11 February 2022 11:59 AM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
मिली जानकारी के अनुसार राजस्थान सरकार 15 दिसंबर 2021 को गोचर पर पट्टे देने के मंत्रिमंडल के निर्णय के मामले में जनांदोलन और राजस्थान उच्च न्यायालय के निर्णय के दवाब में है। इसी दवाब में मुख्यमंत्री के निर्देश पर आंदोलनकारियों के शिष्टमंडल के साथ संभागीय डा. पवन के. नीरज के साथ वार्ता की और यह वार्ता संतोषजनक रही। संभागीय आयुक्त ने आंदोलनकारियों का पक्ष सुनने के बाद माना कि सरकार और गोचर आंदोलनकारी गोचर के मुद्दे पर एकमत है। कहने को सरकार की ओर से कुछ भी कहा जाए पर यह बात सच है कि सरकार इस मुद्दे पर बैकफुट पर आ गई है। जनता के सामने बैकफुट पर आना ही सरकार का बचाव है, क्योंकि राजस्थान उच्च न्यायलय के
मुख्य न्यायाधीश अकील कुरेशी की बैंच ने गोचर भूमि को लेकर दिए दिशा निर्देश में
राज्य सरकार से राज्य की गोचर भूमि का पूरा ब्योरा मांगा है।
• साथ ही साथ गोचर भूमि पर अनधिकृत कब्जे की जानकारी चाही है। गोचर से कब्जों को खाली करवाने के आदेश भी दिए गए।
न्यायलय ने यह भी साफ किया की गोचर भूमि पर खादेदारी नही दी जा सकती। संभागीय आयुक्त ने तो वार्ता के दौरान ही बीकानेर संभाग के सभी जिलों से उक्त रिपोर्ट तैयार करने के अतिरिक्त संभागीय आयुक्त को निर्देश दिए।
वार्ता के दौरान गोचर मुद्दे पर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे देवी सिंह भाटी ने सर्वोच्य न्यायालय के निर्णय के खिलाफ राज्य सरकार ने जो यह निर्णय लिया है उसको वापस लें । राज्य सरकार ने पंचायती राज व ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से प्रस्तावित गोचर संरक्षण एव विकास योजना (2011 में निर्णय लिया था कि मनरेगा ) के तहत गोचर चारागाह विकास, स्थानीय प्रजाति के पेड़ लगाने और अतिक्रमण हटाने के न
नीतिगत निर्णय की क्रियान्वित की जाए। भाटी ने कहा कि मंत्री मण्डलीय निर्णय के बाद नये अतिक्रमण हो रहे है उन्हें भी तुरन्त प्रभाव से रोका जाए । वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की समिति बनाकर वर्तमान में गोचर , ओरण में जनहित में भूमि अवाप्ति करने का जो नियम है उसे निरस्त किया जाए। संभागीय आयुक्त व जिला कलक्टर से सकारात्मक चर्चा हुई जिसमें उन्होंने आश्वासन दिया है कि राजस्थान सरकार तक आपकी भावना पहुंचाकर सरकार के निर्णय से आंदोलनकारियों को अवगत करवा दिया जाएगा। दरअसल गोचर का मुद्दा जनांदोलन बन गया। गोचर और गाय से जुड़ी संस्थाएं गोचर की सुरक्षा और चारागाह विकास चाहते हैं। जनता की चाह का विकास मॉडल बीकानेर शहर से सटी सरेह नथानिया, गंगाश्हर भीनासर की 34 हजार बीघा गोचर में हो रहा है जो संभागीय आयुक्त खुद देख चुके है। सरकार की ओर से पट्टे देने का निर्णय तो वापस लेना ही आंदोलनकारियों का मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि गोचर की सुरक्षा और विकास अब मुख्य मुद्दा बन गया है। गोचर के मामले पर राजस्थान गो सेवा समिति के अध्यक्ष दिनेश गिरी जो आंदोलन के अगुवा लोगों में से का कहना है कि अब सरकार के साथ मिलकर गोचर सुरक्षा और विकास का काम किया जाना है। सरकार के साथ इस मुद्दे पर जनता खड़ी है। देखना है सरकार का रुख कैसे करवट लेता है। वास्तव में देखा जाए तो इस आंदोलन का असली मंतव्य और गाय गोचर का भला चाहने वालों कृतित्व अब ही सामने आएगा। जो अब तक हुआ है वो बेमिसाल है।
