17 May 2022 12:39 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर
मिली जानकारी के अनुसार बीकानेर के छोटे से कस्बे नापासर में शोक की लहर है। यहां की जज बहू सरोज चौधरी की सड़क हादसे में मौत हो गई। सरोज परिवार वालों को हमेशा सरप्राइज दिया करती थीं। जिस तरह वो सबको चौंकाती थी, उसी तरह सोमवार को उनकी मौत भी चौंका गई। किसी ने सोचा भी नहीं था कि सोमवार सुबह ऐसी खबर मिलेगी।
परिवार ने बताया कि ADJ (एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज) सरोज चौधरी बीकानेर आकर सबको चौंका देती थीं। यहां आने का उनका प्रोग्राम हमेशा सरप्राइज के रूप में होता था। उनकी बहन सुमन डूडी ने बीकानेर में व्रत का उद्यापन करना था। सरोज को भी न्योता दिया। उन्होंने आने से मना कर दिया था। उनकी तैनाती अनूपगढ़ में है। बिजी शेड्यूल के चलते हर कोई मानता था कि वो नहीं आएंगी। हर बार की तरह, इस बार भी उन्होंने सरप्राइज देने का मन बनाया और बीकानेर के लिए रवाना हो गईं। परिवार के एक-दो सदस्यों को ही पता था कि वो आ रही हैं। व्रत उद्यापन के पूजन और भोजन में हिस्सा लेने वह अपने पीहर रानी बाजार पहुंचने वाली थीं।
जज होने के बावजूद वो जमीन से जुड़ी रहीं। सरोज का संपर्क हर किसी से था। न सिर्फ नापासर बल्कि बीकानेर के पीबीएम हॉस्पिटल सहित कई ऐसे केंद्र हैं, जहां सरोज सहयोग करती थीं। सोमवार को उसी महिला के अंतिम संस्कार के लिए बड़ी संख्या में लोग ससुराल के आगे खड़े हैं। अब बेटे का इंतजार है। वह डॉक्टर है। दोस्त की शादी में कोलकाता गया है। वो कल तक बीकानेर पहुंचेगा, तब मां को अंतिम विदाई दी जाएगी।
सरोज सोमवार को अनूपगढ़ से बीकानेर आ रही थीं। रास्ते में हादसा हो गया। सरोज के सिर से कंधे तक गंभीर चोटें आई थीं। इससे गाड़ी में ही उनकी मौत हो गई। अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टर्स ने मृत घोषित कर दिया। यहां रानी बाजार में स्थित उनके पीहर में शोक की लहर है। सुबह सवेरे ही वो अनूपगढ़ से बीकानेर के लिए निकली थीं। कुछ समय पहले घर में हुए विवाह समारोह में भी जमकर एंजॉय किया था। अब पूरा परिवार गमगीन है।
बीकानेर में की पढ़ाई
परिवार ने बताया कि सरोज चौधरी ने बीकानेर के रामपुरिया कॉलेज से LLB की थी। वो विधिवेता मेघराज स्वामी (गुरुजी) की शिष्या रही हैं। डूंगर कॉलेज के विधि व्याख्याता भगवानाराम बिश्नोई के सानिध्य में भी RJS की तैयारी की। इस परीक्षा में पास होने के लिए ही कुछ महीने वरिष्ठ अधिवक्ता पाबूराम बिश्नोई के साथ कोर्ट में प्रैक्टिस की। उन्हें हर हाल में जज बनना था। वर्ष 2002 में उनका चयन हो गया। दो बार प्रमोशन मिला। एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज बन गईं। उनके शिक्षक रहे भगवानाराम बिश्नोई बताते हैं- सहजता और सरलता के कारण ही सरोज चौधरी को हम सब जज के रूप में देखना चाहते थे।
नर सेवा, नारायण सेवा
सरोज चौधरी के भाई नरेंद्र चौधरी कहते हैं- वो नर सेवा नारायण सेवा के विचार में विश्वास रखती थी। ऐसा कई बार हुआ, जब वो बिना किसी को बताए लोगों का सहयोग करती थी। पीबीएम हॉस्पिटल स्थित भोजनालय में सहयोग करना उनका सबसे बड़ा शौक था। इसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है। सरोज के दो बेटे हैं। एक LLB कर रहा है, दूसरा डॉक्टर है। पति BSF में थे। रिटायर हो गए। अभी कोटा में प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं।
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर
