23 May 2022 01:36 PM
जोग संजोग टाइम्स,
राजस्थान की धरती पर जब गर्मी चरम पर होती है तो धोरों पर पापड़ सिकने लगते हैं। कार के बोनट पर आमलेट तैयार हो जाते हैं। सूर्य के तेवर इतने तेज होते हैं कि सीधे धूप में निकले तो चमड़ी ही जल जाए। ऐसी प्रचंड गर्मी के बीच 9 दिन ऐसे भी आते हैं, जिसमें तापमान अपने सातवें आसमान पर होता हैं। इसे ज्योतिषी और मौसम विज्ञान में नौतपा कहा जाता है। माना जाता है कि इसी दौर में सूरज अपना रौद्र रूप दिखाते हैं और तापमान 50 डिग्री तक पहुंच जाता है।
नौतपा का नाम आते ही लोगों में एक आशंका रहती है कि जाने कितनी गर्मी पड़ेगी? नौतपा के 9 दिन में पड़ने वाली गर्मी को लेकर भास्कर ने पिछले 10 सालों का रिकॉर्ड खंगाल उसका एनालिसिस किया। जाने माने ज्योतिषशास्त्री और मौसम एक्सपर्ट से बातचीत कर नौतपा का पूरा गणित समझा।
सामने आया कि सिर्फ नौतपा में ही तापमान सातवें आसमान पर नहीं होता। इससे पहले या बाद में भी कई बार गर्मी के रिकॉर्ड टूट चुके हैं। कई ऐसे फैक्ट्स भी सामने आए जो चौंकाने वाले थे। थार का रेगिस्तान कहे जाने वाले जैसलमेर के बजाय बीकानेर में नौतपा के दौरान सबसे ज्यादा गर्मी पड़ती है। आइए- आपको बताते हैं राजस्थान में कब-कब आग बरसी और कब नौतपा का असर बेअसर रहा...।.
आखिर क्या है नौतपा
ज्योतिषाशास्त्र के अनुसार सूर्य 12 राशियों और 27 नक्षत्रों में प्रवेश करता है। सूर्य कुंडली में जिस भी ग्रह के साथ बैठता है उसके प्रभाव को खत्म कर देता है। रोहिणी नक्षत्र का अधिपति चंद्रमा होता है, ऐसे में सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है तो वह चंद्रमा की शीतलता को खत्म कर देता है। सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 15 दिन तक रहता है। लेकिन शुरूआत के 9 दिन तक सूर्य की किरणें सीधे 90 डिग्री का कोण बनाते हुए जमीन पर आती हैं। इसी कारण गर्मी अपना प्रचंड रूप धारण कर लेती है। वैसे तो नौतपा गृहों के प्रवेश की तारीख पर निर्भर करता है, लेकिन अमूमन 25 मई से ही नौतपा शुरू होता है। इस बार भी 25 मई से ही नौतपा शुरू होगा और 2 जून तक अपना रौद्र रूप दिखाएगा।
नौतपा तपेगा, तो मानसून अच्छा होगा
- ज्योतिषशास्त्रियों की मानें तो नौतपा का सीधा संबंध मानसून में पड़ने वाली बारिश से होता है। गर्मी जितनी भीषण होगी बारिश भी उतनी ही अच्छी होगी।
- ज्यादा गर्मी पड़ने से मैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र बन जाता है, जिससे समुद्र की लहरें आकर्षित होती हैं। इससे अच्छी बारिश की संभावना होती है।
- इस बार नौतपा 25 मई को दोपहर 2.50 पर शुरू होगा और दो जून तक परवान पर रहेगा। वैसे सूर्यदेव 8 जून तक रोहिणी नक्षत्र में रहेंगे।
- नौतपा के दौरान बारिश होना शुभ नहीं माना जाता। रोहिणी के दौर में बारिश से मानसून भी खंडित हो जाता है।
एनालिसिस में आए चौंकाने वाले फैक्ट्स सामने
ये मान्यता है कि नौतपा में हर बार बहुत तेज गर्मी होती है, तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहता है जबकि हकीकत कुछ और है। कई बार नौतपा से पहले ही गर्मी अपना प्रचंड रूप दिखा चुकी होती है। जिन 10 जिलों पर एनालिसिस किया गया, उनमें सामने आया कि अकेला श्रीगंगानगर ऐसा जिला है, जहां पिछले साल में सबसे ज्यादा गर्मी नौतपा के दौरान पड़ी, जबकि बाकी जिलों में नौतपा शुरू होने से पहले ही गर्मी ने अपने तेवर दिखाए।
अजमेर में तो नौतपा का असर 50-50% ही है। पिछले 10 साल में 5 बार नौतपा में गर्मी पड़ी जबकि 5 बार नहीं। वहीं जोधपुर व उदयपुर में ऐसा चार बार हुआ। बीकानेर और बाड़मेर में दो-दो बार और जयपुर, जैसलमेर, कोटा, चूरू में तीन-तीन बार हुआ। ऐसे में ये मिथक गलत साबित हुआ है कि नौतपा में ही सबसे ज्यादा गर्मी पड़ती है।
