11 February 2022 07:48 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
मिली जानकारी के अनुसार संसद की कार्यवाही में कांग्रेस की रणनीति को लेकर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 28 जनवरी को हुई ऑनलाइन मीटिंग में लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को हिदायत दी थी कि वह सभी लोगों को बोलने का मौका दें। उन्होंने अधीर रंजन से कहा कि उन्हें दूसरे नेताओं को भी संसद की बहसों में शामिल होने का मौका देना चाहिए। उनके इस आदेश से साफ था कि कैसे सोनिया गांधी पार्टी की रोजमर्रा की गतिविधियों पर नजर रखती हैं। इस मीटिंग में सोनिया गांधी ने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में भी अधीर रंजन चौधरी ही लोकसभा में पार्टी के नेता बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि अधीर रंजन चौधरी 'असली योद्धा' हैं। भले ही संसद में उन्होंने कुछ गलतियां की थीं, लेकिन वह काफी अध्ययन करते हैं और संसद के नियमों के बारे में अच्छी जानकारी रखते हैं। माना जा रहा है कि सोनिया गांधी की ओर से अधीर की 'गलती' वाली टिप्पणी उनके आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद दिए गए भाषण को लेकर थी, जिस पर वह घिर गए थे।
टीएमसी को छोड़ विपक्षी नेताओं की बैठक बुलाई थी
संसद में विपक्ष की रणनीति को तय करने के लिए सोनिया गांधी ने ही 14 दिसंबर को डीएमके, शिवसेना, एनसीपी, सीपीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं को बुलाया था। हालांकि इस बैठक से टीएमसी को दूर रखा गया था। तब कहा गया था कि शायद टीएमसी की ओर से कांग्रेस के नेताओं को तोड़ने के चलते वह नाराज चल रही हैं। इस मीटिंग में इस बात पर चर्चा हुई थी कि कैसे 12 सांसदों के निलंबन के बाद से जारी गतिरोध को समाप्त किया जाए और सरकार को घेरा जाए। गौरतलब है कि हाल ही में राज्यसभा में कांग्रेस नेताओं को बोलने के लिए मिले समय पर आपसी मतभेद पैदा हो गए थे।
बोलने का वक्त न मिलने से भड़क गए थे आनंद शर्मा
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस के दौरान बोलने के लिए कांग्रेस को 109 मिनट का समय दिया गया था। इसमें से एक घंटे तक अकेले मल्लिकार्जुन खड़गे ही बोलते रहे। इस बात से आनंद शर्मा इतना भड़क गए कि उन्होंने बोलने से ही इनकार कर दिया था। उनका कहना था कि अब इतना समय ही नहीं बचा है कि वह अपनी बात रख सकें।
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
मिली जानकारी के अनुसार संसद की कार्यवाही में कांग्रेस की रणनीति को लेकर पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी ने 28 जनवरी को हुई ऑनलाइन मीटिंग में लोकसभा में पार्टी के नेता अधीर रंजन चौधरी को हिदायत दी थी कि वह सभी लोगों को बोलने का मौका दें। उन्होंने अधीर रंजन से कहा कि उन्हें दूसरे नेताओं को भी संसद की बहसों में शामिल होने का मौका देना चाहिए। उनके इस आदेश से साफ था कि कैसे सोनिया गांधी पार्टी की रोजमर्रा की गतिविधियों पर नजर रखती हैं। इस मीटिंग में सोनिया गांधी ने यह भी संकेत दिया कि भविष्य में भी अधीर रंजन चौधरी ही लोकसभा में पार्टी के नेता बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि अधीर रंजन चौधरी 'असली योद्धा' हैं। भले ही संसद में उन्होंने कुछ गलतियां की थीं, लेकिन वह काफी अध्ययन करते हैं और संसद के नियमों के बारे में अच्छी जानकारी रखते हैं। माना जा रहा है कि सोनिया गांधी की ओर से अधीर की 'गलती' वाली टिप्पणी उनके आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद दिए गए भाषण को लेकर थी, जिस पर वह घिर गए थे।
टीएमसी को छोड़ विपक्षी नेताओं की बैठक बुलाई थी
संसद में विपक्ष की रणनीति को तय करने के लिए सोनिया गांधी ने ही 14 दिसंबर को डीएमके, शिवसेना, एनसीपी, सीपीएम और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेताओं को बुलाया था। हालांकि इस बैठक से टीएमसी को दूर रखा गया था। तब कहा गया था कि शायद टीएमसी की ओर से कांग्रेस के नेताओं को तोड़ने के चलते वह नाराज चल रही हैं। इस मीटिंग में इस बात पर चर्चा हुई थी कि कैसे 12 सांसदों के निलंबन के बाद से जारी गतिरोध को समाप्त किया जाए और सरकार को घेरा जाए। गौरतलब है कि हाल ही में राज्यसभा में कांग्रेस नेताओं को बोलने के लिए मिले समय पर आपसी मतभेद पैदा हो गए थे।
बोलने का वक्त न मिलने से भड़क गए थे आनंद शर्मा
राष्ट्रपति के अभिभाषण पर बहस के दौरान बोलने के लिए कांग्रेस को 109 मिनट का समय दिया गया था। इसमें से एक घंटे तक अकेले मल्लिकार्जुन खड़गे ही बोलते रहे। इस बात से आनंद शर्मा इतना भड़क गए कि उन्होंने बोलने से ही इनकार कर दिया था। उनका कहना था कि अब इतना समय ही नहीं बचा है कि वह अपनी बात रख सकें।
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