31 March 2022 11:51 AM
जोग संजोग टाइम्स ,बीकानेर
राजस्थान के दौसा जिले के लालसोट कस्बे में एक महिला डॉक्टर ने मंगलवार को कथित तौर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। महिला डॉक्टर अर्चना शर्मा के खिलाफ सोमवार को उसके निजी अस्पताल में एक गर्भवती की मौत के बाद इलाज में लापरवाही का मामला दर्ज किया गया था। पुलिस ने मंगलवार को कहा कि संभवत: डॉक्टर ने मामला दर्ज होने के बाद दहशत में यह कदम उठाया। महिला डॉक्टर की आत्महत्या के मामले को अन्य डॉक्टरों ने नाराजगी जताई है और काली पट्टी बांधकर विरोध जता रहे हैं।
डॉक्टर ने सुसाइड नोट में लिखा
लेडी डॉक्टर अर्चना शर्मा सुसाइड केस में सुसाइड नोट भी सामने आया है। इस सुसाइड नोट में डॉक्टर ने लिखा, ‘मैंने कोई गलती नहीं की है, किसी को नहीं मारा, पीपीएच एक कॉम्प्लिकेशन है, इसके लिए डॉक्टरों को प्रताड़ित करना बंद करो।’ सुसाइड नोट के आखिर में उन्होंने लिखा प्लीज मेरे बच्चे को मां की कमी महसूस नहीं होने देना।
महिला डॉक्टर को किया जा रहा था प्रताड़ित
दौसा अस्पताल प्रबंधक डॉक्टर सुनीत उपाध्याय ने बताया कि 22 साल की महिला आशा बैरवा प्रसव के लिए अस्पताल आई थी मगर पहले से ही ज़्यादा ब्लीडिंग होने की वजह से उसे बचाया नहीं जा सका। स्थानीय कांग्रेस नेताओं की वजह से डॉक्टर अर्चना शर्मा पर हत्या का मामला दर्ज किया था। अस्पताल के बाहर प्रसूता के रिश्तेदारों और नेताओं के धरने से भी अर्चना काफी परेशान थी। पुलिस भी उसे प्रताड़ित कर रही थी। इसके बाद महिला डॉक्टर अर्चना शर्मा ने खुदकुशी कर ली। इससे नाराज होकर आईएमए ने राज्य के सभी निजी और सरकारी अस्पतालों में हड़ताल का ऐलान किया है। आईएमए ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, अगर अस्पताल में मौत हुई है तो इलाज में लापरवाही की धारा 304 लगाकर और कमेटी बनाकर जांच कर सकते हैं।
CM अशोक गहलोत बोले- दोषी बख्शे नहीं जाएंगे
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लालसोट कस्बे में इलाज में लापरवाही का मामला दर्ज होने के बाद एक महिला चिकित्सक द्वारा आत्महत्या किए जाने पर दुख जताते हुए बुधवार को कहा कि इस मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। गहलोत ने ट्वीट किया, ”दौसा में डॉ. अर्चना शर्मा की आत्महत्या की घटना बेहद दुखद है। हम सभी डॉक्टरों को भगवान का दर्जा देते हैं। हर डॉक्टर मरीज की जान बचाने के लिए अपना पूरा प्रयास करता है, लेकिन कोई भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना होते ही डॉक्टर पर आरोप लगाना न्यायोचित नहीं है।” उन्होंने कहा कि अगर इस तरह डॉक्टरों को डराया जाएगा तो वे निश्चित होकर अपना काम कैसे कर पाएंगे और हम सभी को सोचना चाहिए है कि कोरोना वायरस या अन्य दूसरी बीमारियों के समय अपनी जान का खतरा मोल लेकर सभी की सेवा करने वाले डॉक्टरों से ऐसा बर्ताव कैसे किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने दिए पुलिस अधीक्षक को हटाने के निर्देश
लालसोट एसएचओ को निलंबित, वृत्ताधिकारी एपीओ करते हुए संभागीय आयुक्त करेंगे प्रशासनिक जांच। मुख्यमंत्री ने कहा ऎसी घटनाओं को रोकने के लिए बनेगी कमेटी।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दौसा के लालसोट में महिला चिकित्सक द्वारा आत्महत्या के मामले में दौसा जिले के एसपी अनिल कुमार को हटाने, लालसोट एसएचओ को निलंबित करने तथा वृत्ताधिकारी को एपीओ करने के निर्देश दिए हैं। संभागीय आयुक्त दिनेश कुमार यादव मामले की प्रशासनिक जांच करेंगे।
श्री गहलोत ने बुधवार शाम को मुख्यमंत्री निवास पर हुई उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्देश दिए। बैठक में निर्णय लिया गया कि इस घटना में महिला चिकित्सक को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वालों पर मुकदमा दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जाए।
