21 March 2022 12:25 PM
जोग सजोग टाइम्स बीकानेर
मिली जानकारी के अनुसार रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते 40 लाख से अधिक लोग बेघर हो गए हैं। लाखों लोगों ने यूरोप के देशों की शरण ली है। सर्वाधिक लोग पोलैंड में गए हैं। पानी, बिजली और गैस की सबसे बड़ी समस्या है। सर्वाधिक परेशानी में महिलाएं व बच्चे है। युद्ध के तीन हफ्ते बाद भी रूसी फौज यूक्रेन के कड़े प्रतिरोध का सामना कर रही है. रूस की सेना अब तक अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर पाई है। रूस कड़े प्रतिबंधों के शिकंजे में जकड़ा जा चुका है। जिसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था गहरे संकट में है। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद जो मुश्किलें रूस ने झेली थीं, उनके मुकाबले इस बार का आर्थिक संकट ज्यादा बड़ा है. पश्चिमी देश तो पहले ही कह चुके हैं कि पुतिन यूक्रेन की यह जंग हार गए हैं।
यह होगा संभावित बंटवारा ?
युद्ध का हल बंटवारे से ही निकलेगा। रूस चाहेगा कि समझौते में यूक्रेन की जमीन उनसे छिने. यह जमीन कम से कम 120,000 वर्ग किलोमीटर यानी अमेरिकी राज्य मिसिसिपी के बराबर होगी. इसमें क्राइमिया, पूर्वी यूक्रेन के रूस समर्थित दो अलगाववादी इलाकों के साथ ही रूस के कब्जे में आ चुकी जमीन का एक बड़ा हिस्सा भी होगा. खासतौर से रूस को क्राइमिया से जोड़ने वाले इलाके के साथ ही यूक्रेन के दक्षिणी और शायद पश्चिम की ओर का भी कुछ हिस्सा होगा. इनसे काले सागर तक यूक्रेन की पहुंच बहुत सीमित हो जाएगी।
यह जताया दावा
वहीँ रूस का कहना है कि उसका खास सैन्य अभियान योजना के मुताबिक चल रहा है और अमेरिकी नेतृत्व में पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद उसका काम अच्छे से चलेगा. अठारहवीं सदी में बनी क्रेमलिन की सेनेट पैलेस से काम करने वाले पुतिन को जल्द ही बड़ा फैसला लेना होगा कि वे इस जंग को जारी रखना चाहते हैं या शांति की ओर बढ़ना चाहते हैं. खिंचती जा रही इस जंग में हजारों लोगों की मौत हो चुकी है और 40 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो गए हैं.रूस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, शांतिपूर्ण समाधान की बहुत कम ही गुंजाइश है.अगले तीन दिनों से लेकर एक हफ्ते के बीच कोई फैसला हो सकता है.एक और वरिष्ठ रूसी अधिकारी का कहना है कि राष्ट्रपति रूस की शर्तों को आगे रख कर एक शांतिपूर्ण समाधान पर विचार कर सकते हैं. हालांकि इसमें कुछ सहमतियों की गुंजाइश होगी. इन बातों से क्रेमलिन के इस यकीन का इशारा मिलता है कि रूस, यूक्रेन में बिना लंबी लड़ाई के भी अपने ज्यादातर लक्ष्यों को हासिल कर सकता है। जोग संजोग सवांददाता अवन्तिका जोशी के साथ केमरा मेन राकेश गहलोत.......
जोग सजोग टाइम्स बीकानेर
मिली जानकारी के अनुसार रूस और यूक्रेन युद्ध के चलते 40 लाख से अधिक लोग बेघर हो गए हैं। लाखों लोगों ने यूरोप के देशों की शरण ली है। सर्वाधिक लोग पोलैंड में गए हैं। पानी, बिजली और गैस की सबसे बड़ी समस्या है। सर्वाधिक परेशानी में महिलाएं व बच्चे है। युद्ध के तीन हफ्ते बाद भी रूसी फौज यूक्रेन के कड़े प्रतिरोध का सामना कर रही है. रूस की सेना अब तक अपना लक्ष्य हासिल नहीं कर पाई है। रूस कड़े प्रतिबंधों के शिकंजे में जकड़ा जा चुका है। जिसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था गहरे संकट में है। 1991 में सोवियत संघ के विघटन के बाद जो मुश्किलें रूस ने झेली थीं, उनके मुकाबले इस बार का आर्थिक संकट ज्यादा बड़ा है. पश्चिमी देश तो पहले ही कह चुके हैं कि पुतिन यूक्रेन की यह जंग हार गए हैं।
यह होगा संभावित बंटवारा ?
युद्ध का हल बंटवारे से ही निकलेगा। रूस चाहेगा कि समझौते में यूक्रेन की जमीन उनसे छिने. यह जमीन कम से कम 120,000 वर्ग किलोमीटर यानी अमेरिकी राज्य मिसिसिपी के बराबर होगी. इसमें क्राइमिया, पूर्वी यूक्रेन के रूस समर्थित दो अलगाववादी इलाकों के साथ ही रूस के कब्जे में आ चुकी जमीन का एक बड़ा हिस्सा भी होगा. खासतौर से रूस को क्राइमिया से जोड़ने वाले इलाके के साथ ही यूक्रेन के दक्षिणी और शायद पश्चिम की ओर का भी कुछ हिस्सा होगा. इनसे काले सागर तक यूक्रेन की पहुंच बहुत सीमित हो जाएगी।
यह जताया दावा
वहीँ रूस का कहना है कि उसका खास सैन्य अभियान योजना के मुताबिक चल रहा है और अमेरिकी नेतृत्व में पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के बावजूद उसका काम अच्छे से चलेगा. अठारहवीं सदी में बनी क्रेमलिन की सेनेट पैलेस से काम करने वाले पुतिन को जल्द ही बड़ा फैसला लेना होगा कि वे इस जंग को जारी रखना चाहते हैं या शांति की ओर बढ़ना चाहते हैं. खिंचती जा रही इस जंग में हजारों लोगों की मौत हो चुकी है और 40 लाख से ज्यादा लोग बेघर हो गए हैं.रूस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने पहचान जाहिर नहीं करने की शर्त पर समाचार एजेंसी रॉयटर्स से कहा, शांतिपूर्ण समाधान की बहुत कम ही गुंजाइश है.अगले तीन दिनों से लेकर एक हफ्ते के बीच कोई फैसला हो सकता है.एक और वरिष्ठ रूसी अधिकारी का कहना है कि राष्ट्रपति रूस की शर्तों को आगे रख कर एक शांतिपूर्ण समाधान पर विचार कर सकते हैं. हालांकि इसमें कुछ सहमतियों की गुंजाइश होगी. इन बातों से क्रेमलिन के इस यकीन का इशारा मिलता है कि रूस, यूक्रेन में बिना लंबी लड़ाई के भी अपने ज्यादातर लक्ष्यों को हासिल कर सकता है। जोग संजोग सवांददाता अवन्तिका जोशी के साथ केमरा मेन राकेश गहलोत.......
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