कुछ कपड़ा फैक्ट्रियों में लेबर के रूप में काम किया। इस दौरान उसकी तलाश होती रही। बीस कपड़ा फैक्ट्रियों में लेबर बनकर काम कर रही पुलिस को आखिरकार गिरधारी सिंह मिल गया।
टारगेट मिला था डीएसटी को
पुलिस अधीक्षक योगेश यादव और अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुनील कुमार ने डीएसटी टीम को गिरधारी सिंह की गिरफ्तारी का टारगेट दिया था। काफी मशक्कत के बाद पुलिस उस तक पहुंच सकी। इसमें लूनकरणसर वृताधिकारी नोपाराम ,थानाधिकारी लूनकरणसर चन्द्रजीत व हेड कॉन्स्टेबल दीपक यादव की मुख्य भूमिका रही। दीपक यादव ने ही साइबर सिस्टम के दम पर गिरधारी सिंह को ट्रेस आउट करने में मुख्य भूमिका निभाई।
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