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
मिली जानकारी के अनुसार राजस्थान सरकार 15 दिसंबर 2021 को गोचर पर पट्टे देने के मंत्रिमंडल के निर्णय के मामले में जनांदोलन और राजस्थान उच्च न्यायालय के निर्णय के दवाब में है। इसी दवाब में मुख्यमंत्री के निर्देश पर आंदोलनकारियों के शिष्टमंडल के साथ संभागीय डा. पवन के. नीरज के साथ वार्ता की और यह वार्ता संतोषजनक रही। संभागीय आयुक्त ने आंदोलनकारियों का पक्ष सुनने के बाद माना कि सरकार और गोचर आंदोलनकारी गोचर के मुद्दे पर एकमत है। कहने को सरकार की ओर से कुछ भी कहा जाए पर यह बात सच है कि सरकार इस मुद्दे पर बैकफुट पर आ गई है। जनता के सामने बैकफुट पर आना ही सरकार का बचाव है, क्योंकि राजस्थान उच्च न्यायलय के
मुख्य न्यायाधीश अकील कुरेशी की बैंच ने गोचर भूमि को लेकर दिए दिशा निर्देश में
राज्य सरकार से राज्य की गोचर भूमि का पूरा ब्योरा मांगा है।
• साथ ही साथ गोचर भूमि पर अनधिकृत कब्जे की जानकारी चाही है। गोचर से कब्जों को खाली करवाने के आदेश भी दिए गए।
न्यायलय ने यह भी साफ किया की गोचर भूमि पर खादेदारी नही दी जा सकती। संभागीय आयुक्त ने तो वार्ता के दौरान ही बीकानेर संभाग के सभी जिलों से उक्त रिपोर्ट तैयार करने के अतिरिक्त संभागीय आयुक्त को निर्देश दिए।
वार्ता के दौरान गोचर मुद्दे पर आंदोलन का नेतृत्व कर रहे देवी सिंह भाटी ने सर्वोच्य न्यायालय के निर्णय के खिलाफ राज्य सरकार ने जो यह निर्णय लिया है उसको वापस लें । राज्य सरकार ने पंचायती राज व ग्रामीण विकास विभाग के माध्यम से प्रस्तावित गोचर संरक्षण एव विकास योजना (2011 में निर्णय लिया था कि मनरेगा ) के तहत गोचर चारागाह विकास, स्थानीय प्रजाति के पेड़ लगाने और अतिक्रमण हटाने के न
नीतिगत निर्णय की क्रियान्वित की जाए। भाटी ने कहा कि मंत्री मण्डलीय निर्णय के बाद नये अतिक्रमण हो रहे है उन्हें भी तुरन्त प्रभाव से रोका जाए । वरिष्ठ आईएएस अधिकारियों की समिति बनाकर वर्तमान में गोचर , ओरण में जनहित में भूमि अवाप्ति करने का जो नियम है उसे निरस्त किया जाए। संभागीय आयुक्त व जिला कलक्टर से सकारात्मक चर्चा हुई जिसमें उन्होंने आश्वासन दिया है कि राजस्थान सरकार तक आपकी भावना पहुंचाकर सरकार के निर्णय से आंदोलनकारियों को अवगत करवा दिया जाएगा। दरअसल गोचर का मुद्दा जनांदोलन बन गया। गोचर और गाय से जुड़ी संस्थाएं गोचर की सुरक्षा और चारागाह विकास चाहते हैं। जनता की चाह का विकास मॉडल बीकानेर शहर से सटी सरेह नथानिया, गंगाश्हर भीनासर की 34 हजार बीघा गोचर में हो रहा है जो संभागीय आयुक्त खुद देख चुके है। सरकार की ओर से पट्टे देने का निर्णय तो वापस लेना ही आंदोलनकारियों का मुद्दा नहीं रह गया है, बल्कि गोचर की सुरक्षा और विकास अब मुख्य मुद्दा बन गया है। गोचर के मामले पर राजस्थान गो सेवा समिति के अध्यक्ष दिनेश गिरी जो आंदोलन के अगुवा लोगों में से का कहना है कि अब सरकार के साथ मिलकर गोचर सुरक्षा और विकास का काम किया जाना है। सरकार के साथ इस मुद्दे पर जनता खड़ी है। देखना है सरकार का रुख कैसे करवट लेता है। वास्तव में देखा जाए तो इस आंदोलन का असली मंतव्य और गाय गोचर का भला चाहने वालों कृतित्व अब ही सामने आएगा। जो अब तक हुआ है वो बेमिसाल है।
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18 September 2025 12:36 PM
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