01 December 2022 02:20 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
जोधपुर रेंज में सेक्सटॉर्शन के हर दिन मुकदमे दर्ज होते है, फिर इसी मुकदमे में आईजी से डीजी तक सब निगरानी क्यों कर रहे है ?
- परिवादी रामस्वरूप आचार्य बहुत सामान्य आदमी है, जिसके द्वारा मुकदमा दर्ज करवाने पर इतनी जल्दी और इतने बड़े स्तर पर कार्यवाई नहीं होती. क्या किसी हाई प्रोफाइल नेता की नाबालिग के साथ रंगरेलियों के सबूत या वीडियो इस गैंग के पास है, जिनको सीएमओ के निर्देशों से पुलिस नष्ट करना चाहती है ?
- इस मुकदमे के 50 लाख की फिरौती देने के बाड़मेर निवासी दोनों चश्मदीद गवाह हाई प्रोफाइल है और वर्तमान में दोनों पार्षद है और सत्ता के नजदीकी है, वो दोनों फिरौती देते वक्त जोधपुर में क्या कर रहे थे ? क्या इन्होने 50 लाख की फिरौती गैंग को दिलवाई ? क्या गैंग के यह हिस्सेदार नहीं है ? इस पहलु की भी जाँच नहीं होनी चाहिए ?
- आमजन में चर्चा है की 9 नवंबर को हाई प्रोफाइल नेता के खास आदमी जोधपुर इसी गैंग के पास किसी की सीडी खरीदने गए थे. यह किसकी सीडी और किसके लिए खरीदने गए थे ? इसकी भी पुलिस को जाँच नहीं करनी चाहिए ?
- इसी महीने वकील शैलेन्द्र अरोड़ा पर बालोतरा के आसपास जानलेवा हमला हुआ था. यह किसने और क्यों करवाया था ? इसकी भी पुलिस को जाँच नहीं करनी चाहिए ?
- 5 जून 2012 को बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन ने बाड़मेर पुलिस अधीक्षक के समक्ष परिवाद पेश किया था कि महिला के साथ आपत्तिजनक सीडी उजागर करने की खबरें छापने से रोकने के नाम पर महावीर जैन ने जगदीश वगैरा के जरिए 10 लाख रूपयों की मांग की. इस पर पुलिस ने बाड़मेर कोतवाली थाने मे एफआईआर संख्या 255/12 धारा 384, 385एवं 500 आईपीसी के तहत महावीर वगैरा के विरूद्व मामला दर्ज किया था. बाद मे पुलिस ने कोर्ट में धारा 384 एवं 385, 500 आईपीसी के तहत आरोप पत्र भी दाखिल कर लिया था.
बाड़मेर पुलिस द्वारा इस प्रकरण मे लगाये गये भादस की धारा 384 के आरोपों को राजस्थान उच्च न्यायालय ने अवैध मानते हुए खारिज करने का आदेश दिया था. इसके बाद बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन ने महावीर जैन, जगदीश वगैरह से राजीनामा कर मामला खत्म कर दिया था. पुलिस को इस गैंग से इस मामले की भी पूछताछ कर हकीकत उजागर नहीं करनी चाहिए ?
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
जोधपुर रेंज में सेक्सटॉर्शन के हर दिन मुकदमे दर्ज होते है, फिर इसी मुकदमे में आईजी से डीजी तक सब निगरानी क्यों कर रहे है ?
- परिवादी रामस्वरूप आचार्य बहुत सामान्य आदमी है, जिसके द्वारा मुकदमा दर्ज करवाने पर इतनी जल्दी और इतने बड़े स्तर पर कार्यवाई नहीं होती. क्या किसी हाई प्रोफाइल नेता की नाबालिग के साथ रंगरेलियों के सबूत या वीडियो इस गैंग के पास है, जिनको सीएमओ के निर्देशों से पुलिस नष्ट करना चाहती है ?
- इस मुकदमे के 50 लाख की फिरौती देने के बाड़मेर निवासी दोनों चश्मदीद गवाह हाई प्रोफाइल है और वर्तमान में दोनों पार्षद है और सत्ता के नजदीकी है, वो दोनों फिरौती देते वक्त जोधपुर में क्या कर रहे थे ? क्या इन्होने 50 लाख की फिरौती गैंग को दिलवाई ? क्या गैंग के यह हिस्सेदार नहीं है ? इस पहलु की भी जाँच नहीं होनी चाहिए ?
- आमजन में चर्चा है की 9 नवंबर को हाई प्रोफाइल नेता के खास आदमी जोधपुर इसी गैंग के पास किसी की सीडी खरीदने गए थे. यह किसकी सीडी और किसके लिए खरीदने गए थे ? इसकी भी पुलिस को जाँच नहीं करनी चाहिए ?
- इसी महीने वकील शैलेन्द्र अरोड़ा पर बालोतरा के आसपास जानलेवा हमला हुआ था. यह किसने और क्यों करवाया था ? इसकी भी पुलिस को जाँच नहीं करनी चाहिए ?
- 5 जून 2012 को बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन ने बाड़मेर पुलिस अधीक्षक के समक्ष परिवाद पेश किया था कि महिला के साथ आपत्तिजनक सीडी उजागर करने की खबरें छापने से रोकने के नाम पर महावीर जैन ने जगदीश वगैरा के जरिए 10 लाख रूपयों की मांग की. इस पर पुलिस ने बाड़मेर कोतवाली थाने मे एफआईआर संख्या 255/12 धारा 384, 385एवं 500 आईपीसी के तहत महावीर वगैरा के विरूद्व मामला दर्ज किया था. बाद मे पुलिस ने कोर्ट में धारा 384 एवं 385, 500 आईपीसी के तहत आरोप पत्र भी दाखिल कर लिया था.
बाड़मेर पुलिस द्वारा इस प्रकरण मे लगाये गये भादस की धारा 384 के आरोपों को राजस्थान उच्च न्यायालय ने अवैध मानते हुए खारिज करने का आदेश दिया था. इसके बाद बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन ने महावीर जैन, जगदीश वगैरह से राजीनामा कर मामला खत्म कर दिया था. पुलिस को इस गैंग से इस मामले की भी पूछताछ कर हकीकत उजागर नहीं करनी चाहिए ?
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