19 October 2022 03:19 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
पिता के संघर्ष और बेटे के समर्पण की फिल्म जैसी कहानी का दुखद अंत हो गया। नागौर के लोग इससे सदमे में हैं। सोमवार रात पिता की एक्सीडेंट में मौत हो गई।दरअसल, ट्रक चालक पिता ने बेटे को आईएएस बनाने के लिए जिंदगी मिट्टी के बर्तन और ट्रक ड्राइवरी करते हुए बिता दी। बेटे ने भी अपने स्वाभिमानी पिता का हर मंच पर हाथ थामे रखा, लेकिन एक हादसे से यह अनोखी जोड़ी टूट गई। पिता को अपने काम से प्यार था, वह काम को ही पूजा मानते थे, इसलिए बेटा अफसर बन गया तब भी ड्राइवरी नहीं छोड़ी थी। बेटा फिलहाल आईएएस की ट्रेनिंग कर रहा है।नागौर के जायल तहसील के रहने वाले पवन प्रजापत का नाम उस वक्त सुर्खियों में आया जब उन्होंने यूपीएससी में 551वीं रैंक हासिल की। उनकी इस सफलता के सहयोगी थे उनके पिता रामेश्वर लाल प्रजापत। जिन्होंने बेटे के सपने को पूरा करने के लिए अपनी जिंदगी सड़कों पर निकाल दी।हालांकि, पवन जब आईएएस के लिए सिलेक्ट हुए तब भी वे राजस्थान प्रशासनिक सर्विसेज (RAS) थे, लेकिन इन सब के बीच भी उनके पिता ने कभी ट्रक चलाना बंद नहीं किया।बेटे ने मना किया तो उन्होंने दूसरे का ट्रक चलाना छोड़कर फाइनेंस पर अपना ट्रक खरीद लिया। दरअसल, रामेश्वर (54) अपने काम को भगवान मानते रहे और अपने दोनों बेटों को भी उन्होंने यही सिखाया। पवन का छोटा भाई कॉम्पिटिशन की तैयारी कर रहा है।ये संयोग या विडंबना सोमवार शाम को रामेश्वर ट्रक लेकर नागौर लौट रहे थे, लेकिन दौसा के आंधी में एक बेकाबू ट्रॉले ने उनके ट्रक को टक्कर मार दी। इस एक्सीडेंट में रामेश्वर की मौके पर ही मौत हो गई। ये वही जगह थी जहां कुछ महीने पहले उन्हें बेटे के आईएएस में सिलेक्ट होने की जानकारी उन्हें मिली थी।
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
पिता के संघर्ष और बेटे के समर्पण की फिल्म जैसी कहानी का दुखद अंत हो गया। नागौर के लोग इससे सदमे में हैं। सोमवार रात पिता की एक्सीडेंट में मौत हो गई।दरअसल, ट्रक चालक पिता ने बेटे को आईएएस बनाने के लिए जिंदगी मिट्टी के बर्तन और ट्रक ड्राइवरी करते हुए बिता दी। बेटे ने भी अपने स्वाभिमानी पिता का हर मंच पर हाथ थामे रखा, लेकिन एक हादसे से यह अनोखी जोड़ी टूट गई। पिता को अपने काम से प्यार था, वह काम को ही पूजा मानते थे, इसलिए बेटा अफसर बन गया तब भी ड्राइवरी नहीं छोड़ी थी। बेटा फिलहाल आईएएस की ट्रेनिंग कर रहा है।नागौर के जायल तहसील के रहने वाले पवन प्रजापत का नाम उस वक्त सुर्खियों में आया जब उन्होंने यूपीएससी में 551वीं रैंक हासिल की। उनकी इस सफलता के सहयोगी थे उनके पिता रामेश्वर लाल प्रजापत। जिन्होंने बेटे के सपने को पूरा करने के लिए अपनी जिंदगी सड़कों पर निकाल दी।हालांकि, पवन जब आईएएस के लिए सिलेक्ट हुए तब भी वे राजस्थान प्रशासनिक सर्विसेज (RAS) थे, लेकिन इन सब के बीच भी उनके पिता ने कभी ट्रक चलाना बंद नहीं किया।बेटे ने मना किया तो उन्होंने दूसरे का ट्रक चलाना छोड़कर फाइनेंस पर अपना ट्रक खरीद लिया। दरअसल, रामेश्वर (54) अपने काम को भगवान मानते रहे और अपने दोनों बेटों को भी उन्होंने यही सिखाया। पवन का छोटा भाई कॉम्पिटिशन की तैयारी कर रहा है।ये संयोग या विडंबना सोमवार शाम को रामेश्वर ट्रक लेकर नागौर लौट रहे थे, लेकिन दौसा के आंधी में एक बेकाबू ट्रॉले ने उनके ट्रक को टक्कर मार दी। इस एक्सीडेंट में रामेश्वर की मौके पर ही मौत हो गई। ये वही जगह थी जहां कुछ महीने पहले उन्हें बेटे के आईएएस में सिलेक्ट होने की जानकारी उन्हें मिली थी।
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