मुख्यमंत्री ने इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने एवं आवश्यक सुझाव देने के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित करने के निर्देश दिए हैं। इस कमेटी में शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, शासन सचिव चिकित्सा शिक्षा, पुलिस एवं विधि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी तथा चिकित्सक शामिल होंगे। यह कमेटी सभी कानूनी पहलुओं का अध्ययन कर एक गाइडलाइन प्रस्तुत करेगी, जिसे प्रदेशभर में लागू किया जाएगा।
बैठक में मुख्यमंत्री ने महिला चिकित्सक डॉ. अर्चना शर्मा द्वारा आत्महत्या की घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि समाज में चिकित्सकों को ईश्वर के समान दर्जा दिया गया है। वे रोगियों की जान बचाने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। इसके बावजूद कई बार अप्रिय घटना होने पर डॉक्टर को अनावश्यक रूप से दोषी ठहराना न्यायोचित नहीं है। यदि ऎसा होगा तो चिकित्सक पूरे समर्पण के साथ अपना दायित्व कैसे निभा पाएंगे।
श्री गहलोत ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान चिकित्सकों एवं नर्सिंगकर्मियों ने अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई थीं। ऎसे चिकित्सकों से इस प्रकार का बर्ताव बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
बैठक में चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा, गृह राज्यमंत्री राजेन्द्र यादव, पुलिस महानिदेशक एमएल लाठर, अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह अभय कुमार, पुलिस महानिदेशक इंटेलीजेंस उमेश मिश्र सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के चिकित्सकों के प्रतिनिधिमंडल ने इस प्रकरण में दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई को लेकर श्री गहलोत से बुधवार को मुख्यमंत्री निवास पर मुलाकात की थी।
जोग संजोग टाइम्स ,बीकानेर
राजस्थान के दौसा जिले के लालसोट कस्बे में एक महिला डॉक्टर ने मंगलवार को कथित तौर पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। महिला डॉक्टर अर्चना शर्मा के खिलाफ सोमवार को उसके निजी अस्पताल में एक गर्भवती की मौत के बाद इलाज में लापरवाही का मामला दर्ज किया गया था। पुलिस ने मंगलवार को कहा कि संभवत: डॉक्टर ने मामला दर्ज होने के बाद दहशत में यह कदम उठाया। महिला डॉक्टर की आत्महत्या के मामले को अन्य डॉक्टरों ने नाराजगी जताई है और काली पट्टी बांधकर विरोध जता रहे हैं।
डॉक्टर ने सुसाइड नोट में लिखा
लेडी डॉक्टर अर्चना शर्मा सुसाइड केस में सुसाइड नोट भी सामने आया है। इस सुसाइड नोट में डॉक्टर ने लिखा, ‘मैंने कोई गलती नहीं की है, किसी को नहीं मारा, पीपीएच एक कॉम्प्लिकेशन है, इसके लिए डॉक्टरों को प्रताड़ित करना बंद करो।’ सुसाइड नोट के आखिर में उन्होंने लिखा प्लीज मेरे बच्चे को मां की कमी महसूस नहीं होने देना।
महिला डॉक्टर को किया जा रहा था प्रताड़ित
दौसा अस्पताल प्रबंधक डॉक्टर सुनीत उपाध्याय ने बताया कि 22 साल की महिला आशा बैरवा प्रसव के लिए अस्पताल आई थी मगर पहले से ही ज़्यादा ब्लीडिंग होने की वजह से उसे बचाया नहीं जा सका। स्थानीय कांग्रेस नेताओं की वजह से डॉक्टर अर्चना शर्मा पर हत्या का मामला दर्ज किया था। अस्पताल के बाहर प्रसूता के रिश्तेदारों और नेताओं के धरने से भी अर्चना काफी परेशान थी। पुलिस भी उसे प्रताड़ित कर रही थी। इसके बाद महिला डॉक्टर अर्चना शर्मा ने खुदकुशी कर ली। इससे नाराज होकर आईएमए ने राज्य के सभी निजी और सरकारी अस्पतालों में हड़ताल का ऐलान किया है। आईएमए ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, अगर अस्पताल में मौत हुई है तो इलाज में लापरवाही की धारा 304 लगाकर और कमेटी बनाकर जांच कर सकते हैं।
CM अशोक गहलोत बोले- दोषी बख्शे नहीं जाएंगे
