22 January 2022 12:57 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
मिली जानकारी के अनुसार बीकानेर। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी नमित मेहता बीकानेर से अभिभूत होकर गए हैं। इसका कारण वे संवेदनशील हैं। मानवीय रिश्तों की कद्र करने के संस्कार है। सेवा और कुछ कर गुजरने की ललक भी है। वे प्रशासनिक व्यवस्था के यंत्र मात्र नहीं हैं। लोगों ने उनको सिर आंखों पर उठाकर विदाई दी हैं। उन्होंने भी जनता के प्रति भरपूर आदर भाव का इजहार किया। मेहता बीकानेर के ऐसे कलक्टर रहे हैं जिन्होंने बीकानेर में कोरोनो की तीनों लहरों में मानवीय आपदा का प्रबंधन किया है। वे कहते हैं खामियां कमियां रह सकती है, परंतु इस विपदा की घड़ी में एक कप्तान के रूप में उनकी टीम की कोशिश सौ प्रतिशत नहीं एक सौ बीस प्रतिशत रही हैं। समझ और सामर्थ्य से कोरोना की आपदा प्रबंधन में डॉक्टर्स और उनकी टीम ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। उनका कहना है कि ऐसे दिन भगवान फिर न दिखाएं, परंतु मानवता की सेवा का यह अवसर रहा।उनके कार्यकाल के पूरे 19 महीने कोरोना की ही भेंट चढ़े। समाज के कई लोगों ने भी इंसानियत दिखाई। बीकानेर शहर की सबसे पीड़ादायक रेलने क्रासिंग की समस्या का मेहता ने समाधान निकाला है उनका कहना है कि रानी बाजार रेलवे क्रासिंग पर अंडर ब्रिज का काम शुरू हो गया है। सांखला फाटक का प्रक्रिया में है। नए कलक्टर साहब को सांखला फाटक पर अंडर ब्रिज मामले पर स्थिति बता दी है। यह उनका लकीर से हटकर किया गया काम है। बीकानेर की जनता जानती है कि यहां के जनप्रतिनिधियों ने क्या क्या सब्ज बाग नहीं दिखाएं। बाईपास, एलिवेटेड रोड, ओवर ब्रिज के सपने दिखाएं जो सपने ही रह गए। यहां तक कि कैबिनेट मंत्री डा. बी ड़ी कल्ला और केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बाईपास के लिए अति सक्रियता दिखाई। कुछ कर नहीं पाए। मेहता ने लकीर से हटकर धरातल पर कर दिखाया है। चार दशक से रेलवे क्रासिंग की समस्या राजनीति के भेंट चढ़ी थी। ये श्रेय देने या आलोचना करने का मुद्दा नहीं है, बल्कि जनता की समस्याओं पर संवेदनशीलता दिखाने की काबिलियत है। उनका कहना है कि बीकानेर शहर में प्रवेश करने वाली सड़कों के उन्होंने न्यास अध्यक्ष के रूप में टेंडर कर दिए हैं अगले तीन चार माह में ये सड़के बन जाएगी। प्रशासनिक अधिकारी सरकारी व्यवस्थाओं को संवेदनशीलता और जनहित के विजन के साथ बर्ताव में लाते हैं तो जनता उनको याद करती हैं। मेहता कि बीकानेर से विदाई पर अपने परिजन को विदा करने जैसी दिल में हुक (पीड़ा ) छोड़ती है। बीकानेर भूलेगा नहीं
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
मिली जानकारी के अनुसार बीकानेर। भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी नमित मेहता बीकानेर से अभिभूत होकर गए हैं। इसका कारण वे संवेदनशील हैं। मानवीय रिश्तों की कद्र करने के संस्कार है। सेवा और कुछ कर गुजरने की ललक भी है। वे प्रशासनिक व्यवस्था के यंत्र मात्र नहीं हैं। लोगों ने उनको सिर आंखों पर उठाकर विदाई दी हैं। उन्होंने भी जनता के प्रति भरपूर आदर भाव का इजहार किया। मेहता बीकानेर के ऐसे कलक्टर रहे हैं जिन्होंने बीकानेर में कोरोनो की तीनों लहरों में मानवीय आपदा का प्रबंधन किया है। वे कहते हैं खामियां कमियां रह सकती है, परंतु इस विपदा की घड़ी में एक कप्तान के रूप में उनकी टीम की कोशिश सौ प्रतिशत नहीं एक सौ बीस प्रतिशत रही हैं। समझ और सामर्थ्य से कोरोना की आपदा प्रबंधन में डॉक्टर्स और उनकी टीम ने कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। उनका कहना है कि ऐसे दिन भगवान फिर न दिखाएं, परंतु मानवता की सेवा का यह अवसर रहा।उनके कार्यकाल के पूरे 19 महीने कोरोना की ही भेंट चढ़े। समाज के कई लोगों ने भी इंसानियत दिखाई। बीकानेर शहर की सबसे पीड़ादायक रेलने क्रासिंग की समस्या का मेहता ने समाधान निकाला है उनका कहना है कि रानी बाजार रेलवे क्रासिंग पर अंडर ब्रिज का काम शुरू हो गया है। सांखला फाटक का प्रक्रिया में है। नए कलक्टर साहब को सांखला फाटक पर अंडर ब्रिज मामले पर स्थिति बता दी है। यह उनका लकीर से हटकर किया गया काम है। बीकानेर की जनता जानती है कि यहां के जनप्रतिनिधियों ने क्या क्या सब्ज बाग नहीं दिखाएं। बाईपास, एलिवेटेड रोड, ओवर ब्रिज के सपने दिखाएं जो सपने ही रह गए। यहां तक कि कैबिनेट मंत्री डा. बी ड़ी कल्ला और केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने बाईपास के लिए अति सक्रियता दिखाई। कुछ कर नहीं पाए। मेहता ने लकीर से हटकर धरातल पर कर दिखाया है। चार दशक से रेलवे क्रासिंग की समस्या राजनीति के भेंट चढ़ी थी। ये श्रेय देने या आलोचना करने का मुद्दा नहीं है, बल्कि जनता की समस्याओं पर संवेदनशीलता दिखाने की काबिलियत है। उनका कहना है कि बीकानेर शहर में प्रवेश करने वाली सड़कों के उन्होंने न्यास अध्यक्ष के रूप में टेंडर कर दिए हैं अगले तीन चार माह में ये सड़के बन जाएगी। प्रशासनिक अधिकारी सरकारी व्यवस्थाओं को संवेदनशीलता और जनहित के विजन के साथ बर्ताव में लाते हैं तो जनता उनको याद करती हैं। मेहता कि बीकानेर से विदाई पर अपने परिजन को विदा करने जैसी दिल में हुक (पीड़ा ) छोड़ती है। बीकानेर भूलेगा नहीं
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