11 May 2021 12:48 PM
बीकानेर। मौत का तांडव मचा रहे कोरोना के कहर में रोगियों केलिये जीवन रक्षक रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वालोंपर शिंकजा कसने के लिये बीकानेर पहुंची एसओजी की टीम ने यहांदवा कारोबार जगत की पांच फर्मो को जांच में दायरे मे लेकरएफआईआर दर्ज कर ली है। जानकारी के अनुसार कहर बरपा रहे कोरोना के दौर में यहां बीकानेर में बीते एक माह के अंतराल में करीबढाई तीन करोड़ रूपये के रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी हुई है। यहां बड़े पैमाने पर हुई इस कालाबाजारी में फिलहाल मित्तल फार्मा,मित्तल ड्रग ऐजेसी,तंवर मेडिकोज,गौरव ऐजेंसी और राजेन्द्र मेडिकलएण्ड जनरल स्टोर का नाम सामने आया है। जानकारी के अनुसार जांचपड़ताल के लिये बीते सप्ताह बीकानेर आई एसओजी टीम इन फर्मो केरेमडेसिविर इंजेक्शन की खरीद फरो-त और सप्लाई से जुड़े दस्तावेज भी कब्जे में लिये है। इंजेक्शन की कालाबाजारी के खेल में जीवन रक्षा होस्पीटल,डॉ.तनवीर मालावत होस्पीटल,एमएन होस्पीटल संचालकों के अलावा औषधी विभाग के सहायक औषधी नियंत्रक की मिलीभगत भी सामने आई है। वहीं दवा कारोबार जगत से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि सबसे ज्यादा कालाबाजारी मित्तल फार्मा और मित्तल ड्रग ऐजेसी की सामने आई है । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन दोनों फर्मो के संचालकों ने करीब 1011 रेमडेसिविर इंजेक्शन ब्लैक में बेचे है । मजे कि बात तो यह है कि मित्तल फार्मा और मित्तल ड्रग ऐजेंसी ने अपनी बिलिंग में शहर के डॉ.अशोक सुथार,डॉ.केके पुरोहित,डॉ.विजय शांति बांठिया,डॉ.अजय गुप्ता,डॉ.श्रेयासं जैन,डॉ.अच्यूत त्रिवेदी के अलावा कोलकाता,जयपुर और श्रीगंगानगर के कई प्राइवेट होस्पीटल में रेमडेसिविर इंजेक्शनों की सप्लाई देना बताया है,जबकि इनमें अधिकांश बिल ही फर्जी बताये जाते है। इस तरह तंवर मेडिकोज और गौरव ऐजेंसी के बिलों में भी रेमडेसिविर इजेंक्शनों की कालाबाजारी के तथ्य सामने आये है। यह भी पता चला है कि इन फर्मो ने फर्जी बिलों के जरिये बीकानेर की प्रावइेट होस्पीटलों में बड़े पैमाने पर रेमडेसिविर इंजेक्शन सप्लाई किये। तीस-तीस हजार में बेचा एक इंजेक्शन बीकानेर में बड़े पैमाने पर हुई रेमडेसिविर इजेंशन की कालाबाजारी से जुड़े मामले की पड़ताल में सामने आया है कि दवा कारोबारियों ने मौके का फायदा उठाने के लिये पहले तो इंजेक्शन की सप्लाई ठप्प कर दी,फिर डिमांड बढने पर एक इंजेक्शन तीस हजार रूपये की कीमत में बेचा। इसके पुख्ता तथ्य भी सामने आये है कि बीकानेर में करीब ढाई तीन हजार रेमडेसिविर इंजेशनों की कालाबाजारी हुई है। जानकारी के अनुसार इस समय अलग अलग कंपनियां रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन कर रहीहैं. इसकी एक डोज की कीमत 899 रुपये से लेकर 5400 रुपये तक है, लेकिन डिमांड बढने और कोरोना की मारामारी का दौर शुरू होने के बाद दवा कारोबारियों ने इस इंजेक्शन की एक डोज तीस से चालीस हजार रूपये में बेची। नकली इंजेक्शन कर दिये सप्लाई हैरानी की बात तो यह है कि रेमडेसिविर इजेंक्शनों की कालाबाजारी में लिप्त मेडिकल फर्मो के संचालकों ने मारामारी के दौर में नकली और एक्सपायर डेट इंजेक्शन भी खूब सप्लाई किये। इसका खुलासा करने के लिये एसओजी ने इंजेक्शन निर्माता कंपनी से बैच नंबरों का ब्यौरा भी मांगा है,और इंजेक्शन सप्लायर मेडिकल फर्मा के दस्तावेजों से मिलान कर रही है। मामला मानव जीवन के स्वास्थ्य से जुड़ा होने के कारण एसओजी इसकी गहनता से जांच कर कड़ी से कड़ी जोड़कर कालाबाजारी में लिप्त दवा कारोबारियों के खिलाफ पुख्ता साक्ष्य सबूत जुटा रही है । एंटी वायरल इंजेक्शन है रेमडेसिविर डॉक्टरों के मुताबिक रेमडेसिविर एंटी वायरल इंजेक्शन है,एंटी वायरल का मतलब है कि ये दवाई शरीर में संक्रमित कोशिशकाओं को ठीक करने साथ वायरल संक्रमण को रोकने में कारगर है,मतलब यह कि जब वायरस शरीर में फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है तो वायरस से लडऩे के लिए और नुकसान को रोकने के लिए ये दवाई दी जाती है. भारत सरकार ने पिछले साल ही कोरोना मरीजों पर इस दवा के इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। इस बार कोरोना के जानलेवा पलटवार में इस इंजेक्शन की डिमांड बढने से इसकी कालाबाजारी शुरू हो गई।