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लालसोट कस्बे में इलाज में लापरवाही का मामला दर्ज होने के बाद एक महिला चिकित्सक द्वारा आत्महत्या किए जाने पर दुख जताते हुए बुधवार को कहा कि इस मामले की गंभीरता से जांच की जा रही है और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। गहलोत ने ट्वीट किया, ”दौसा में डॉ. अर्चना शर्मा की आत्महत्या की घटना बेहद दुखद है। हम सभी डॉक्टरों को भगवान का दर्जा देते हैं। हर डॉक्टर मरीज की जान बचाने के लिए अपना पूरा प्रयास करता है, लेकिन कोई भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना होते ही डॉक्टर पर आरोप लगाना न्यायोचित नहीं है।” उन्होंने कहा कि अगर इस तरह डॉक्टरों को डराया जाएगा तो वे निश्चित होकर अपना काम कैसे कर पाएंगे और हम सभी को सोचना चाहिए है कि कोरोना वायरस या अन्य दूसरी बीमारियों के समय अपनी जान का खतरा मोल लेकर सभी की सेवा करने वाले डॉक्टरों से ऐसा बर्ताव कैसे किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री ने दिए पुलिस अधीक्षक को हटाने के निर्देश
लालसोट एसएचओ को निलंबित, वृत्ताधिकारी एपीओ करते हुए संभागीय आयुक्त करेंगे प्रशासनिक जांच। मुख्यमंत्री ने कहा ऎसी घटनाओं को रोकने के लिए बनेगी कमेटी।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दौसा के लालसोट में महिला चिकित्सक द्वारा आत्महत्या के मामले में दौसा जिले के एसपी अनिल कुमार को हटाने, लालसोट एसएचओ को निलंबित करने तथा वृत्ताधिकारी को एपीओ करने के निर्देश दिए हैं। संभागीय आयुक्त दिनेश कुमार यादव मामले की प्रशासनिक जांच करेंगे।
श्री गहलोत ने बुधवार शाम को मुख्यमंत्री निवास पर हुई उच्च स्तरीय बैठक में यह निर्देश दिए। बैठक में निर्णय लिया गया कि इस घटना में महिला चिकित्सक को आत्महत्या के लिए मजबूर करने वालों पर मुकदमा दर्ज कर कड़ी कार्रवाई की जाए।
मुख्यमंत्री ने इस प्रकार की घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने एवं आवश्यक सुझाव देने के लिए अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित करने के निर्देश दिए हैं। इस कमेटी में शासन सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, शासन सचिव चिकित्सा शिक्षा, पुलिस एवं विधि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी तथा चिकित्सक शामिल होंगे। यह कमेटी सभी कानूनी पहलुओं का अध्ययन कर एक गाइडलाइन प्रस्तुत करेगी, जिसे प्रदेशभर में लागू किया जाएगा।
बैठक में मुख्यमंत्री ने महिला चिकित्सक डॉ. अर्चना शर्मा द्वारा आत्महत्या की घटना पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा कि समाज में चिकित्सकों को ईश्वर के समान दर्जा दिया गया है। वे रोगियों की जान बचाने के लिए हर संभव प्रयास करते हैं। इसके बावजूद कई बार अप्रिय घटना होने पर डॉक्टर को अनावश्यक रूप से दोषी ठहराना न्यायोचित नहीं है। यदि ऎसा होगा तो चिकित्सक पूरे समर्पण के साथ अपना दायित्व कैसे निभा पाएंगे।
श्री गहलोत ने कहा कि कोविड महामारी के दौरान चिकित्सकों एवं नर्सिंगकर्मियों ने अपनी जान की परवाह किए बिना लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध कराई थीं। ऎसे चिकित्सकों से इस प्रकार का बर्ताव बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।
बैठक में चिकित्सा मंत्री परसादी लाल मीणा, गृह राज्यमंत्री राजेन्द्र यादव, पुलिस महानिदेशक एमएल लाठर, अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह अभय कुमार, पुलिस महानिदेशक इंटेलीजेंस उमेश मिश्र सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।
उल्लेखनीय है कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के चिकित्सकों के प्रतिनिधिमंडल ने इस प्रकरण में दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई को लेकर श्री गहलोत से बुधवार को मुख्यमंत्री निवास पर मुलाकात की थी।
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