27 January 2022 02:45 PM
जोग संजोग टाइम्स,
बीकानेर, एक तरफ जहां सरकार अंग्रेजी माध्यम की स्कूलों के लिए अपनी पीठ थपथपा रही है, वहीं दूसरी ओर शिक्षा मंत्री के गृह जिले में लड़कियों ने अपने स्कूल पर ताला लगा दिया। क्योंकि उनकी हिन्दी मीडियम स्कूल बंद कर इंग्लिश मीडियम कर दी गई। मामला नोखा के काकड़ा गांव में स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक बालिका विद्यालय का है। ताला लगाने के बाद से शिक्षा विभाग के अधिकारियों में हलचल हो गई है। दरअसल, शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला स्वयं आज बीकानेर में है। नोखा के इस स्कूल को पिछले दिनों शिक्षा विभाग ने महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल में बदल दिया था। इसके बाद से यहां हिन्दी माध्यम बंद हो गया। जो लड़कियां हिन्दी माध्यम में पढ़ना चाहती है, उन्हें स्कूल बदलना पड़ेगा। बालिका स्कूल होने के कारण ही मां-बाप उन्हें यहां भेज रहे थे, लेकिन अब दूसरी स्कूल में लड़कों के साथ कई अभिभावक अपनी बेटियों को नहीं भेजना चाहते। अभिभावकों का कहना है कि अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलना ही है तो अलग जमीन और कमरे हैं, वहां खोलने चाहिए। हिन्दी माध्यम को बंद करके अंग्रेजी माध्यम स्कूल नहीं खोलने देंगे। गुरुवार सुबह आठ बजे जब स्टॉफ स्कूल पहुंचा तो लड़कियों ने मुख्य गेट पर ही ताला लगा दिया था। इनके से कुछ अभिभावक और ग्रामीण भी रहे। इन सभी ने स्कूल बंद करने का समर्थन किया। अभिभावकों ने हाथ खड़े करके लड़कियों के इस आंदोलन का समर्थन किया। इस स्कूल में वर्तमान में 445 लड़कियां पढ़ रही है। ऐसे में इन सभी को अचानक से हिन्दी से अंग्रेजी माध्यम में बदल दिया गया। बहुत सारी लड़कियों की अंग्रेजी ऐसी नहीं है कि वो अंग्रेजी की सातवीं व आठवीं की किताब भी पढ़ सकें। लड़कियां पहली से अब तक हिन्दी माध्यम में ही पढ़ती रही है। कुछ होनहार लड़कियों को भी माध्यम बदलने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
जोग संजोग टाइम्स,
बीकानेर, एक तरफ जहां सरकार अंग्रेजी माध्यम की स्कूलों के लिए अपनी पीठ थपथपा रही है, वहीं दूसरी ओर शिक्षा मंत्री के गृह जिले में लड़कियों ने अपने स्कूल पर ताला लगा दिया। क्योंकि उनकी हिन्दी मीडियम स्कूल बंद कर इंग्लिश मीडियम कर दी गई। मामला नोखा के काकड़ा गांव में स्थित राजकीय उच्च माध्यमिक बालिका विद्यालय का है। ताला लगाने के बाद से शिक्षा विभाग के अधिकारियों में हलचल हो गई है। दरअसल, शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला स्वयं आज बीकानेर में है। नोखा के इस स्कूल को पिछले दिनों शिक्षा विभाग ने महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल में बदल दिया था। इसके बाद से यहां हिन्दी माध्यम बंद हो गया। जो लड़कियां हिन्दी माध्यम में पढ़ना चाहती है, उन्हें स्कूल बदलना पड़ेगा। बालिका स्कूल होने के कारण ही मां-बाप उन्हें यहां भेज रहे थे, लेकिन अब दूसरी स्कूल में लड़कों के साथ कई अभिभावक अपनी बेटियों को नहीं भेजना चाहते। अभिभावकों का कहना है कि अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलना ही है तो अलग जमीन और कमरे हैं, वहां खोलने चाहिए। हिन्दी माध्यम को बंद करके अंग्रेजी माध्यम स्कूल नहीं खोलने देंगे। गुरुवार सुबह आठ बजे जब स्टॉफ स्कूल पहुंचा तो लड़कियों ने मुख्य गेट पर ही ताला लगा दिया था। इनके से कुछ अभिभावक और ग्रामीण भी रहे। इन सभी ने स्कूल बंद करने का समर्थन किया। अभिभावकों ने हाथ खड़े करके लड़कियों के इस आंदोलन का समर्थन किया। इस स्कूल में वर्तमान में 445 लड़कियां पढ़ रही है। ऐसे में इन सभी को अचानक से हिन्दी से अंग्रेजी माध्यम में बदल दिया गया। बहुत सारी लड़कियों की अंग्रेजी ऐसी नहीं है कि वो अंग्रेजी की सातवीं व आठवीं की किताब भी पढ़ सकें। लड़कियां पहली से अब तक हिन्दी माध्यम में ही पढ़ती रही है। कुछ होनहार लड़कियों को भी माध्यम बदलने से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
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