04 July 2021 12:24 PM
जयपुर/बीकानेर, राजस्थान कांग्रेस में चल रहे सियासी घमासान के बीच गहलोत-पायलट खेमे में सुलह के आसार नजर आने लगे हैं। इस्तीफा दे चुके पायलट समर्थक विधायक हेमाराम चौधरी का इस्तीफा नामंजूर कर लिया गया है। हालांकि, इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, मगर इस्तीफे पर फैसला लेने के बजाय उन्हें विधानसभा के राजकीय उपक्रम समिति का सभापति बना दिया गया है
विधानसभा समितियों में पायलट खेमे के विधायकों को अहम जिम्मेदारियां दी गई हैं। खास तौर परराजकीय उपक्रम समिति का सभापति की जिम्मेदारी इस्तीफे की पेशकश कर चुके विधायक हेमाराम चौधरी को सौंपी गई हैं। यानी इन समितियों के जरिए पायलट कैंप के नेताओं को एडजस्ट करने के साथ-साथ हेमाराम चौधरी इस्तीफा प्रकरण का भी पटाक्षेप कर दिया गया है।
विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने ही हेमाराम को अहम समिति का सभापति बनाया है, जिसका सीधा मतलब है कि उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया।
पायलट कैंप के कई विधायकों को अहम जिम्मेदारी
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट कैंप के बीच जारी सियासी खींचतान के बीच विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी द्वारा विधानसभा की 19 कमेटियों के पुनर्गठन में पायलट कैंप के कई नेताओं को अहम जिम्मेदारियां देने से सियासी संकेत साफ नजर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि अगर स्पीकर उनका इस्तीफा मंजूर करते तो उन्हें विधानसभा समिति का सभापति नहीं बनाते।
दरअसल, हेमाराम चौधरी ने 18 मई को ई-मेल और डाक से इस्तीफा भेजा था। स्पीकर ने लॉकडाउन खत्म होने के बाद उन्हें सात दिन में समय लेकर पेश होने को कहा था। पिछले दिनों हेमाराम जयुपर आए, लेकिन विधानसभा सचिवालय ने मोडिफाइड लॉकडाउन होने का तर्क देकर लॉकडाउन पूरी तरह खत्म होने के बाद ही आने को कहा था। इसी बीच हेमाराम को विधानसभा की राजकीय उपक्रमसमिति का सभापति बना दिया है।
डोटासरा ने की थी हेमाराम से लंबी बातचीत
हेमाराम के इस्तीफा देने के बाद उनकी मांगों को लेकर दो बार कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने उनसे लंबी बात की थीं। उसके बाद भी हेमाराम इस्तीफे पर अडिग थें। हेमाराम के इस्तीफे के दबाव के बाद उनके विधानसभा क्षेत्र में दो ग्रिड सब स्टेशन और पानी की स्कीम को मंजूरी देने की बात आगे बढ़ी। यानी कहा जा सकता है हेमाराम चौधरी की दवाब की राजनीतिक काम कर गई है।
हेमाराम चौधरी के अलावा पायलट कैंप के अन्य विधायकों को भी अहम जिम्मेदारियां दी गई हैं। सचिन पायलट समर्थक विधायक मुरारीलाल मीणा को जनलेखा समिति और सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति सदस्य बनाया हैं। वेद प्रकाश सोलंकी को विशेषाधिकार समिति और अधीनस्थ विधान समिति, राकेश पारीक को नियम समिति, पर्यावरण संबंधी समिति में सदस्य बनाया। रामनिवास गावड़िया को पुस्तकालय समिति और पिछड़े वर्ग के कल्याण संबंधी समिति में लिया है।
जीआर खटाणा को याचिका समिति और पिछड़े वर्ग के कल्याण संबंधी समिति में लिया है। इसके अलावा, हरीश मीणा को एस्टीमेट कमेटी में, इंद्राज सिंह गुर्जर को सरकारी आश्वासनों संबंधीसमिति में सदस्य बनाया है। अमर सिंह जाटव को एससी कल्याण समिति का सदस्य बनाया है। वीरेंद्र सिंह को राजकीय उपक्रम समिति का और पिछड़े वर्ग के कल्याण संबंधी समिति में लिया है।वर्तमान सियासी हालातों में इन समितियों में पायलट कैंप के विधायकों को अहम जिम्मेदारियां मिलने से संदेश गया है कि पार्टी आलाकमान राजस्थान के सियासी मसलों का हर हाल में समाधान चाहता है। यानी कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में मंत्रिमंडल विस्तार और पॉलिटिकल अपॉइंटमेंट में भी पायलट कैंप को तवज्जो मिल सकती है।
