18 November 2022 02:45 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
जिसकी लाठी उसकी भैंस। ये कहावत नगर निगम में पूरी तरह चरितार्थ हाे रही है। जिस पार्षद की नगर निगम कमिश्नर से झड़प हुई बाद में उससे समझाैता हुआ और उसके वार्ड में काम भी स्वीकृति हाे गया। जाे पार्षद शांत स्वभाव के हैं उनके यहां काेई कुछ नहीं हाे रहा। नेता प्रतिपक्ष का वार्ड इस मामले में पहले नंबर पर है। कभी आयुक्त के घुर विराेधी हाेते थे, लेकिन आज काम के मामले में वे टाॅप पर हैं। जबकि संजय गुप्ता, अकरम, गाेपीचंद जैसे पार्षद के वार्ड में काेई राशि स्वीकृति नहीं हुई।27 मई काे साधारण सभा काे लेकर बड़ा विवाद हुअा था। नेता प्रतिपक्ष चेतना चाैधरी के साथ करीब दाे दर्जन पार्षदाें ने साधारण सभा का बहिष्कार किया। कुछ समय बाद स्थितियां बदली ताे अब चेतना चाैधरी के वार्ड 17 में सर्वाधिक एक कराेड़ से ऊपर के काम मंजूर हुए। हालांकि इसमें हाउसिंग बाेर्ड की राशि भी शामिल है। वार्ड 52 के पार्षद महेन्द्र बड़गूजर के खिलाफ ताे पुलिस तक में आयुक्त ने शिकायत कर दी थी। उनके वार्ड में 77 लाख तक के काम मंजूर हाे गए। प्रफुल्ल हटीला नेता प्रतिपक्ष की टीम का हिस्सा हैं ताे उनके वार्ड में भी एक कराेड़ के आसपास काम हुए।भाजपा के वार्ड 9 के विनाेद धवल को सांसद अर्जुनराम मेघवाल के करीबी होने का फायदा मिला। जितेन्द्र सिंह भाटी और लक्ष्मीकंवर हाड़लां के वार्ड में भी 80 लाख से ऊपर के काम हुए। हालांकि इसमें विधायक और सांसद काेटे की राशि भी शामिल है। ताजा उदाहरण कांग्रेस पार्षद शांति लाल मोदी का है। कमिश्नर से उनकी फोन पर बहस हुई। अपशब्द बोलने का आरोप लगाया लेकिन समझौता हुआ तो 35 लाख के टेंडर लग गए।
ये पार्षद नहीं बोले ताे इस सत्र में एक रुपए का काम नहीं हुआ
पार्षद राजेश कच्छावा, मंजू देवी साेनी, संजय गुप्ता, हसन अली, अशाेक माली, गाेपीचंद साेनी और माेहम्मद अकरम जैसे पार्षदाें ने ना ताे निगम में हंगामा किया ना विवादाें में आए इसलिए इनके वार्डाें में इस सत्र में एक रुपए का काम मंजूर नहीं हुआ। इसमें गाेपीचंद और राजेश निर्दलीय पार्षद हैं लेकिन भाजपा समर्थित हैं। सिर्फ अकरम कांग्रेस के पार्षद हैं। इसमें से किसी पार्षद के वार्ड में इस सत्र में काम मंजूर नहीं हुआ। कई पार्षदों की पीड़ा है कि वे शांति से काम कराना चाहते हैं लेकिन बिना विवाद के उनके वार्डों में काम स्वीकृत नहीं हाे रहे। दूसरी ओर कुछ पार्षद ऐसे पार्षद हैं जाे सुबह से शाम तक निगम में फाइलें लेकर घूमते हैं।जिन पार्षदाें के वार्ड में काम मंजूर नहीं हुआ उनके वार्ड में पैसा आते ही काम मंजूर हाेगा। समझाैते के कारण ज्यादा काम मंजूर करने की बात गलत है।-गाेपालराम विरदा, आयुक्त निगम
मेयर-कमिश्नर के बीच विवाद के कारण नहीं हो रहे हमारे काम
मैं वेवजह हंगामा या विवाद में विश्वास नहीं रखता। शांति से सारे काम हाें ताे बेहतर है। मैं भाजपा में हूं। मेयर-कमिश्नर के बीच विवाद के कारण मेरे वार्ड में काम नहीं हाे रहे। फिर भी हमने अपने स्तर पर काफी काम वार्ड में कराए हैं। -हसन अली, पार्षद भाजपामेरी तबियत कुछ दिन खराब थी। अब थोड़ा ठीक हुआ हूं। मैंने वार्ड में विकास कार्यों को लेकर फाइल लगाई थी लेकिन एक भी काम मंजूर नहीं हुआ। मैं जरूर अपने वार्ड के लिए पैरवी करूंगा। मैं शांति से काम करने वाला इंसान हूं। लेकिन निगम में अशांति है। -संजय गुप्ता, पार्षद भाजपामैं कांग्रेस का हूं। सरकार भी हमारी है। हमारे लीडर नेता प्रतिपक्ष हैं। उन्हें सबकाे साथ लेकर चलना चाहिए। लेकिन उन्हें सिर्फ अपनी चिंता है। सभी वार्डों में बराबर स्वीकृति जारी होनी चाहिए। कमिश्नर सुनवाई नहीं करते। मैंने पहले फाइल लगाई लेकिन नामंजूर कर दी। -अकरम, पार्षद कांग्रेस
