18 May 2021 01:40 PM
जोग संजोग टाइम्स
बदरीनाथ: बदरीनाथ धाम के कपाट आज (मंगलवार) तड़के सुबह 4:15 बजे वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ खोल दिए गए। पूरे मंदिर को 20 कुंतल फूलों से सजाया गया है। कपाट खोलने के दौरान वहां पर सोशल डिसटेंसिंग का पालन करते हुए मुख्य पुजारी रावल के साथ कुछ लोग ही मौजूद थे।
ऐसा दूसरी बार हुआ है जब बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुलने के समय सीमित संख्या में ही लोग मौजूद रहे। पुजारी रावल के अलावा धर्माधिकारी, अपर धर्माधिकारी, सीमित संख्या में ही हक हकूकधारी और देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी, कर्मचारी मौजूद रहे। बदरीनाथ मंदिर के कपाट मंगलवार तड़के सुबह पुष्य नक्षत्र और वृष लग्न में ब्रह्ममुहूर्त में 4:15 बजे विधि-विधान व वेद मंत्रोच्चार के बीच खोल दिए गए। सबसे पहले बदरीनाथ मंदिर के सिंहद्वार के द्वार को खोले गया।
आपको बता दें कि कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए पांडुकेश्वर से उत्सव डोली के साथ बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी, धर्माधिकारी भुवन उनियाल, अपर धर्माधिकारी राधकृष्ण थपलियाल, सत्य प्रसाद चमोला, वेदपाठी भट्ट, भितला बड़वा ज्योतिष डिमरी, अंकित डिमरी, हरीश डिमरी, पुजारी गण, मंदिर व्यवस्था से जुड़े हुए हक हकूकधारी मेहता, भंडारी, कमदी, रैंकवाल थोक के प्रतिनिधि ही मौजूद रहे।
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बदरीनाथ: बदरीनाथ धाम के कपाट आज (मंगलवार) तड़के सुबह 4:15 बजे वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ खोल दिए गए। पूरे मंदिर को 20 कुंतल फूलों से सजाया गया है। कपाट खोलने के दौरान वहां पर सोशल डिसटेंसिंग का पालन करते हुए मुख्य पुजारी रावल के साथ कुछ लोग ही मौजूद थे।
ऐसा दूसरी बार हुआ है जब बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुलने के समय सीमित संख्या में ही लोग मौजूद रहे। पुजारी रावल के अलावा धर्माधिकारी, अपर धर्माधिकारी, सीमित संख्या में ही हक हकूकधारी और देवस्थानम बोर्ड के अधिकारी, कर्मचारी मौजूद रहे। बदरीनाथ मंदिर के कपाट मंगलवार तड़के सुबह पुष्य नक्षत्र और वृष लग्न में ब्रह्ममुहूर्त में 4:15 बजे विधि-विधान व वेद मंत्रोच्चार के बीच खोल दिए गए। सबसे पहले बदरीनाथ मंदिर के सिंहद्वार के द्वार को खोले गया।
आपको बता दें कि कोविड गाइडलाइन का पालन करते हुए पांडुकेश्वर से उत्सव डोली के साथ बदरीनाथ धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वर प्रसाद नंबूदरी, धर्माधिकारी भुवन उनियाल, अपर धर्माधिकारी राधकृष्ण थपलियाल, सत्य प्रसाद चमोला, वेदपाठी भट्ट, भितला बड़वा ज्योतिष डिमरी, अंकित डिमरी, हरीश डिमरी, पुजारी गण, मंदिर व्यवस्था से जुड़े हुए हक हकूकधारी मेहता, भंडारी, कमदी, रैंकवाल थोक के प्रतिनिधि ही मौजूद रहे।
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