जयपुर/बीकानेर, राजस्थान कांग्रेस में चल रहे सियासी घमासान के बीच गहलोत-पायलट खेमे में सुलह के आसार नजर आने लगे हैं। इस्तीफा दे चुके पायलट समर्थक विधायक हेमाराम चौधरी का इस्तीफा नामंजूर कर लिया गया है। हालांकि, इसकी आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, मगर इस्तीफे पर फैसला लेने के बजाय उन्हें विधानसभा के राजकीय उपक्रम समिति का सभापति बना दिया गया है
विधानसभा समितियों में पायलट खेमे के विधायकों को अहम जिम्मेदारियां दी गई हैं। खास तौर परराजकीय उपक्रम समिति का सभापति की जिम्मेदारी इस्तीफे की पेशकश कर चुके विधायक हेमाराम चौधरी को सौंपी गई हैं। यानी इन समितियों के जरिए पायलट कैंप के नेताओं को एडजस्ट करने के साथ-साथ हेमाराम चौधरी इस्तीफा प्रकरण का भी पटाक्षेप कर दिया गया है।
विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी ने ही हेमाराम को अहम समिति का सभापति बनाया है, जिसका सीधा मतलब है कि उनका इस्तीफा मंजूर नहीं किया गया।
पायलट कैंप के कई विधायकों को अहम जिम्मेदारी
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट कैंप के बीच जारी सियासी खींचतान के बीच विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी द्वारा विधानसभा की 19 कमेटियों के पुनर्गठन में पायलट कैंप के कई नेताओं को अहम जिम्मेदारियां देने से सियासी संकेत साफ नजर आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि अगर स्पीकर उनका इस्तीफा मंजूर करते तो उन्हें विधानसभा समिति का सभापति नहीं बनाते।
दरअसल, हेमाराम चौधरी ने 18 मई को ई-मेल और डाक से इस्तीफा भेजा था। स्पीकर ने लॉकडाउन खत्म होने के बाद उन्हें सात दिन में समय लेकर पेश होने को कहा था। पिछले दिनों हेमाराम जयुपर आए, लेकिन विधानसभा सचिवालय ने मोडिफाइड लॉकडाउन होने का तर्क देकर लॉकडाउन पूरी तरह खत्म होने के बाद ही आने को कहा था। इसी बीच हेमाराम को विधानसभा की राजकीय उपक्रमसमिति का सभापति बना दिया है।
डोटासरा ने की थी हेमाराम से लंबी बातचीत
हेमाराम के इस्तीफा देने के बाद उनकी मांगों को लेकर दो बार कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने उनसे लंबी बात की थीं। उसके बाद भी हेमाराम इस्तीफे पर अडिग थें। हेमाराम के इस्तीफे के दबाव के बाद उनके विधानसभा क्षेत्र में दो ग्रिड सब स्टेशन और पानी की स्कीम को मंजूरी देने की बात आगे बढ़ी। यानी कहा जा सकता है हेमाराम चौधरी की दवाब की राजनीतिक काम कर गई है।
हेमाराम चौधरी के अलावा पायलट कैंप के अन्य विधायकों को भी अहम जिम्मेदारियां दी गई हैं। सचिन पायलट समर्थक विधायक मुरारीलाल मीणा को जनलेखा समिति और सरकारी आश्वासनों संबंधी समिति सदस्य बनाया हैं। वेद प्रकाश सोलंकी को विशेषाधिकार समिति और अधीनस्थ विधान समिति, राकेश पारीक को नियम समिति, पर्यावरण संबंधी समिति में सदस्य बनाया। रामनिवास गावड़िया को पुस्तकालय समिति और पिछड़े वर्ग के कल्याण संबंधी समिति में लिया है।
जीआर खटाणा को याचिका समिति और पिछड़े वर्ग के कल्याण संबंधी समिति में लिया है। इसके अलावा, हरीश मीणा को एस्टीमेट कमेटी में, इंद्राज सिंह गुर्जर को सरकारी आश्वासनों संबंधीसमिति में सदस्य बनाया है। अमर सिंह जाटव को एससी कल्याण समिति का सदस्य बनाया है। वीरेंद्र सिंह को राजकीय उपक्रम समिति का और पिछड़े वर्ग के कल्याण संबंधी समिति में लिया है।वर्तमान सियासी हालातों में इन समितियों में पायलट कैंप के विधायकों को अहम जिम्मेदारियां मिलने से संदेश गया है कि पार्टी आलाकमान राजस्थान के सियासी मसलों का हर हाल में समाधान चाहता है। यानी कहा जा सकता है कि आने वाले दिनों में मंत्रिमंडल विस्तार और पॉलिटिकल अपॉइंटमेंट में भी पायलट कैंप को तवज्जो मिल सकती है।
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