03 November 2022 03:55 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
अमिताभ बच्चन का टीवी पर बीकाजी भुजिया का ये ऐड आपने भी देखा होगा.'अमित जी लवज बीकाजी भुजिया'। अमिताभ 7 दिन भुजिया खाते हैं या नहीं लेकिन बीकानेर में तैयार होने वाला यह नमकीन देश के कोने-कोने में चाय की चुस्कियों के साथ जरूर खाया जाता है।कभी छोटी सी भट्टी पर भुजिया बनाने की शुरुआत करने वाले हल्दीराम अग्रवाल ने शायद ही सोचा होगा कि एक दिन उनके हाथों से तैयार होने वाला नमकीन ब्रांड बन जाएगा। जिसका अब IPO आ रहा है। साल 1940 में एक छोटी सी दुकान से इस सफर की शुरुआत कैसे हुई, बताएंगे आज की इस स्पेशल स्टोरी में लेकिन उससे पहले ये जान लीजिए आज बीकाजी भुजिये पर चर्चा क्यों?दरअसल, बीकाजी भुजिया आज 1600 करोड़ की कंपनी बन गई है। गुरुवार से बीकाजी ब्रांड (शिवदीप फूड्स) का IPO आ रहा है।*
आगे पढ़िए बीकाजी के ब्रांड बनने का 80 साल का सफर...
बीकानेर में भुजिया बनने का इतिहास तो 150 साल पुराना है, लेकिन इसे ब्रांड बनाया हल्दीराम अग्रवाल ने। एक छोटी सी दुकान पर लगी भट्टी पर हल्दीराम अपने हाथ से भुजिया तैयार करते। फिर खोमचों भरकर दुकान के बाहर सजाते। धीरे-धीरे बीकानेर की भुजिया का स्वाद देशभर में फेमस होने लगा। हल्दीराम बाद में बिजनेस बढ़ाने के लिए कोलकाता चले गए, फिर वहीं बस गए।
लेकिन 'हल्दीराम भुजियावाला' नाम से शुरू हुई दुकान पर उनके बेटे मूलचंद अग्रवाल ने कारोबार को संभाला। बाद में मूलचंद अग्रवाल के चारों बेटों ने बीकानेरी भुजिया को देश और दुनिया तक पहुंचा दिया। उनके तीन बेटे शिवकिसन अग्रवाल, मनोहर लाल अग्रवाल और मधु अग्रवाल ने हल्दीराम नाम से भुजिया का ब्रांड स्थापित किया, लेकिन चौथे बेटे शिवरतन अग्रवाल ने बीकानेर से ही अलग भुजिया कंपनी बीकाजी की स्थापना की।
शिवरतन अग्रवाल ने 1986 में अपनी कंपनी को नाम दिया शिवदीप फूड्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड। अग्रवाल अपने ब्रांड का नाम ऐसा रखना चाहते थे जो बीकानेर से जुड़ा हो और देशभर में भुजिया के शौकीन भी इस ब्रांड से आसानी से जुड़ जाएं। ऐसे में बीकानेर के संस्थापक राव बीका के नाम से अपने भुजिया का नाम रखा 'बीकाजी'।अब ये बताने की जरूरत नहीं थी कि ये भुजिया असली बीकानेरी है, क्योंकि बीकानेर ने ही भुजिया का आविष्कार किया था। इसी नाम से उन्होंने बीकानेर में पहली भुजिया फैक्ट्री डाली। साल 1993 में मार्केट में उतरे बीकाजी भुजिया ने दमदार स्वाद के चलते घर-घर तक अपनी पहुंच बनाई। आज बीकाजी कंपनी नमकीन के 250 से ज्यादा प्रोडक्ट बनाती है। जिसमें वेस्टर्न स्नैक्स और फ्रोजन सहित कई वैरायटी हैं। बीकाजी के प्रोडक्ट देशभर में आठ लाख से ज्यादा दुकानों पर उपलब्ध हैं।
बीकानेर में सबसे बड़ी फैक्ट्री
बीकाजी फूड्स की सबसे बड़ी फैक्ट्री बीकानेर के बीछवाल इंडस्ट्रियल एरिया में है। इस फैक्ट्री में करीब दो हजार लोग काम करते हैं। यहां दुनिया की लेटेस्ट मशीनों के साथ भुजिया सहित दूसरे नमकीन तैयार होते हैं। भुजिया की मेकिंग से लेकर पैकिंग तक की पूरी प्रोसेस मशीन से होती है। कारीगर हाथ से टच तक नहीं करते, क्योंकि इंटरनेशनल प्रोडक्ट होने की वजह से इसके पैरामीटर का पालन कया जाता है।
UAE, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और रूस तक जा रहा नमकीन
