04 January 2023 11:48 AM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
बीकानेर। नववर्ष के आगमन पर मेट्रिक्स इंस्टिट्यूट संस्थान की और से विद्यार्थियों कों शैक्षणिक भ्रमण पर धार्मिक दर्शनीय स्थल मुकाम,समराथल,और देशनाेक ले जाया गया। यहां विभिन्न ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों को बच्चों ने नजदीक से देखा और इससे जुड़ी विस्तृत जानकारी से रूबरू हुए। मेट्रिक्स इंस्टिट्यूट के प्रबंध निदेशक राजा सर ने कहा कि शैक्षिक भ्रमण से बच्चों में शिक्षा के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है। बच्चों व युवाओं के लिए भ्रमण शिक्षा का अंग है, जबकि बड़े लोगों को इससे अनुभव मिलता है। भ्रमण से जो हम सीखते हैं, उसे पुस्तकों से सीखना कठिन होता है, क्योंकि सीखने में आँख की भूमिका अन्य ज्ञानेन्द्रियों की तुलना में सबसे अधिक होती है। उन्होंने बताया कि शैक्षिक भ्रमण पर बच्चे खुले वातावरण में शिक्षा को अपने व्यक्तिगत अनुभवों से परिभाषित करते हैं। इससे छात्रों में एक अनुभूति जागृत होती है, जिससे वह देश की विभिन्नताओं जैसे इतिहास, विज्ञान, शिष्टाचार और प्रकृति को व्यक्तिगत रूप से जानने का अवसर प्राप्त करते हैं। भ्रमण यदि सुनियोजित तरीके से किए जाएं तो वे सीखने-सिखाने की प्रक्रिया के लिए बहुत महत्व रखते हैं। भ्रमण के दौरान विद्यार्थियों ने मुकाम और समराथल में बिश्नोई संम्प्रदाय के गुरु श्री जाम्भोजी महाराज की जीवनी और बिश्नोई सम्प्रदाय पंथ को करीब से जाना और समझा। वंही देशनोक में विश्व प्रसिद्ध चूहों वाली मां करनी जी के मंदिर में दर्शन कर ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल कों करीब से निहार कर बच्चों ने शैक्षणिक भ्रमण का खूब ऐन्जॉय किया। संस्थान के निदेशक राजा सर ने कहा कि भ्रमण यदि सुनियोजित तरीके से किए जाएं तो वे सीखने-सिखाने की प्रक्रिया के लिए बहुत महत्व रखते हैं।
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
बीकानेर। नववर्ष के आगमन पर मेट्रिक्स इंस्टिट्यूट संस्थान की और से विद्यार्थियों कों शैक्षणिक भ्रमण पर धार्मिक दर्शनीय स्थल मुकाम,समराथल,और देशनाेक ले जाया गया। यहां विभिन्न ऐतिहासिक व धार्मिक स्थलों को बच्चों ने नजदीक से देखा और इससे जुड़ी विस्तृत जानकारी से रूबरू हुए। मेट्रिक्स इंस्टिट्यूट के प्रबंध निदेशक राजा सर ने कहा कि शैक्षिक भ्रमण से बच्चों में शिक्षा के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण विकसित होता है। बच्चों व युवाओं के लिए भ्रमण शिक्षा का अंग है, जबकि बड़े लोगों को इससे अनुभव मिलता है। भ्रमण से जो हम सीखते हैं, उसे पुस्तकों से सीखना कठिन होता है, क्योंकि सीखने में आँख की भूमिका अन्य ज्ञानेन्द्रियों की तुलना में सबसे अधिक होती है। उन्होंने बताया कि शैक्षिक भ्रमण पर बच्चे खुले वातावरण में शिक्षा को अपने व्यक्तिगत अनुभवों से परिभाषित करते हैं। इससे छात्रों में एक अनुभूति जागृत होती है, जिससे वह देश की विभिन्नताओं जैसे इतिहास, विज्ञान, शिष्टाचार और प्रकृति को व्यक्तिगत रूप से जानने का अवसर प्राप्त करते हैं। भ्रमण यदि सुनियोजित तरीके से किए जाएं तो वे सीखने-सिखाने की प्रक्रिया के लिए बहुत महत्व रखते हैं। भ्रमण के दौरान विद्यार्थियों ने मुकाम और समराथल में बिश्नोई संम्प्रदाय के गुरु श्री जाम्भोजी महाराज की जीवनी और बिश्नोई सम्प्रदाय पंथ को करीब से जाना और समझा। वंही देशनोक में विश्व प्रसिद्ध चूहों वाली मां करनी जी के मंदिर में दर्शन कर ऐतिहासिक दर्शनीय स्थल कों करीब से निहार कर बच्चों ने शैक्षणिक भ्रमण का खूब ऐन्जॉय किया। संस्थान के निदेशक राजा सर ने कहा कि भ्रमण यदि सुनियोजित तरीके से किए जाएं तो वे सीखने-सिखाने की प्रक्रिया के लिए बहुत महत्व रखते हैं।
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