06 March 2022 11:50 AM

जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
मिली जानकारी के अनुसार नई दिल्ली दिल्ली हाईकोर्ट ने घरेलू परिवार को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया कोर्ट ने कहा है कि अगर बहु झगड़ालू पर्वती की है तो उसे संयुक्त घर में रहने का कोई अधिकार नहीं है और संपत्ति के मालिक उसे घर से बेदखल कर सकते हैं दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि बुजुर्ग मां-बाप को चैन से जिंदगी जीने का अधिकार है यदि बहू रोजाना चिकचिक की आदत छोड़ने को तैयार नहीं है तो उसे घर से निकाला जा सकता है दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत अगर कोई बहू संयुक्त घर में रहने का अधिकार नहीं है उसे ससुराल के बुजुर्गों लोग द्वारा बेदखल किया जा सकता है क्योंकि वह शांतिपूर्ण जीवन जीने के हकदार है न्यायमूर्ति योगेश खन्ना एक बहू द्वारा निचली अदालत के आदेश के खिलाफ दायर अपील की सुनवाई कर रहे थे जिसके तहत बहू को ससुराल में रहने का अधिकार नहीं दिया गया था।
वहीं न्यायधीश ने यह भी कहा कि संपत्ति के मालिक पर अपनी बहू को बेदखल करने को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है उन्होंने कहा कि मामले में यह उचित रहेगा कि याचिकाकर्ता को उसकी शादी जारी रहने तक कोई वैकल्पिक आवास प्रदान किया जाए जस्टिस खन्ना ने कहा कि मौजूदा मामलों में दोनों ससुराल वाले वरिष्ठ नागरिक है और वे शांतिपूर्ण जीवन जीने तथा बेटे बहू के बीच हुए पारिवारिक कलह से प्रभावित ना होने के हकदार है।
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
मिली जानकारी के अनुसार नई दिल्ली दिल्ली हाईकोर्ट ने घरेलू परिवार को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया कोर्ट ने कहा है कि अगर बहु झगड़ालू पर्वती की है तो उसे संयुक्त घर में रहने का कोई अधिकार नहीं है और संपत्ति के मालिक उसे घर से बेदखल कर सकते हैं दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि बुजुर्ग मां-बाप को चैन से जिंदगी जीने का अधिकार है यदि बहू रोजाना चिकचिक की आदत छोड़ने को तैयार नहीं है तो उसे घर से निकाला जा सकता है दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ कहा है कि घरेलू हिंसा अधिनियम के तहत अगर कोई बहू संयुक्त घर में रहने का अधिकार नहीं है उसे ससुराल के बुजुर्गों लोग द्वारा बेदखल किया जा सकता है क्योंकि वह शांतिपूर्ण जीवन जीने के हकदार है न्यायमूर्ति योगेश खन्ना एक बहू द्वारा निचली अदालत के आदेश के खिलाफ दायर अपील की सुनवाई कर रहे थे जिसके तहत बहू को ससुराल में रहने का अधिकार नहीं दिया गया था।
वहीं न्यायधीश ने यह भी कहा कि संपत्ति के मालिक पर अपनी बहू को बेदखल करने को लेकर कोई प्रतिबंध नहीं है उन्होंने कहा कि मामले में यह उचित रहेगा कि याचिकाकर्ता को उसकी शादी जारी रहने तक कोई वैकल्पिक आवास प्रदान किया जाए जस्टिस खन्ना ने कहा कि मौजूदा मामलों में दोनों ससुराल वाले वरिष्ठ नागरिक है और वे शांतिपूर्ण जीवन जीने तथा बेटे बहू के बीच हुए पारिवारिक कलह से प्रभावित ना होने के हकदार है।
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