06 July 2021 04:03 PM
प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर हलचल तेज हो गई है। राजस्थान प्रदेश के प्रभारी अजय माकन के प्रस्तावित कल के दौरे को राजनीतिक नियुक्तियां व मंत्रिमंडल विस्तार से जोड़कर देखा जा रहा है। बीकानेर में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर ज्यादा दिलचस्पी नहीं है लेकिन बीकानेर में राजनीतिक नियुक्ति विशेषकर यूआईटी चेयरमैन को लेकर दौड़-धूप जारी है। नगर विकास न्यास चेयरमैन को लेकर कांग्रेस में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। इस दौड़ में बीकानेर के यशपाल गहलोत का नाम सुर्खियों में है। यशपाल गहलोत एकमात्र ऐसे राजनीतिज्ञ हैं जिन्हें बीकानेर पश्चिम व पूर्व दोनों विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस का टिकट मिला लेकिन दोनों ही बार टिकट मिलने के बाद वापस छीन लिया गया सूत्रों का कहना है कि उस वक्त गहलोत को सम्मानजनक पद देने का वादा किया गया तो इस लिहाज से उन्हें यूआईटी चेयरमैन का पद मिल सकता है।
लेकिन राजनीति में कहा जाता है कि वादा निभा दे वह राजनीति ही क्या ! तो इस लिहाज से यशपाल गहलोत की डगर मुश्किल नजर आ रही है मगर जानकार मानते हैं कि उन्हें सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता। यूआईटी चेयरमैन की दौड़ में लगभग तीन से चार नाम अल्पसंख्यक समुदाय से भी हैं जिसमें पूर्व यूआईटी चेयरमैन मकसूद अहमद व जियाउर रहमान जैसे नाम भी है लेकिन जानकार मानते हैं कि इन नामों पर ज्यादा चर्चा नहीं होगी। पिछले कांग्रेस के शासनकाल में यूआईटी चेयरमैन अल्पसंख्यक समुदाय से बना हुआ है इस लिहाज से इस बार अल्पसंख्यक समुदाय से यूआईटी चेयरमैन बनना मुश्किल है हालांकि कुछ विश्लेषक कहते हैं कि राजनीति में कुछ भी मुश्किल और नामुमकिन नहीं होता इस लिहाज से अल्पसंख्यक समुदाय से कोई यूआईटी चेयरमैन बन जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है लेकिन इसकी संभावना नगण्य है।
यूआईटी चेयरमैन को लेकर पुष्करणा समाज द्वारा की गई मांग भी चर्चाओं में है हालांकि जातिगत समीकरण के हिसाब से देखें तो चेयरमैन के पद पर किसी भी पुष्करणा का आना लगभग नामुमकिन है। पुष्करणा समाज के नंदकुमार आचार्य का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है मगर इसे महज एक सोशल मीडिया का प्रचार मात्र ही माना जा रहा है।
वही कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार यूआईटी चेयरमैन वैश्य समाज से होगा आपको बता दे वैश्य समाज से रमेश अग्रवाल, सुशील थिरानी व दिलीप बांठिया जैसे कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ता दावेदारी कर रहे हैं। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वैश्य समाज में रमेश अग्रवाल का नाम प्रमुखता से है लेकिन सुशील थिरानी व दिलीप बांठिया अग्रवाल को कड़ी चुनौती दे रहे हैं। इस दौड़ में वैश्य समाज से कोचर और खजांची का नाम भी चर्चाओं में है कुल मिलाकर यह देखना होगा कि वैश्य वर्ण से अग्रवाल समाज को प्राथमिकता मिलती है या ओसवाल समाज को। कुल मिलाकर बीकानेर में यूआईटी चेयरमैन को लेकर चल रही कशमकश में ओबीसी वर्ग से एकमात्र नाम यशपाल गहलोत सुर्खियों में है वहीं दूसरी और अल्पसंख्यक व वैश्य समाज से लगभग आधा दर्जन नाम सुर्खियों में है। सूत्रों की मानें तो जल्द ही आलाकमान राजनीतिक नियुक्तियों का पिटारा खोलने वाला है किसको क्या मिलना है ? यह जल्द ही पता चल जाएगा।
