22 April 2022 11:47 AM
जोग संजोग टाइम्स,
कुम्हारों के मोहल्ले में आज एक अलग सी रौनक है। दरअसल, यहां रहने वाली बसंती और ममता की आज शादी है। दोनों सगी बहने हैं। सात बहनों के बीच एक भाई भी है। दिल दुखाने वाली बात यह है कि इन बच्चियों के पिता नहीं हैं। सिर्फ मां है। और दिल को सुकून देने वाली खबर यह है कि इन बच्चों की मुस्कान लौटाने का जिम्मा उठाया किन्नर समाज ने, जिन्होंने शादी लायक दो बहनों के विवाह का जिम्मा उठाने का जो वचन पांच साल पहले दिया था, उसे आज पूरा कर दिखाया।
शहर के एक गरीब परिवार की दो बेटियों की शादी में दिव्य समाज ने ना सिर्फ दान दहेज दिया बल्कि शादी में शामिल एक हजार मेहमानों के लिये प्रितिभोज का आयोजन भी किया। बीकानेर में मिसाल बने दिव्य समाज के इस नेक कार्य की अब चहुंओर चर्चा हो रही है। जानकारी के अनुसार कुम्हार समाज के एक गरीब परिवार की दो बेटियों का जिम्मा दिव्य समाज की गुरू रजनी बाई अग्रवाल ने लिया था, लेकिन बीते साल उनका देहावसान हो गया। उनकी शिष्या मुस्कान बाई ने अपने गुरू की जिम्मेदारी निभाते हुए कुम्हार समाज की दो बेटियों की शादी का खर्चा उठाया और दान दहेज समेत गहने भी मुहैया कराये और मंगल रस्मों में भागीदारी निभाई। मुस्कान बाई ने गरीब परिवार की दोनों बेटियों की शादी में दिव्य समाज की भागीदारी के लिये खुद को भाग्यशाली बताते हुए कहा कि कुछ साल पहले इस परिवार के घर सात बेटियों पर एक बेटा हुआ तो उनकी पुज्यनीय गुरू
रजनीबाई अपनी शिष्याओं के साथ बधाई लेने के लिये आई थी, लेकिन जब उन्हें पता चला कि गरीब परिवार के इन बच्चों के सिर से पिता का साया उठ चुका है तो उन्होंने संकल्प लिया था कि इस परिवार की दो बेटियों की शादी बीकानेर का दिव्य समाज करायेगा। मुस्कान बाई ने बताया कि मुझे खुशी है कि मैनें अपनी गुरू का संकल्प पूरा किया है। ईश्वर से मेरी कामना है कि दोनों बेटियां सदा सुहागन रहे और इनका परिवार हमेशा खुशहाल रहे।
रजनीबाई समेत पूरी टोली का दिल पसीज गया। परिवार का करुण क्रंदन उनके दिलों को चीरने लगा। मां बेसुध थी। बच्चियों के भविष्य को लेकर चिंतित थी। जाने क्या हुआ कि अचानक रजनी बाई उठी और मां को दिलासा देने के लिए जो शब्द उन्होंने इस्तेमाल किए, वे मानवता की मिसाल बन गए। रजनीबाई ने सात बेटियों में से दो बेटियों की शादी का जिम्मा उठाया। कुछ समय पहले रजनीबाई तो इस दुनिया में नहीं रही, लेकिन उनकी शिष्या मुस्कान अग्रवाल ने उस प्रतिज्ञा को पूरा करने का बीड़ा उठाया और 21 अप्रेल को इन दोनों लड़कियों की शादी संपन्न कराने में बड़ा योगदान दिया।
यूं उठाया शादी का सारा खर्च
किन्नर समाज की अध्यक्ष मुस्कान बाई अग्रवाल अपने शिष्यों के साथ इन लड़कियों के घर गई और लड़कियों की मां से बारातियों की संख्या और उनके स्वयं के घर के सदस्यों की संख्या की जानकारी लेकर
उनकी खातिरदारी की जिम्मेदारी भी ली।
यह दिया घरेलू सामान
शादी के दौरान किन्नर समाज ने दोनों बहनों की शादी के लिए घरेलू सामान में वाशिंग मशीन, एलसीडी टीवी, सोफा, सिलाई मशीन, पलंग, बर्तन, सोने की छह अंगूठियां, दोनों बहनों को चांदी की पायजेब तथा बड़ी मात्रा में कपड़े आदि भेंट किए हैं। मुस्कान बाई ने बताया कि करीब 1100 लोगों के खाने की व्यवस्था भी उन्होंने की है। उनके साथ शिष्य चंदाबाई, जलपरी, कोमल, लता बाई, तनु बाई, प्रिया बाई, मोहिनी बाई तथा समोहिनी आदि ने भी शादी की तैयारियों में सहयोग किया।
अब तक करवाई सात बेटियों की शादी
मुस्कान बाई अग्रवाल ने बताया कि किन्नर समाज की ओर से अब तक सात लड़कियों की शादी कराई जा चुकी है। इसके अलावा कोविड के दौरान लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था करना और नहर बंदी के समय पीबीएम अस्पताल में पानी की व्यवस्था जैसे कार्य समाज करता रहता है।
जोग संजोग टाइम्स,
