16 June 2021 12:13 PM
नई दिल्ली । साइबर
धोखाधड़ी के खिलाफ केंद्र सरकार ने
देशव्यापी अभियान छेड़ा है। अपने तरह
के इस पहले अभियान में 18 राज्यों में
सक्रिय साइबर ठगों के बड़े गिरोहों का
पर्दाफाश हुआ है। गृह मंत्रालय की साइबर
सुरक्षा इकाई के साथ मिलकर कई राज्यों
की पुलिस, फिनटेक (वित्तीय
प्रौद्योगिकी) कंपनियों और जांच एजेंसियों
ने 350 आरोपियों की पहचान की है,
जिनमें से आठ को गिरफ्तार भी कर लिया
गया है। उनके पास से 333 मोबाइल
फोन बरामद किए गए हैं और 100 बैंक
खाते भी सीज किए गए हैं। संदेह के
आधार पर 900 मोबाइल फोन, 1,000
बैंक अकाउंट और सैंकड़ों यूपीआइ और
ई-कामर्स आइडी की भी जांच की जा रही
है। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी
ने कहा कि साइबर ठगों का यह गिरोह
आपसी तालमेल से लोगों को शिकार
बनाता था। विभिन्न राज्यों में फैले गिरोह
के सदस्य अलग-अलग भूमिका निभाते
थे, जिससे किसी एक राज्य की पुलिस के
लिए पूरी साजिश का पर्दाफाश करना
मुश्किल हो जाता था। अधिकारी के
मुताबिक गिरोह के सदस्यों के बीच
ओटीपी फ्राड, क्रेडिट कार्ड फ्राड, ई-
कामर्स फ्राड, फर्जी पहचान पत्र बनाने,
फर्जी मोबाइल नंबर हासिल करने, फर्जी
पता तैयार करने, मनी लांर्डि्रंग और चोरी
के सामान की खरीद-बिक्री जैसे काम
बंटे हुए थे। फोन से ठगी के ऐसे ही एक
मामले की जानकारी 11 जून को
साइबरसेफ बेवसाइट पर मिली और
उसके चार दिन के भीतर गिरोह का
पर्दाफाश कर दिया गया। दरअसल,
राजस्थान के उदयपुर निवासी 78 साल
के एक व्यक्ति ने साइबरसेफ पर 6.5
लाख रुपये की ठगी की शिकायत की।
कुछ देर में ही पता चल गया कि उनके
खाते से उड़ाए गए पैसे भारतीय स्टेट बैंक
के तीन कार्ड में जमा किए गए हैं, जिनसे
फ्लिपकार्ट पर जियोमी कंपनी के 33
मंहगे मोबाइल फोन खरीदे गए हैं। चंद
मिनट में ही पता चल गया कि ये मोबाइल
फोन मध्य प्रदेश के बालाघाट में डिलिवर
किए गए हैं। बालाघाट के एसपी ने इस
सूचना के आधार पर तत्काल न सिर्फ
आरोपी हुकुम सिंह बिसेन को हिरासत में
ले लिया बल्कि उसके पास से सभी 33
मोबाइल फोन भी बरामद कर लिए।
नई दिल्ली । साइबर
धोखाधड़ी के खिलाफ केंद्र सरकार ने
देशव्यापी अभियान छेड़ा है। अपने तरह
के इस पहले अभियान में 18 राज्यों में
सक्रिय साइबर ठगों के बड़े गिरोहों का
पर्दाफाश हुआ है। गृह मंत्रालय की साइबर
सुरक्षा इकाई के साथ मिलकर कई राज्यों
की पुलिस, फिनटेक (वित्तीय
प्रौद्योगिकी) कंपनियों और जांच एजेंसियों
ने 350 आरोपियों की पहचान की है,
जिनमें से आठ को गिरफ्तार भी कर लिया
गया है। उनके पास से 333 मोबाइल
फोन बरामद किए गए हैं और 100 बैंक
खाते भी सीज किए गए हैं। संदेह के
आधार पर 900 मोबाइल फोन, 1,000
बैंक अकाउंट और सैंकड़ों यूपीआइ और
ई-कामर्स आइडी की भी जांच की जा रही
है। गृह मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी
ने कहा कि साइबर ठगों का यह गिरोह
आपसी तालमेल से लोगों को शिकार
बनाता था। विभिन्न राज्यों में फैले गिरोह
के सदस्य अलग-अलग भूमिका निभाते
थे, जिससे किसी एक राज्य की पुलिस के
लिए पूरी साजिश का पर्दाफाश करना
मुश्किल हो जाता था। अधिकारी के
मुताबिक गिरोह के सदस्यों के बीच
ओटीपी फ्राड, क्रेडिट कार्ड फ्राड, ई-
कामर्स फ्राड, फर्जी पहचान पत्र बनाने,
फर्जी मोबाइल नंबर हासिल करने, फर्जी
पता तैयार करने, मनी लांर्डि्रंग और चोरी
के सामान की खरीद-बिक्री जैसे काम
बंटे हुए थे। फोन से ठगी के ऐसे ही एक
मामले की जानकारी 11 जून को
साइबरसेफ बेवसाइट पर मिली और
उसके चार दिन के भीतर गिरोह का
पर्दाफाश कर दिया गया। दरअसल,
राजस्थान के उदयपुर निवासी 78 साल
के एक व्यक्ति ने साइबरसेफ पर 6.5
लाख रुपये की ठगी की शिकायत की।
कुछ देर में ही पता चल गया कि उनके
खाते से उड़ाए गए पैसे भारतीय स्टेट बैंक
के तीन कार्ड में जमा किए गए हैं, जिनसे
फ्लिपकार्ट पर जियोमी कंपनी के 33
मंहगे मोबाइल फोन खरीदे गए हैं। चंद
मिनट में ही पता चल गया कि ये मोबाइल
फोन मध्य प्रदेश के बालाघाट में डिलिवर
किए गए हैं। बालाघाट के एसपी ने इस
सूचना के आधार पर तत्काल न सिर्फ
आरोपी हुकुम सिंह बिसेन को हिरासत में
ले लिया बल्कि उसके पास से सभी 33
मोबाइल फोन भी बरामद कर लिए।
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