14 March 2024 05:17 PM
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने लोकसभा, राज्यों की विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने को लेकर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है.
जानकारी के मुताबिक, समिति ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 18,626 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है. रिपोर्ट दो सितंबर 2023 को समिति गठन के बाद से तैयार की जा रही थी.
इसके लिए अलग-अलग स्टेकहोल्डर्स, विशेषज्ञों के साथ सलाह-मशविरा हुआ और 191 दिनों के रिसर्च के बाद समिति रिपोर्ट लेकर आई है. समिति ने कहा है कि पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं, जिसके बाद 100 दिन के अंदर दूसरे चरण में स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जा सकते हैं.
सिफारिश की 8 बड़ी बातें –
पहला – समिति की सिफारिश है कि लोकसभा, विधानसभा चुनावों के साथ-साथ पंचायतों और नगर पालिकाओं के चुनाव कराए जा सकते हैं. हालांकि, समिति इनको दो चरणों में लागू करने की सिफारिश करती है. जहां पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव और फिर 100 दिन के अंदर दूसरे चरण में स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जाने की बात है.
दूसरा – समिति ने संविधान में कुछ संशोधन की भी वकालत की है. इसके तहत कुछ शब्दावली में हल्का बदलाव या यूं कहें कि उनको नए सिरे से परिभाषित करने की बात है. ‘एक साथ चुनाव’ को ‘जेनरल इलेक्शन’ कहने का सुझाव दिया गया है.
तीसरा – सिफारिश के मुताबिक, लोकसभा-विधानसभा चुनाव के बीच अगर एक तालमेल बैठ जाता है और एक देश – एक चुनाव होने लगता है तो यह हर पांच साल पर हुआ करेगा. हां, अगर कोई सदन पांच वर्ष की अवधि से पहले भंग हो गई तो फिर मध्यावधि चुनाव अगले पांच साल के लिए नहीं बल्कि केवल बचे हुए कार्यकाल के लिए होगा ताकि अवधि पूरा होने तक राज्य और लोकसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकें.
चौथा – लोकसभा का पांच साल कार्यकाल पूरा होने से पहले यदि किसी राज्य विधानसभा में सरकार गिरती है, त्रिशंकु या अविश्वास प्रस्ताव जैसी स्थिति में लोकसभा के बचे हुए कार्यकाल की अवधि के आधार पर विधानसभा में चुनाव कराएं जाएं. जैसे लोकसभा पांच में एक साल का कार्यकाल पूरा कर चुकी और कहीं राज्य में सरकार गिर गई तो विधानसभा चुनाव चार साल का कराया जाए.
पांचवा – सिफारिशों में एकल मतदाता सूची तैयार करने का भी सुझाव है और इसके लिए संविधान के कई अनुच्छेदों में संविधान संशोधन की सिफारिश की गई है.
छठा –असाधारण परिस्थितियों में, जबकि राज्य विधानसभा में कोई सरकार बनाने में सक्षम नहीं हो तो चुनाव आयोग की सिफारिश पर राष्ट्रपति शासन लगाया जाए, जब तक कि लोकसभा का कार्यकाल पूरा ना हो.
सांतवा – लोकसभा की पहली बैठक के दिन एक अधिसूचना जारी कर राष्ट्रपति 324A के प्रावधान को लागू कर सकते हैं. उसे निर्धारित तिथि कहा जाएगा. इस निर्धारित तिथि के बाद लोकसभा और विस का कार्यकाल पांच साल के लिए होगा. जहां यह कार्यकाल पूरा होने से पहले सरकार गिरती है तो बाकी समय के लिए चुनाव कराया जाने की बात है.
आंठवा –पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग लॉजिस्टिक्स का अनुमान लगाए और उस पर अपना ब्यौरा दे. साथ ही, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली यह उच्च स्तरीय समिति एक साथ चुनाव कराने के लिए संविधान के अंतिम कई अनुच्छेदों में संशोधन की सिफारिश की है.
पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने लोकसभा, राज्यों की विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ कराने को लेकर अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को सौंप दी है.