कुम्हारों के मोहल्ले में आज एक अलग सी रौनक है। दरअसल, यहां रहने वाली बसंती और ममता की आज शादी है। दोनों सगी बहने हैं। सात बहनों के बीच एक भाई भी है। दिल दुखाने वाली बात यह है कि इन बच्चियों के पिता नहीं हैं। सिर्फ मां है। और दिल को सुकून देने वाली खबर यह है कि इन बच्चों की मुस्कान लौटाने का जिम्मा उठाया किन्नर समाज ने, जिन्होंने शादी लायक दो बहनों के विवाह का जिम्मा उठाने का जो वचन पांच साल पहले दिया था, उसे आज पूरा कर दिखाया।
शहर के एक गरीब परिवार की दो बेटियों की शादी में दिव्य समाज ने ना सिर्फ दान दहेज दिया बल्कि शादी में शामिल एक हजार मेहमानों के लिये प्रितिभोज का आयोजन भी किया। बीकानेर में मिसाल बने दिव्य समाज के इस नेक कार्य की अब चहुंओर चर्चा हो रही है। जानकारी के अनुसार कुम्हार समाज के एक गरीब परिवार की दो बेटियों का जिम्मा दिव्य समाज की गुरू रजनी बाई अग्रवाल ने लिया था, लेकिन बीते साल उनका देहावसान हो गया। उनकी शिष्या मुस्कान बाई ने अपने गुरू की जिम्मेदारी निभाते हुए कुम्हार समाज की दो बेटियों की शादी का खर्चा उठाया और दान दहेज समेत गहने भी मुहैया कराये और मंगल रस्मों में भागीदारी निभाई। मुस्कान बाई ने गरीब परिवार की दोनों बेटियों की शादी में दिव्य समाज की भागीदारी के लिये खुद को भाग्यशाली बताते हुए कहा कि कुछ साल पहले इस परिवार के घर सात बेटियों पर एक बेटा हुआ तो उनकी पुज्यनीय गुरू
रजनीबाई अपनी शिष्याओं के साथ बधाई लेने के लिये आई थी, लेकिन जब उन्हें पता चला कि गरीब परिवार के इन बच्चों के सिर से पिता का साया उठ चुका है तो उन्होंने संकल्प लिया था कि इस परिवार की दो बेटियों की शादी बीकानेर का दिव्य समाज करायेगा। मुस्कान बाई ने बताया कि मुझे खुशी है कि मैनें अपनी गुरू का संकल्प पूरा किया है। ईश्वर से मेरी कामना है कि दोनों बेटियां सदा सुहागन रहे और इनका परिवार हमेशा खुशहाल रहे।
रजनीबाई समेत पूरी टोली का दिल पसीज गया। परिवार का करुण क्रंदन उनके दिलों को चीरने लगा। मां बेसुध थी। बच्चियों के भविष्य को लेकर चिंतित थी। जाने क्या हुआ कि अचानक रजनी बाई उठी और मां को दिलासा देने के लिए जो शब्द उन्होंने इस्तेमाल किए, वे मानवता की मिसाल बन गए। रजनीबाई ने सात बेटियों में से दो बेटियों की शादी का जिम्मा उठाया। कुछ समय पहले रजनीबाई तो इस दुनिया में नहीं रही, लेकिन उनकी शिष्या मुस्कान अग्रवाल ने उस प्रतिज्ञा को पूरा करने का बीड़ा उठाया और 21 अप्रेल को इन दोनों लड़कियों की शादी संपन्न कराने में बड़ा योगदान दिया।
यूं उठाया शादी का सारा खर्च
किन्नर समाज की अध्यक्ष मुस्कान बाई अग्रवाल अपने शिष्यों के साथ इन लड़कियों के घर गई और लड़कियों की मां से बारातियों की संख्या और उनके स्वयं के घर के सदस्यों की संख्या की जानकारी लेकर
उनकी खातिरदारी की जिम्मेदारी भी ली।
यह दिया घरेलू सामान
शादी के दौरान किन्नर समाज ने दोनों बहनों की शादी के लिए घरेलू सामान में वाशिंग मशीन, एलसीडी टीवी, सोफा, सिलाई मशीन, पलंग, बर्तन, सोने की छह अंगूठियां, दोनों बहनों को चांदी की पायजेब तथा बड़ी मात्रा में कपड़े आदि भेंट किए हैं। मुस्कान बाई ने बताया कि करीब 1100 लोगों के खाने की व्यवस्था भी उन्होंने की है। उनके साथ शिष्य चंदाबाई, जलपरी, कोमल, लता बाई, तनु बाई, प्रिया बाई, मोहिनी बाई तथा समोहिनी आदि ने भी शादी की तैयारियों में सहयोग किया।
अब तक करवाई सात बेटियों की शादी
मुस्कान बाई अग्रवाल ने बताया कि किन्नर समाज की ओर से अब तक सात लड़कियों की शादी कराई जा चुकी है। इसके अलावा कोविड के दौरान लोगों के लिए भोजन की व्यवस्था करना और नहर बंदी के समय पीबीएम अस्पताल में पानी की व्यवस्था जैसे कार्य समाज करता रहता है।
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08 January 2023 01:40 PM
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