बीकाजी फूड्स के ढाई सौ से ज्यादा ब्रांड न सिर्फ एशिया बल्कि दुनिया के तीस से अधिक देशों में पहुंच रहा है। सबसे पहले वर्ष 1994 में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में बीकाजी भुजिया एक्सपोर्ट होना शुरू हुआ। 1996 में ऑस्ट्रेलिया में बीकाजी ने एक्सपोर्ट शुरू कर दिया। लगातार अन्य देशों से भी डिमांड आने लगी। आज भी बीकानेरी भुजिया को सबसे ज्यादा गल्फ देशों में पसंद किया जाता है। इसके अलावा अमेरिका, जर्मनी, स्पेन, फ्रांस, रूस, नेपाल, न्यूजीलैंड, कनाडा, कतर, यूनाइटेड अरब अमीरात, बहरीन, नार्वे में भी पहुंच रहा है।
महानगरों में आउटलेट्स
आज करीब आठ लाख दुकानदार बीकाजी भुजिया अपनी दुकानों पर बेच रहे हैं। बीकाजी के आउटलेट्स की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इन आउटलेट्स की डिजाइन खुद बीकाजी ग्रुप करता है। देशभर में जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद सहित अनेक बड़े शहरों में एक-दो नहीं बल्कि अनेक आउटलेट्स हैं। नई दिल्ली, मुंबई और जयपुर में इनकी संख्या सबसे ज्यादा है। हैदराबाद सहित कई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर भी बीकाजी के आउटलेट्स मौजूद हैं।
अकेले भुजिया के दर्जनों ब्रांड
बीकाजी ने पिछले कुछ सालों में अपने प्रॉडक्ट्स की संख्या में बढ़ोतरी की है। बीकाजी आउटलेट्स ग्राहक को दो-पांच तरह के नहीं बल्कि 24 तरह के भुजिया पेश करते हैं। इसके 'ठेठ बीकानेर' नाम की भुजिया भी शामिल है। बीकानेरी भुजिया, तीन नंबर भुजिया, डंकोळी, खोखा भुजिया शामिल है।*
दुनिया में शिवरतन अग्रवाल, बीकानेर में फन्नाबाबू
बीकाजी ब्रांड के संस्थापक शिवरतन अग्रवाल देश के बड़े बिजोस पर्सन हैं, लेकिन बीकानेर में वो एक आम शहरी की तरह रहते हैं। अग्रवाल बीकानेर में 'फन्ना बाबू' के नाम से जाने जाते है।
समाज सेवा से जुड़ा है बीकाजी ग्रुप
अपने पूर्वज हल्दीराम अग्रवाल की याद में इस परिवार ने पीबीएम अस्पताल परिसर में कॉर्डियक हॉस्पिटल केंपस बनाकर दिया है। यहां स्टाफ सरकारी है, लेकिन सुविधाएं अग्रवाल परिवार की ओर से उपलब्ध कराई जा रही हैं।
IPO से जुटाएगी 1000 करोड़ रुपए
बीकाजी फूड्स अपने कारोबार विस्तार के लिए IPO के जरिए लगभग 1000 करोड़ रुपए जुटाएगी। सार्वजनिक निर्गम से कंपनी के प्रोमोटर्स 2.93 करोड़ शेयर बेचने जा रही है। इसमें कंपनी के संस्थापक शिवरतन अग्रवाल और दीपक अग्रवाल 25-25 लाख शेयर बेचेंगे। IPO 3 नवंबर से खुलेगा और निवेशकों के पास 7 नवंबर 2022 तक इस IPO को सब्सक्राइब करने का मौका रहेगा। एक्सपर्ट के अनुसार बीकाजी फूड़स के शेयर ग्रे मार्केट में 70 से 76 रुपए के प्रीमियम (GMP) पर बिक रहे हैं।
ऐसा हो सकता है कि देश की कोई फेमस खाने-पीने की आइटम हो और उसका राजस्थानी वर्जन न आए। करीब 2100 साल पहले यूनान से आया पिज्जा, जब राजस्थान पहुंचा तो कुल्हड़ पिज्जा बन गया। ऐसी ही फेमस साउथ इंडियन डिश है डोसा, जो 5वीं सदी से चली आ रही है।
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
अमिताभ बच्चन का टीवी पर बीकाजी भुजिया का ये ऐड आपने भी देखा होगा.'अमित जी लवज बीकाजी भुजिया'। अमिताभ 7 दिन भुजिया खाते हैं या नहीं लेकिन बीकानेर में तैयार होने वाला यह नमकीन देश के कोने-कोने में चाय की चुस्कियों के साथ जरूर खाया जाता है।कभी छोटी सी भट्टी पर भुजिया बनाने की शुरुआत करने वाले हल्दीराम अग्रवाल ने शायद ही सोचा होगा कि एक दिन उनके हाथों से तैयार होने वाला नमकीन ब्रांड बन जाएगा। जिसका अब IPO आ रहा है। साल 1940 में एक छोटी सी दुकान से इस सफर की शुरुआत कैसे हुई, बताएंगे आज की इस स्पेशल स्टोरी में लेकिन उससे पहले ये जान लीजिए आज बीकाजी भुजिये पर चर्चा क्यों?दरअसल, बीकाजी भुजिया आज 1600 करोड़ की कंपनी बन गई है। गुरुवार से बीकाजी ब्रांड (शिवदीप फूड्स) का IPO आ रहा है।
आगे पढ़िए बीकाजी के ब्रांड बनने का 80 साल का सफर...
