07 October 2022 09:47 PM

जोग संजोग टाइम्स,
पी.बी.एम. अस्पताल के मानसिक एवं नशामुक्ति विभाग में चल रहे सात दिवसीय मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के तहत  शुक्रवार को बाल रोग विभाग में रखा गया है। कार्यक्रम की शुरूआत बाल रोग विभाग के आचार्य एवं विभागाध्यक्ष डॉक्टर पी.के. बेरवाल द्वारा किया गया। उन्होंने मनोचिकित्सा एवं नशामुक्ति विभाग के आचार्य एवं विभागाध्यक्ष डॉ. श्रीगोपाल ने बाल अवस्था मे होने वाली अलग-अलग बीमारियों के लक्षणों के बारे में बताया।
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिस्ऑर्डर वाले बच्चो में यह लक्षण दिख सकते हैं - उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चे नजरे मिलाकर बात न कर पाना, कम या बिल्कुल भी ना हंसना के लक्षण होते है।
ए.डी.एच.डी. के बच्चो में लक्षण -  बहुत अधिक बेचौनी या गुस्सा, कोई भी काम में ज्यादा देर तक ध्यान नही लगा पाना, किसी और के कुछ बोलने से पहले धैर्य खोना, अपनी बारी का इन्तजार करने में असमर्थ होना। बच्चो में एंग्जाइटी और फोबिया भी काफी सामान्य है। उन्होंने बताया कि बच्चो में भूख या नींद में बदलाव, चिडचिडापन तथा उन गतिविधियों का आनंद न ले पाना जो की बच्चे पहले आनंद लेकर करता था, ध्यान लगाने में परेशानी होना आदि डिप्रेशन के लक्षण हो सकते है।
क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. अन्जू ठकराल ने रेजिडेन्ट डॉक्टर के तनाव को कम करने के लिए सी.बी.टी. के बारे में चर्चा की और गाउंडिंग टेक्निक का अभ्यास करवाया। कनिष्ठ विशेषज्ञ डॉ. रविन्द्र पंवार ने भी अपने विचार रखे। इसके साथ सहायक आचार्य डॉक्टर निशान्त चौधरी तथा एनएमएचपी से सी.आर.ए.विनोद कुमार पंचारिया द्वारा अपना घर आश्रम में कार्यक्रम आयोजित किया गया।
जोग संजोग टाइम्स,
पी.बी.एम. अस्पताल के मानसिक एवं नशामुक्ति विभाग में चल रहे सात दिवसीय मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह के तहत  शुक्रवार को बाल रोग विभाग में रखा गया है। कार्यक्रम की शुरूआत बाल रोग विभाग के आचार्य एवं विभागाध्यक्ष डॉक्टर पी.के. बेरवाल द्वारा किया गया। उन्होंने मनोचिकित्सा एवं नशामुक्ति विभाग के आचार्य एवं विभागाध्यक्ष डॉ. श्रीगोपाल ने बाल अवस्था मे होने वाली अलग-अलग बीमारियों के लक्षणों के बारे में बताया।
ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिस्ऑर्डर वाले बच्चो में यह लक्षण दिख सकते हैं - उन्होंने बताया कि ऐसे बच्चे नजरे मिलाकर बात न कर पाना, कम या बिल्कुल भी ना हंसना के लक्षण होते है।
ए.डी.एच.डी. के बच्चो में लक्षण -  बहुत अधिक बेचौनी या गुस्सा, कोई भी काम में ज्यादा देर तक ध्यान नही लगा पाना, किसी और के कुछ बोलने से पहले धैर्य खोना, अपनी बारी का इन्तजार करने में असमर्थ होना। बच्चो में एंग्जाइटी और फोबिया भी काफी सामान्य है। उन्होंने बताया कि बच्चो में भूख या नींद में बदलाव, चिडचिडापन तथा उन गतिविधियों का आनंद न ले पाना जो की बच्चे पहले आनंद लेकर करता था, ध्यान लगाने में परेशानी होना आदि डिप्रेशन के लक्षण हो सकते है।
क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट डॉ. अन्जू ठकराल ने रेजिडेन्ट डॉक्टर के तनाव को कम करने के लिए सी.बी.टी. के बारे में चर्चा की और गाउंडिंग टेक्निक का अभ्यास करवाया। कनिष्ठ विशेषज्ञ डॉ. रविन्द्र पंवार ने भी अपने विचार रखे। इसके साथ सहायक आचार्य डॉक्टर निशान्त चौधरी तथा एनएमएचपी से सी.आर.ए.विनोद कुमार पंचारिया द्वारा अपना घर आश्रम में कार्यक्रम आयोजित किया गया।
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