जानकारी के मुताबिक, समिति ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को 18,626 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है. रिपोर्ट दो सितंबर 2023 को समिति गठन के बाद से तैयार की जा रही थी.
इसके लिए अलग-अलग स्टेकहोल्डर्स, विशेषज्ञों के साथ सलाह-मशविरा हुआ और 191 दिनों के रिसर्च के बाद समिति रिपोर्ट लेकर आई है. समिति ने कहा है कि पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ कराए जा सकते हैं, जिसके बाद 100 दिन के अंदर दूसरे चरण में स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जा सकते हैं.
सिफारिश की 8 बड़ी बातें –
पहला – समिति की सिफारिश है कि लोकसभा, विधानसभा चुनावों के साथ-साथ पंचायतों और नगर पालिकाओं के चुनाव कराए जा सकते हैं. हालांकि, समिति इनको दो चरणों में लागू करने की सिफारिश करती है. जहां पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव और फिर 100 दिन के अंदर दूसरे चरण में स्थानीय निकायों के चुनाव कराए जाने की बात है.
दूसरा – समिति ने संविधान में कुछ संशोधन की भी वकालत की है. इसके तहत कुछ शब्दावली में हल्का बदलाव या यूं कहें कि उनको नए सिरे से परिभाषित करने की बात है. ‘एक साथ चुनाव’ को ‘जेनरल इलेक्शन’ कहने का सुझाव दिया गया है.
तीसरा – सिफारिश के मुताबिक, लोकसभा-विधानसभा चुनाव के बीच अगर एक तालमेल बैठ जाता है और एक देश – एक चुनाव होने लगता है तो यह हर पांच साल पर हुआ करेगा. हां, अगर कोई सदन पांच वर्ष की अवधि से पहले भंग हो गई तो फिर मध्यावधि चुनाव अगले पांच साल के लिए नहीं बल्कि केवल बचे हुए कार्यकाल के लिए होगा ताकि अवधि पूरा होने तक राज्य और लोकसभा चुनाव एक साथ कराए जा सकें.
चौथा – लोकसभा का पांच साल कार्यकाल पूरा होने से पहले यदि किसी राज्य विधानसभा में सरकार गिरती है, त्रिशंकु या अविश्वास प्रस्ताव जैसी स्थिति में लोकसभा के बचे हुए कार्यकाल की अवधि के आधार पर विधानसभा में चुनाव कराएं जाएं. जैसे लोकसभा पांच में एक साल का कार्यकाल पूरा कर चुकी और कहीं राज्य में सरकार गिर गई तो विधानसभा चुनाव चार साल का कराया जाए.
पांचवा – सिफारिशों में एकल मतदाता सूची तैयार करने का भी सुझाव है और इसके लिए संविधान के कई अनुच्छेदों में संविधान संशोधन की सिफारिश की गई है.
छठा –असाधारण परिस्थितियों में, जबकि राज्य विधानसभा में कोई सरकार बनाने में सक्षम नहीं हो तो चुनाव आयोग की सिफारिश पर राष्ट्रपति शासन लगाया जाए, जब तक कि लोकसभा का कार्यकाल पूरा ना हो.
सांतवा – लोकसभा की पहली बैठक के दिन एक अधिसूचना जारी कर राष्ट्रपति 324A के प्रावधान को लागू कर सकते हैं. उसे निर्धारित तिथि कहा जाएगा. इस निर्धारित तिथि के बाद लोकसभा और विस का कार्यकाल पांच साल के लिए होगा. जहां यह कार्यकाल पूरा होने से पहले सरकार गिरती है तो बाकी समय के लिए चुनाव कराया जाने की बात है.
आंठवा –पूरे देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग लॉजिस्टिक्स का अनुमान लगाए और उस पर अपना ब्यौरा दे. साथ ही, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली यह उच्च स्तरीय समिति एक साथ चुनाव कराने के लिए संविधान के अंतिम कई अनुच्छेदों में संशोधन की सिफारिश की है.
RELATED ARTICLES
© Copyright 2021-2025, All Rights Reserved by Jogsanjog Times| Designed by amoadvisor.com