बीकानेर में भुजिया बनने का इतिहास तो 150 साल पुराना है, लेकिन इसे ब्रांड बनाया हल्दीराम अग्रवाल ने। एक छोटी सी दुकान पर लगी भट्टी पर हल्दीराम अपने हाथ से भुजिया तैयार करते। फिर खोमचों भरकर दुकान के बाहर सजाते। धीरे-धीरे बीकानेर की भुजिया का स्वाद देशभर में फेमस होने लगा। हल्दीराम बाद में बिजनेस बढ़ाने के लिए कोलकाता चले गए, फिर वहीं बस गए।
लेकिन 'हल्दीराम भुजियावाला' नाम से शुरू हुई दुकान पर उनके बेटे मूलचंद अग्रवाल ने कारोबार को संभाला। बाद में मूलचंद अग्रवाल के चारों बेटों ने बीकानेरी भुजिया को देश और दुनिया तक पहुंचा दिया। उनके तीन बेटे शिवकिसन अग्रवाल, मनोहर लाल अग्रवाल और मधु अग्रवाल ने हल्दीराम नाम से भुजिया का ब्रांड स्थापित किया, लेकिन चौथे बेटे शिवरतन अग्रवाल ने बीकानेर से ही अलग भुजिया कंपनी बीकाजी की स्थापना की।
शिवरतन अग्रवाल ने 1986 में अपनी कंपनी को नाम दिया शिवदीप फूड्स इंडस्ट्रीज लिमिटेड। अग्रवाल अपने ब्रांड का नाम ऐसा रखना चाहते थे जो बीकानेर से जुड़ा हो और देशभर में भुजिया के शौकीन भी इस ब्रांड से आसानी से जुड़ जाएं। ऐसे में बीकानेर के संस्थापक राव बीका के नाम से अपने भुजिया का नाम रखा 'बीकाजी'।अब ये बताने की जरूरत नहीं थी कि ये भुजिया असली बीकानेरी है, क्योंकि बीकानेर ने ही भुजिया का आविष्कार किया था। इसी नाम से उन्होंने बीकानेर में पहली भुजिया फैक्ट्री डाली। साल 1993 में मार्केट में उतरे बीकाजी भुजिया ने दमदार स्वाद के चलते घर-घर तक अपनी पहुंच बनाई। आज बीकाजी कंपनी नमकीन के 250 से ज्यादा प्रोडक्ट बनाती है। जिसमें वेस्टर्न स्नैक्स और फ्रोजन सहित कई वैरायटी हैं। बीकाजी के प्रोडक्ट देशभर में आठ लाख से ज्यादा दुकानों पर उपलब्ध हैं।
बीकानेर में सबसे बड़ी फैक्ट्री
बीकाजी फूड्स की सबसे बड़ी फैक्ट्री बीकानेर के बीछवाल इंडस्ट्रियल एरिया में है। इस फैक्ट्री में करीब दो हजार लोग काम करते हैं। यहां दुनिया की लेटेस्ट मशीनों के साथ भुजिया सहित दूसरे नमकीन तैयार होते हैं। भुजिया की मेकिंग से लेकर पैकिंग तक की पूरी प्रोसेस मशीन से होती है। कारीगर हाथ से टच तक नहीं करते, क्योंकि इंटरनेशनल प्रोडक्ट होने की वजह से इसके पैरामीटर का पालन कया जाता है।
UAE, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका और रूस तक जा रहा नमकीन
बीकाजी फूड्स के ढाई सौ से ज्यादा ब्रांड न सिर्फ एशिया बल्कि दुनिया के तीस से अधिक देशों में पहुंच रहा है। सबसे पहले वर्ष 1994 में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) में बीकाजी भुजिया एक्सपोर्ट होना शुरू हुआ। 1996 में ऑस्ट्रेलिया में बीकाजी ने एक्सपोर्ट शुरू कर दिया। लगातार अन्य देशों से भी डिमांड आने लगी। आज भी बीकानेरी भुजिया को सबसे ज्यादा गल्फ देशों में पसंद किया जाता है। इसके अलावा अमेरिका, जर्मनी, स्पेन, फ्रांस, रूस, नेपाल, न्यूजीलैंड, कनाडा, कतर, यूनाइटेड अरब अमीरात, बहरीन, नार्वे में भी पहुंच रहा है।
