25 May 2021 06:58 PM
जोग संजोग टाइम्स
कोरोना के कहर के बाद देश में बढ़ रहे ब्लैक फंगस के मामलों को लेकर सरकार चितिंत है। इसके लिए इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा एम्फोटेरिसिन-बी (Amphotericin- B) की कमी को ध्यान में रखते हुए आज 19,420 अतिरिक्त शीशियों को सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय संस्थानों को आवंटित की गई है। इसके अलावा 21 मई को भी एम्फोटेरिसिन-बी की 23680 शीशियों को देशभर में आवंटित किया गया था। रसायन और उर्वरक मंत्रालय (Ministry of Chemicals and Fertilizers) ने इसकी जानकारी दी है।
जानें किन राज्यों को कितनी मिली शीशियां
आंध्र प्रदेश (1840) बिहार (120) चंडीगढ़ (50) दिल्ली (400) गोवा (50) गुजरात (4640) हरियाणा (640) जम्मू कश्मीर( 50) झारखंड(60) कर्नाटक (1030) केरल (1470) मध्य प्रदेश (1470) महाराष्ट्र (4060) ओडिशा (50) पंजाब (200) राजस्थान (1430) तमिलनाडु (100) तेलंगाना (700) यूपी (1260) उत्तराखंड (70) केंद्रीय संस्थान( 900) शीशियां आवंटित की गई है।
म्युकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस को लेकर लोगों के मन में अलग-अलग प्रकार संशय बने हुए है। इस बीचनई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया स्थिति बेहद स्पष्ट कर दी है। उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस एक फंगल इंफेक्शन है, जो कि किसी संक्रमित मरीज के संपर्क में आने से नहीं फैलता है। यह मरीज की प्रतिरोधक क्षमता के कम होने से भी होता है। ऐसे लोगों को और वो भी कोरोना से संक्रमित मरीजों को ये बीमारी होने की आशंका होती है।
डाक्टर गुलेरिया के मुताबिक ये फंगल इंफेक्शन मुख्य रूप से नाक, आंख और इसके आसपास की हड्डियों में होता है और यहां से ये मरीज के मसतिष्क में पहुंच जाता है, जो बाद में खतरनाक रूप धारण कर लेता। इसके साथ ही कभी कभी ये फैंफड़ों और पेट में भी मिल जाता है। गुलेरिया का मानना है कि शरीर के अंदर पहले से ही फंगस मौजूद होते हैं, लेकिन बेहतर प्रतिरोधक क्षमता की वजह से ये शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं। पर जैसे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती जाती है ये फंगल इंफेक्शन शरीर के कुछ खास हिस्सों पर हमला करना शुरू कर देते हैं।
जोग संजोग टाइम्स
कोरोना के कहर के बाद देश में बढ़ रहे ब्लैक फंगस के मामलों को लेकर सरकार चितिंत है। इसके लिए इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा एम्फोटेरिसिन-बी (Amphotericin- B) की कमी को ध्यान में रखते हुए आज 19,420 अतिरिक्त शीशियों को सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय संस्थानों को आवंटित की गई है। इसके अलावा 21 मई को भी एम्फोटेरिसिन-बी की 23680 शीशियों को देशभर में आवंटित किया गया था। रसायन और उर्वरक मंत्रालय (Ministry of Chemicals and Fertilizers) ने इसकी जानकारी दी है।
जानें किन राज्यों को कितनी मिली शीशियां
आंध्र प्रदेश (1840) बिहार (120) चंडीगढ़ (50) दिल्ली (400) गोवा (50) गुजरात (4640) हरियाणा (640) जम्मू कश्मीर( 50) झारखंड(60) कर्नाटक (1030) केरल (1470) मध्य प्रदेश (1470) महाराष्ट्र (4060) ओडिशा (50) पंजाब (200) राजस्थान (1430) तमिलनाडु (100) तेलंगाना (700) यूपी (1260) उत्तराखंड (70) केंद्रीय संस्थान( 900) शीशियां आवंटित की गई है।
म्युकोरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस को लेकर लोगों के मन में अलग-अलग प्रकार संशय बने हुए है। इस बीचनई दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) के निदेशक डॉक्टर रणदीप गुलेरिया स्थिति बेहद स्पष्ट कर दी है। उन्होंने कहा कि ब्लैक फंगस एक फंगल इंफेक्शन है, जो कि किसी संक्रमित मरीज के संपर्क में आने से नहीं फैलता है। यह मरीज की प्रतिरोधक क्षमता के कम होने से भी होता है। ऐसे लोगों को और वो भी कोरोना से संक्रमित मरीजों को ये बीमारी होने की आशंका होती है।
डाक्टर गुलेरिया के मुताबिक ये फंगल इंफेक्शन मुख्य रूप से नाक, आंख और इसके आसपास की हड्डियों में होता है और यहां से ये मरीज के मसतिष्क में पहुंच जाता है, जो बाद में खतरनाक रूप धारण कर लेता। इसके साथ ही कभी कभी ये फैंफड़ों और पेट में भी मिल जाता है। गुलेरिया का मानना है कि शरीर के अंदर पहले से ही फंगस मौजूद होते हैं, लेकिन बेहतर प्रतिरोधक क्षमता की वजह से ये शरीर को नुकसान नहीं पहुंचा पाते हैं। पर जैसे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कम होती जाती है ये फंगल इंफेक्शन शरीर के कुछ खास हिस्सों पर हमला करना शुरू कर देते हैं।
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