02 July 2021 09:24 AM
जयपुर, मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा विधानसभा में राज्य बजट वर्ष 2021-22, बजट पर बहस तथा वित्त एवं विनियोग विधेयक पर चर्चा के दौरान की गई घोषणाओं के क्रम में राज्य में 8 नए न्यायालय शीघ्र खोले जाएंगे। श्री गहलोत ने इसके लिए इन नवीन न्यायालयों को मय स्टाफ खोलने के प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया है।
श्री गहलोत ने टोंक जिले के टोडारायसिंह में सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय को वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय में क्रमोन्नत करने तथा बांसवाड़ा जिले के आनन्दपुरी, सवाईमाधोपुर के चौथ का बरवाड़ा और भरतपुर के उच्चैन में सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय खोलने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया है। इसी प्रकार, नागौर जिले के कुचामनसिटी एवं लाडनूं, टोंक के निवाई तथा जयपुर महानगर प्रथम के बस्सी में अपर जिला न्यायाधीश न्यायालय खोलने का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री द्वारा घोषित विभिन्न श्रेणी के कुल 62 मेें से 48 न्यायालयों की स्थापना के लिए पहले ही अधिसूचनाएं जारी की जा चुकी हैं। इस निर्णय से पक्षकारों को स्थानीय स्तर पर ही न्याय मिलने में आसानी होगी तथा न्यायालयों में लंबित प्रकरणों को जल्द निपटाया जा सकेगा।
जयपुर, मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत द्वारा विधानसभा में राज्य बजट वर्ष 2021-22, बजट पर बहस तथा वित्त एवं विनियोग विधेयक पर चर्चा के दौरान की गई घोषणाओं के क्रम में राज्य में 8 नए न्यायालय शीघ्र खोले जाएंगे। श्री गहलोत ने इसके लिए इन नवीन न्यायालयों को मय स्टाफ खोलने के प्रस्ताव का अनुमोदन कर दिया है।
श्री गहलोत ने टोंक जिले के टोडारायसिंह में सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय को वरिष्ठ सिविल न्यायाधीश एवं अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय में क्रमोन्नत करने तथा बांसवाड़ा जिले के आनन्दपुरी, सवाईमाधोपुर के चौथ का बरवाड़ा और भरतपुर के उच्चैन में सिविल न्यायाधीश एवं न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय खोलने के प्रस्ताव का अनुमोदन किया है। इसी प्रकार, नागौर जिले के कुचामनसिटी एवं लाडनूं, टोंक के निवाई तथा जयपुर महानगर प्रथम के बस्सी में अपर जिला न्यायाधीश न्यायालय खोलने का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया है। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री द्वारा घोषित विभिन्न श्रेणी के कुल 62 मेें से 48 न्यायालयों की स्थापना के लिए पहले ही अधिसूचनाएं जारी की जा चुकी हैं। इस निर्णय से पक्षकारों को स्थानीय स्तर पर ही न्याय मिलने में आसानी होगी तथा न्यायालयों में लंबित प्रकरणों को जल्द निपटाया जा सकेगा।
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