16 January 2024 04:33 PM
दिनांक 16 जनवरी 2024 , मंगलवार
राष्ट्रसंत, डाक्टर आचार्य प्रवर दिव्यानंद सूरीश्वर महाराज साहब ( निराले बाबा ) के दिशा निर्देश में भीनासर में स्थित निराला जैन भवन में पर्यावरण संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य रूप से डाक्टर नरेश जैन विशेष रूप आमंत्रित थे।
निराले बाबा ने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि चारों तरफ वातावरण दूषित हो रहा है, जिसमें प्रवृत्ति और प्रकृति में असर पड़ रहा है, उन्होंने बताया की इंसान की प्रवृत्ति के अंदर सहनशीलता खत्म हो चुकी है क्योंकि खाने पीने के बर्तन किसी भी कार्यक्रम में डिस्पोजल की परम्परा चल पड़ी है। और उनको नष्ट करते समय अग्नि जलाकर खत्म किया जाता उससे प्रकृति का वातावरण दूषित होता है। पूर्व काल में पीतल ताँबा के बर्तन काम में लिए जाते थे उससे शरीर में बीमारिया नहीं होती थी। अब इंसान मानसिक रूप शारीरिक रूप से बीमार है। आवश्यकता है मिट्टी, पीतल, ताँबा आदि के बर्तन प्रयोग में लाये जिससे प्रवृत्ति और प्रकृति में सुधार आवे।
इस अवसर पर डाक्टर डॉ नरेश गोयल , समाज सेविका डॉ पूजा मोहता आदि का सम्मान किया गया। राजकुमार सुराणा,जयचंद लाल बोथरा, पुनीत सुराणा, डाक्टर अजय वर्मा, तारा देवी बोथरा, सज्जन देवी सुराणा आदि अनेकानेक भक्त गण मौजूद थे।
दिनांक 16 जनवरी 2024 , मंगलवार
राष्ट्रसंत, डाक्टर आचार्य प्रवर दिव्यानंद सूरीश्वर महाराज साहब ( निराले बाबा ) के दिशा निर्देश में भीनासर में स्थित निराला जैन भवन में पर्यावरण संगोष्ठी का आयोजन किया गया। मुख्य रूप से डाक्टर नरेश जैन विशेष रूप आमंत्रित थे।
निराले बाबा ने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि चारों तरफ वातावरण दूषित हो रहा है, जिसमें प्रवृत्ति और प्रकृति में असर पड़ रहा है, उन्होंने बताया की इंसान की प्रवृत्ति के अंदर सहनशीलता खत्म हो चुकी है क्योंकि खाने पीने के बर्तन किसी भी कार्यक्रम में डिस्पोजल की परम्परा चल पड़ी है। और उनको नष्ट करते समय अग्नि जलाकर खत्म किया जाता उससे प्रकृति का वातावरण दूषित होता है। पूर्व काल में पीतल ताँबा के बर्तन काम में लिए जाते थे उससे शरीर में बीमारिया नहीं होती थी। अब इंसान मानसिक रूप शारीरिक रूप से बीमार है। आवश्यकता है मिट्टी, पीतल, ताँबा आदि के बर्तन प्रयोग में लाये जिससे प्रवृत्ति और प्रकृति में सुधार आवे।
इस अवसर पर डाक्टर डॉ नरेश गोयल , समाज सेविका डॉ पूजा मोहता आदि का सम्मान किया गया। राजकुमार सुराणा,जयचंद लाल बोथरा, पुनीत सुराणा, डाक्टर अजय वर्मा, तारा देवी बोथरा, सज्जन देवी सुराणा आदि अनेकानेक भक्त गण मौजूद थे।
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