01 May 2023 03:12 PM

जोग संजोग टाइम्स,
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने सोमवार को तलाक पर अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अगर पति-पत्नी के बीच का रिश्ता असाध्य रूप से टूट गया है और सुलह का कोई मौका नहीं है, तो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मामले को पारिवारिक अदालत में भेजे बिना तलाक दिया जा सकता है। इसके लिए छह महीने की अनिवार्य प्रतीक्षा अवधि नहीं होगी। अदालत ने उन कारकों का निर्धारण किया है जिनके आधार पर सुलह की संभावना से इंकार किया जा सकता है। यह रखरखाव, गुजारा भत्ता और बच्चों की कस्टडी सहित पति और पत्नी के बीच समानता भी सुनिश्चित करेगा।
यह फैसला जस्टिस एसके कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस एएएस ओका और जस्टिस जेके माहेश्वरी की संवैधानिक पीठ ने सुनाया।
इस मामले को एक संवैधानिक पीठ के पास यह विचार करने के लिए भेजा गया था कि क्या हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13बी के अनुसार तलाक की प्रतीक्षा अवधि को आपसी सहमति से माफ किया जा सकता है। हालांकि, बेंच ने यह भी फैसला किया कि अगर सुलह का कोई मौका नहीं मिलता है तो शादी को खत्म किया जा सकता है।
इस मामले को एक खंडपीठ ने 29 जून, 2016 को पांच जजों की संवैधानिक पीठ को भेज दिया था। पांच याचिकाओं पर लंबी सुनवाई के बाद पीठ ने 20 सितंबर, 2022 को फैसला सुनाया।
जोग संजोग टाइम्स,
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने सोमवार को तलाक पर अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि अगर पति-पत्नी के बीच का रिश्ता असाध्य रूप से टूट गया है और सुलह का कोई मौका नहीं है, तो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत मामले को पारिवारिक अदालत में भेजे बिना तलाक दिया जा सकता है। इसके लिए छह महीने की अनिवार्य प्रतीक्षा अवधि नहीं होगी। अदालत ने उन कारकों का निर्धारण किया है जिनके आधार पर सुलह की संभावना से इंकार किया जा सकता है। यह रखरखाव, गुजारा भत्ता और बच्चों की कस्टडी सहित पति और पत्नी के बीच समानता भी सुनिश्चित करेगा।
यह फैसला जस्टिस एसके कौल, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस एएएस ओका और जस्टिस जेके माहेश्वरी की संवैधानिक पीठ ने सुनाया।
इस मामले को एक संवैधानिक पीठ के पास यह विचार करने के लिए भेजा गया था कि क्या हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 13बी के अनुसार तलाक की प्रतीक्षा अवधि को आपसी सहमति से माफ किया जा सकता है। हालांकि, बेंच ने यह भी फैसला किया कि अगर सुलह का कोई मौका नहीं मिलता है तो शादी को खत्म किया जा सकता है।
इस मामले को एक खंडपीठ ने 29 जून, 2016 को पांच जजों की संवैधानिक पीठ को भेज दिया था। पांच याचिकाओं पर लंबी सुनवाई के बाद पीठ ने 20 सितंबर, 2022 को फैसला सुनाया।
RELATED ARTICLES
22 October 2025 10:52 AM
© Copyright 2021-2025, All Rights Reserved by Jogsanjog Times| Designed by amoadvisor.com