प्रदेश में राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर हलचल तेज हो गई है। राजस्थान प्रदेश के प्रभारी अजय माकन के प्रस्तावित कल के दौरे को राजनीतिक नियुक्तियां व मंत्रिमंडल विस्तार से जोड़कर देखा जा रहा है। बीकानेर में मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर ज्यादा दिलचस्पी नहीं है लेकिन बीकानेर में राजनीतिक नियुक्ति विशेषकर यूआईटी चेयरमैन को लेकर दौड़-धूप जारी है। नगर विकास न्यास चेयरमैन को लेकर कांग्रेस में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। इस दौड़ में बीकानेर के यशपाल गहलोत का नाम सुर्खियों में है। यशपाल गहलोत एकमात्र ऐसे राजनीतिज्ञ हैं जिन्हें बीकानेर पश्चिम व पूर्व दोनों विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस का टिकट मिला लेकिन दोनों ही बार टिकट मिलने के बाद वापस छीन लिया गया सूत्रों का कहना है कि उस वक्त गहलोत को सम्मानजनक पद देने का वादा किया गया तो इस लिहाज से उन्हें यूआईटी चेयरमैन का पद मिल सकता है।
लेकिन राजनीति में कहा जाता है कि वादा निभा दे वह राजनीति ही क्या ! तो इस लिहाज से यशपाल गहलोत की डगर मुश्किल नजर आ रही है मगर जानकार मानते हैं कि उन्हें सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता। यूआईटी चेयरमैन की दौड़ में लगभग तीन से चार नाम अल्पसंख्यक समुदाय से भी हैं जिसमें पूर्व यूआईटी चेयरमैन मकसूद अहमद व जियाउर रहमान जैसे नाम भी है लेकिन जानकार मानते हैं कि इन नामों पर ज्यादा चर्चा नहीं होगी। पिछले कांग्रेस के शासनकाल में यूआईटी चेयरमैन अल्पसंख्यक समुदाय से बना हुआ है इस लिहाज से इस बार अल्पसंख्यक समुदाय से यूआईटी चेयरमैन बनना मुश्किल है हालांकि कुछ विश्लेषक कहते हैं कि राजनीति में कुछ भी मुश्किल और नामुमकिन नहीं होता इस लिहाज से अल्पसंख्यक समुदाय से कोई यूआईटी चेयरमैन बन जाए तो कोई आश्चर्य की बात नहीं है लेकिन इसकी संभावना नगण्य है।
यूआईटी चेयरमैन को लेकर पुष्करणा समाज द्वारा की गई मांग भी चर्चाओं में है हालांकि जातिगत समीकरण के हिसाब से देखें तो चेयरमैन के पद पर किसी भी पुष्करणा का आना लगभग नामुमकिन है। पुष्करणा समाज के नंदकुमार आचार्य का नाम प्रमुखता से लिया जा रहा है मगर इसे महज एक सोशल मीडिया का प्रचार मात्र ही माना जा रहा है।
वही कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार यूआईटी चेयरमैन वैश्य समाज से होगा आपको बता दे वैश्य समाज से रमेश अग्रवाल, सुशील थिरानी व दिलीप बांठिया जैसे कांग्रेस के समर्पित कार्यकर्ता दावेदारी कर रहे हैं। हालांकि राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि वैश्य समाज में रमेश अग्रवाल का नाम प्रमुखता से है लेकिन सुशील थिरानी व दिलीप बांठिया अग्रवाल को कड़ी चुनौती दे रहे हैं। इस दौड़ में वैश्य समाज से कोचर और खजांची का नाम भी चर्चाओं में है कुल मिलाकर यह देखना होगा कि वैश्य वर्ण से अग्रवाल समाज को प्राथमिकता मिलती है या ओसवाल समाज को। कुल मिलाकर बीकानेर में यूआईटी चेयरमैन को लेकर चल रही कशमकश में ओबीसी वर्ग से एकमात्र नाम यशपाल गहलोत सुर्खियों में है वहीं दूसरी और अल्पसंख्यक व वैश्य समाज से लगभग आधा दर्जन नाम सुर्खियों में है। सूत्रों की मानें तो जल्द ही आलाकमान राजनीतिक नियुक्तियों का पिटारा खोलने वाला है किसको क्या मिलना है ? यह जल्द ही पता चल जाएगा।
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