महानगरों में आउटलेट्स
आज करीब आठ लाख दुकानदार बीकाजी भुजिया अपनी दुकानों पर बेच रहे हैं। बीकाजी के आउटलेट्स की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। इन आउटलेट्स की डिजाइन खुद बीकाजी ग्रुप करता है। देशभर में जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, हैदराबाद सहित अनेक बड़े शहरों में एक-दो नहीं बल्कि अनेक आउटलेट्स हैं। नई दिल्ली, मुंबई और जयपुर में इनकी संख्या सबसे ज्यादा है। हैदराबाद सहित कई इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर भी बीकाजी के आउटलेट्स मौजूद हैं।
अकेले भुजिया के दर्जनों ब्रांड
बीकाजी ने पिछले कुछ सालों में अपने प्रॉडक्ट्स की संख्या में बढ़ोतरी की है। बीकाजी आउटलेट्स ग्राहक को दो-पांच तरह के नहीं बल्कि 24 तरह के भुजिया पेश करते हैं। इसके 'ठेठ बीकानेर' नाम की भुजिया भी शामिल है। बीकानेरी भुजिया, तीन नंबर भुजिया, डंकोळी, खोखा भुजिया शामिल है।
दुनिया में शिवरतन अग्रवाल, बीकानेर में फन्नाबाबू
बीकाजी ब्रांड के संस्थापक शिवरतन अग्रवाल देश के बड़े बिजोस पर्सन हैं, लेकिन बीकानेर में वो एक आम शहरी की तरह रहते हैं। अग्रवाल बीकानेर में 'फन्ना बाबू' के नाम से जाने जाते है।
समाज सेवा से जुड़ा है बीकाजी ग्रुप
अपने पूर्वज हल्दीराम अग्रवाल की याद में इस परिवार ने पीबीएम अस्पताल परिसर में कॉर्डियक हॉस्पिटल केंपस बनाकर दिया है। यहां स्टाफ सरकारी है, लेकिन सुविधाएं अग्रवाल परिवार की ओर से उपलब्ध कराई जा रही हैं।
IPO से जुटाएगी 1000 करोड़ रुपए
बीकाजी फूड्स अपने कारोबार विस्तार के लिए IPO के जरिए लगभग 1000 करोड़ रुपए जुटाएगी। सार्वजनिक निर्गम से कंपनी के प्रोमोटर्स 2.93 करोड़ शेयर बेचने जा रही है। इसमें कंपनी के संस्थापक शिवरतन अग्रवाल और दीपक अग्रवाल 25-25 लाख शेयर बेचेंगे। IPO 3 नवंबर से खुलेगा और निवेशकों के पास 7 नवंबर 2022 तक इस IPO को सब्सक्राइब करने का मौका रहेगा। एक्सपर्ट के अनुसार बीकाजी फूड़स के शेयर ग्रे मार्केट में 70 से 76 रुपए के प्रीमियम (GMP) पर बिक रहे हैं।
ऐसा हो सकता है कि देश की कोई फेमस खाने-पीने की आइटम हो और उसका राजस्थानी वर्जन न आए। करीब 2100 साल पहले यूनान से आया पिज्जा, जब राजस्थान पहुंचा तो कुल्हड़ पिज्जा बन गया। ऐसी ही फेमस साउथ इंडियन डिश है डोसा, जो 5वीं सदी से चली आ रही है।
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