मिली जानकारी के अनुसार बीकानेर के छोटे से कस्बे नापासर में शोक की लहर है। यहां की जज बहू सरोज चौधरी की सड़क हादसे में मौत हो गई। सरोज परिवार वालों को हमेशा सरप्राइज दिया करती थीं। जिस तरह वो सबको चौंकाती थी, उसी तरह सोमवार को उनकी मौत भी चौंका गई। किसी ने सोचा भी नहीं था कि सोमवार सुबह ऐसी खबर मिलेगी।
परिवार ने बताया कि ADJ (एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज) सरोज चौधरी बीकानेर आकर सबको चौंका देती थीं। यहां आने का उनका प्रोग्राम हमेशा सरप्राइज के रूप में होता था। उनकी बहन सुमन डूडी ने बीकानेर में व्रत का उद्यापन करना था। सरोज को भी न्योता दिया। उन्होंने आने से मना कर दिया था। उनकी तैनाती अनूपगढ़ में है। बिजी शेड्यूल के चलते हर कोई मानता था कि वो नहीं आएंगी। हर बार की तरह, इस बार भी उन्होंने सरप्राइज देने का मन बनाया और बीकानेर के लिए रवाना हो गईं। परिवार के एक-दो सदस्यों को ही पता था कि वो आ रही हैं। व्रत उद्यापन के पूजन और भोजन में हिस्सा लेने वह अपने पीहर रानी बाजार पहुंचने वाली थीं।
जज होने के बावजूद वो जमीन से जुड़ी रहीं। सरोज का संपर्क हर किसी से था। न सिर्फ नापासर बल्कि बीकानेर के पीबीएम हॉस्पिटल सहित कई ऐसे केंद्र हैं, जहां सरोज सहयोग करती थीं। सोमवार को उसी महिला के अंतिम संस्कार के लिए बड़ी संख्या में लोग ससुराल के आगे खड़े हैं। अब बेटे का इंतजार है। वह डॉक्टर है। दोस्त की शादी में कोलकाता गया है। वो कल तक बीकानेर पहुंचेगा, तब मां को अंतिम विदाई दी जाएगी।
सरोज सोमवार को अनूपगढ़ से बीकानेर आ रही थीं। रास्ते में हादसा हो गया। सरोज के सिर से कंधे तक गंभीर चोटें आई थीं। इससे गाड़ी में ही उनकी मौत हो गई। अस्पताल ले जाया गया, लेकिन डॉक्टर्स ने मृत घोषित कर दिया। यहां रानी बाजार में स्थित उनके पीहर में शोक की लहर है। सुबह सवेरे ही वो अनूपगढ़ से बीकानेर के लिए निकली थीं। कुछ समय पहले घर में हुए विवाह समारोह में भी जमकर एंजॉय किया था। अब पूरा परिवार गमगीन है।
बीकानेर में की पढ़ाई
परिवार ने बताया कि सरोज चौधरी ने बीकानेर के रामपुरिया कॉलेज से LLB की थी। वो विधिवेता मेघराज स्वामी (गुरुजी) की शिष्या रही हैं। डूंगर कॉलेज के विधि व्याख्याता भगवानाराम बिश्नोई के सानिध्य में भी RJS की तैयारी की। इस परीक्षा में पास होने के लिए ही कुछ महीने वरिष्ठ अधिवक्ता पाबूराम बिश्नोई के साथ कोर्ट में प्रैक्टिस की। उन्हें हर हाल में जज बनना था। वर्ष 2002 में उनका चयन हो गया। दो बार प्रमोशन मिला। एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज बन गईं। उनके शिक्षक रहे भगवानाराम बिश्नोई बताते हैं- सहजता और सरलता के कारण ही सरोज चौधरी को हम सब जज के रूप में देखना चाहते थे।
नर सेवा, नारायण सेवा
सरोज चौधरी के भाई नरेंद्र चौधरी कहते हैं- वो नर सेवा नारायण सेवा के विचार में विश्वास रखती थी। ऐसा कई बार हुआ, जब वो बिना किसी को बताए लोगों का सहयोग करती थी। पीबीएम हॉस्पिटल स्थित भोजनालय में सहयोग करना उनका सबसे बड़ा शौक था। इसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है। सरोज के दो बेटे हैं। एक LLB कर रहा है, दूसरा डॉक्टर है। पति BSF में थे। रिटायर हो गए। अभी कोटा में प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं।
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26 April 2023 07:44 PM
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