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
जिसकी लाठी उसकी भैंस। ये कहावत नगर निगम में पूरी तरह चरितार्थ हाे रही है। जिस पार्षद की नगर निगम कमिश्नर से झड़प हुई बाद में उससे समझाैता हुआ और उसके वार्ड में काम भी स्वीकृति हाे गया। जाे पार्षद शांत स्वभाव के हैं उनके यहां काेई कुछ नहीं हाे रहा। नेता प्रतिपक्ष का वार्ड इस मामले में पहले नंबर पर है। कभी आयुक्त के घुर विराेधी हाेते थे, लेकिन आज काम के मामले में वे टाॅप पर हैं। जबकि संजय गुप्ता, अकरम, गाेपीचंद जैसे पार्षद के वार्ड में काेई राशि स्वीकृति नहीं हुई।27 मई काे साधारण सभा काे लेकर बड़ा विवाद हुअा था। नेता प्रतिपक्ष चेतना चाैधरी के साथ करीब दाे दर्जन पार्षदाें ने साधारण सभा का बहिष्कार किया। कुछ समय बाद स्थितियां बदली ताे अब चेतना चाैधरी के वार्ड 17 में सर्वाधिक एक कराेड़ से ऊपर के काम मंजूर हुए। हालांकि इसमें हाउसिंग बाेर्ड की राशि भी शामिल है। वार्ड 52 के पार्षद महेन्द्र बड़गूजर के खिलाफ ताे पुलिस तक में आयुक्त ने शिकायत कर दी थी। उनके वार्ड में 77 लाख तक के काम मंजूर हाे गए। प्रफुल्ल हटीला नेता प्रतिपक्ष की टीम का हिस्सा हैं ताे उनके वार्ड में भी एक कराेड़ के आसपास काम हुए।भाजपा के वार्ड 9 के विनाेद धवल को सांसद अर्जुनराम मेघवाल के करीबी होने का फायदा मिला। जितेन्द्र सिंह भाटी और लक्ष्मीकंवर हाड़लां के वार्ड में भी 80 लाख से ऊपर के काम हुए। हालांकि इसमें विधायक और सांसद काेटे की राशि भी शामिल है। ताजा उदाहरण कांग्रेस पार्षद शांति लाल मोदी का है। कमिश्नर से उनकी फोन पर बहस हुई। अपशब्द बोलने का आरोप लगाया लेकिन समझौता हुआ तो 35 लाख के टेंडर लग गए।
ये पार्षद नहीं बोले ताे इस सत्र में एक रुपए का काम नहीं हुआ
पार्षद राजेश कच्छावा, मंजू देवी साेनी, संजय गुप्ता, हसन अली, अशाेक माली, गाेपीचंद साेनी और माेहम्मद अकरम जैसे पार्षदाें ने ना ताे निगम में हंगामा किया ना विवादाें में आए इसलिए इनके वार्डाें में इस सत्र में एक रुपए का काम मंजूर नहीं हुआ। इसमें गाेपीचंद और राजेश निर्दलीय पार्षद हैं लेकिन भाजपा समर्थित हैं। सिर्फ अकरम कांग्रेस के पार्षद हैं। इसमें से किसी पार्षद के वार्ड में इस सत्र में काम मंजूर नहीं हुआ। कई पार्षदों की पीड़ा है कि वे शांति से काम कराना चाहते हैं लेकिन बिना विवाद के उनके वार्डों में काम स्वीकृत नहीं हाे रहे। दूसरी ओर कुछ पार्षद ऐसे पार्षद हैं जाे सुबह से शाम तक निगम में फाइलें लेकर घूमते हैं।जिन पार्षदाें के वार्ड में काम मंजूर नहीं हुआ उनके वार्ड में पैसा आते ही काम मंजूर हाेगा। समझाैते के कारण ज्यादा काम मंजूर करने की बात गलत है।-गाेपालराम विरदा, आयुक्त निगम
मेयर-कमिश्नर के बीच विवाद के कारण नहीं हो रहे हमारे काम
मैं वेवजह हंगामा या विवाद में विश्वास नहीं रखता। शांति से सारे काम हाें ताे बेहतर है। मैं भाजपा में हूं। मेयर-कमिश्नर के बीच विवाद के कारण मेरे वार्ड में काम नहीं हाे रहे। फिर भी हमने अपने स्तर पर काफी काम वार्ड में कराए हैं। -हसन अली, पार्षद भाजपामेरी तबियत कुछ दिन खराब थी। अब थोड़ा ठीक हुआ हूं। मैंने वार्ड में विकास कार्यों को लेकर फाइल लगाई थी लेकिन एक भी काम मंजूर नहीं हुआ। मैं जरूर अपने वार्ड के लिए पैरवी करूंगा। मैं शांति से काम करने वाला इंसान हूं। लेकिन निगम में अशांति है। -संजय गुप्ता, पार्षद भाजपामैं कांग्रेस का हूं। सरकार भी हमारी है। हमारे लीडर नेता प्रतिपक्ष हैं। उन्हें सबकाे साथ लेकर चलना चाहिए। लेकिन उन्हें सिर्फ अपनी चिंता है। सभी वार्डों में बराबर स्वीकृति जारी होनी चाहिए। कमिश्नर सुनवाई नहीं करते। मैंने पहले फाइल लगाई लेकिन नामंजूर कर दी। -अकरम, पार्षद कांग्रेस
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