जोग संजोग टाइम्स,
राजस्थान की धरती पर जब गर्मी चरम पर होती है तो धोरों पर पापड़ सिकने लगते हैं। कार के बोनट पर आमलेट तैयार हो जाते हैं। सूर्य के तेवर इतने तेज होते हैं कि सीधे धूप में निकले तो चमड़ी ही जल जाए। ऐसी प्रचंड गर्मी के बीच 9 दिन ऐसे भी आते हैं, जिसमें तापमान अपने सातवें आसमान पर होता हैं। इसे ज्योतिषी और मौसम विज्ञान में नौतपा कहा जाता है। माना जाता है कि इसी दौर में सूरज अपना रौद्र रूप दिखाते हैं और तापमान 50 डिग्री तक पहुंच जाता है।
नौतपा का नाम आते ही लोगों में एक आशंका रहती है कि जाने कितनी गर्मी पड़ेगी? नौतपा के 9 दिन में पड़ने वाली गर्मी को लेकर भास्कर ने पिछले 10 सालों का रिकॉर्ड खंगाल उसका एनालिसिस किया। जाने माने ज्योतिषशास्त्री और मौसम एक्सपर्ट से बातचीत कर नौतपा का पूरा गणित समझा।
सामने आया कि सिर्फ नौतपा में ही तापमान सातवें आसमान पर नहीं होता। इससे पहले या बाद में भी कई बार गर्मी के रिकॉर्ड टूट चुके हैं। कई ऐसे फैक्ट्स भी सामने आए जो चौंकाने वाले थे। थार का रेगिस्तान कहे जाने वाले जैसलमेर के बजाय बीकानेर में नौतपा के दौरान सबसे ज्यादा गर्मी पड़ती है। आइए- आपको बताते हैं राजस्थान में कब-कब आग बरसी और कब नौतपा का असर बेअसर रहा...।.
आखिर क्या है नौतपा
ज्योतिषाशास्त्र के अनुसार सूर्य 12 राशियों और 27 नक्षत्रों में प्रवेश करता है। सूर्य कुंडली में जिस भी ग्रह के साथ बैठता है उसके प्रभाव को खत्म कर देता है। रोहिणी नक्षत्र का अधिपति चंद्रमा होता है, ऐसे में सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करता है तो वह चंद्रमा की शीतलता को खत्म कर देता है। सूर्य रोहिणी नक्षत्र में 15 दिन तक रहता है। लेकिन शुरूआत के 9 दिन तक सूर्य की किरणें सीधे 90 डिग्री का कोण बनाते हुए जमीन पर आती हैं। इसी कारण गर्मी अपना प्रचंड रूप धारण कर लेती है। वैसे तो नौतपा गृहों के प्रवेश की तारीख पर निर्भर करता है, लेकिन अमूमन 25 मई से ही नौतपा शुरू होता है। इस बार भी 25 मई से ही नौतपा शुरू होगा और 2 जून तक अपना रौद्र रूप दिखाएगा।
नौतपा तपेगा, तो मानसून अच्छा होगा
- ज्योतिषशास्त्रियों की मानें तो नौतपा का सीधा संबंध मानसून में पड़ने वाली बारिश से होता है। गर्मी जितनी भीषण होगी बारिश भी उतनी ही अच्छी होगी।
- ज्यादा गर्मी पड़ने से मैदानी क्षेत्रों में निम्न दबाव का क्षेत्र बन जाता है, जिससे समुद्र की लहरें आकर्षित होती हैं। इससे अच्छी बारिश की संभावना होती है।
- इस बार नौतपा 25 मई को दोपहर 2.50 पर शुरू होगा और दो जून तक परवान पर रहेगा। वैसे सूर्यदेव 8 जून तक रोहिणी नक्षत्र में रहेंगे।
- नौतपा के दौरान बारिश होना शुभ नहीं माना जाता। रोहिणी के दौर में बारिश से मानसून भी खंडित हो जाता है।
एनालिसिस में आए चौंकाने वाले फैक्ट्स सामने
ये मान्यता है कि नौतपा में हर बार बहुत तेज गर्मी होती है, तापमान 45 डिग्री सेल्सियस से ऊपर रहता है जबकि हकीकत कुछ और है। कई बार नौतपा से पहले ही गर्मी अपना प्रचंड रूप दिखा चुकी होती है। जिन 10 जिलों पर एनालिसिस किया गया, उनमें सामने आया कि अकेला श्रीगंगानगर ऐसा जिला है, जहां पिछले साल में सबसे ज्यादा गर्मी नौतपा के दौरान पड़ी, जबकि बाकी जिलों में नौतपा शुरू होने से पहले ही गर्मी ने अपने तेवर दिखाए।
अजमेर में तो नौतपा का असर 50-50% ही है। पिछले 10 साल में 5 बार नौतपा में गर्मी पड़ी जबकि 5 बार नहीं। वहीं जोधपुर व उदयपुर में ऐसा चार बार हुआ। बीकानेर और बाड़मेर में दो-दो बार और जयपुर, जैसलमेर, कोटा, चूरू में तीन-तीन बार हुआ। ऐसे में ये मिथक गलत साबित हुआ है कि नौतपा में ही सबसे ज्यादा गर्मी पड़ती है।
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