बीकानेर। जीवन रक्षक रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वालों पर शिंकजा कसने के लिये बीकानेर पहुंची एसओजी की टीम ने यहां दवा कारोबार जगत की पांच फर्मो को जांच में दायरे मे लेकर एफआईआर दर्ज कर ली है। जानकारी के अनुसार कहर बरपा रहे कोरोना के दौर में यहां बीकानेर में बीते एक माह के अंतराल में करीब ढाई तीन करोड़ रूपये के रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी हुई है । पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की शुरुआती जांच में बीकानेर में कोरोना मरीजों को लगाए जाने वाले महंगे इंजेक्शन रेमडेसिविर की बड़े पैमाने पर कालाबाजारी और गड़बडिय़ां सामने आई हैं। एक माह में ही 510 इंजेक्शनों का घोटाला हुआ है। बीकानेर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का पता चलने पर एसओजी की एक टीम बीकानेर आई और एक अप्रैल से तीन मई तक का पूरा रिकॉर्ड खंगाला। इस कालाबाजारी में फिलहाल मित्तल फार्मा, मित्तल ड्रग ऐजेसी,जिन्दल मेडिकोज,तंवर मेडिकोज,गौरव ऐजेंसी और राजेन्द्र मेडिकल एण्ड जनरल स्टोर का नाम सामने आया है। जानकारी के अनुसार जांच पड़ताल के लिये बीते सप्ताह बीकानेर आई एसओजी टीम इन फर्मो के रेमडेसिविर इंजेक्शन की खरीद फरोख्त और सप्लाई से जुड़े दस्तावेज भी कब्जे में लिये है। इन इंजेक्शनों की कालाबाजारी के खेल में जीवन रक्षा होस्पीटल,डॉ.तनवीर मालावत अस्पताल ,एमएन अस्पताल संचालकों के अलावा औषधी विभाग के सहायक औषधी नियंत्रक की मिलीभगत भी सामने आई है। वहीं दवा कारोबार जगत से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि सबसे ज्यादा कालाबाजारी मित्तल फार्मा और मित्तल ड्रग ऐजेसी की सामने आई है । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन दोनों फर्मो के संचालकों ने करीब 1011 रेमडेसिविर इंजेक्शन ब्लैक में बेचे है । मजे कि बात तो यह है कि मित्तल फार्मा और मित्तल ड्रग ऐजेंसी ने अपनी बिलिंग में शहर के डॉ.अशोक सुथार,डॉ.केके पुरोहित,डॉ.विजय शांति बांठिया,डॉ.अजय गुप्ता,डॉ.श्रेयासं जैन,डॉ.अच्यूत त्रिवेदी के अलावा कोलाकता,जयपुर और श्रीगंगानगर के कई प्राइवेट अस्पताल में रेमडेसिविर इंजेक्शनों की सप्लाई देना बताया है,जबकि इनमें अधिकांश बिल ही फर्जी बताये जाते है। इस तरह तंवर मेडिकोज और गौरव ऐजेंसी के बिलों में भी रेमडेसिविर इजेंक्शनों की कालाबाजारी के तथ्य सामने आये है। यह भी पता चला है कि इन फर्मो ने फर्जी बिलों के जरिये बीकानेर की प्रावइेट होस्पीटलों में बड़े पैमाने पर रेमडेसिविर इंजेक्शन सप्लाई किये। तीस-तीस हजार में बेचा एक इंजेक्शन बीकानेर में बड़े पैमाने पर हुई रेमडेसिविर इजेंक्शन की कालाबाजारी से जुड़े मामले की पड़ताल में सामने आया है कि दवा कारोबारियों ने मौके का फायदा उठाने के लिये पहले तो इंजेक्शन की सप्लाई ठप्प कर दी,फिर डिमांड बढने पर एक इंजेक्शन तीस हजार रूपये की किमत में बेचा। इसके पुख्ता तथ्य भी सामने आये है कि बीकानेर में करीब ढाई तीन हजार रेमडेसिविर इंजेक्शनों की कालाबाजारी हुई है। जानकारी के अनुसार इस समय अलग अलग कम्पनियां रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन कर रही हैं. इसकी एक डोज की कीमत 899 रुपये से लेकर 5400 रुपये तक है,लेकिन डिमांड बढने और कोरोना की मारामारी का दौर शुरू होने के बाद दवा कारोबारियों ने इस इंजेक्शन की एक डोज तीस से चालीस हजार रूपये में बेची। बीकानेर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिमांड पर स्टॉकिस्ट ने जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, श्रीगंगानगर, चूरू, झुंझुनूं, भिवानी, कोलकाता सहित अनेक जगह भेजे। एसडीएमएच हॉस्पिटल जयपुर, महाराजा अग्रसेन हॉस्पिटल जयपुर ने कहा कि ना तो स्टॉकिस्ट को मांग पत्र भेजा और ना ही इंजेक्शन मिले। झुंझुनूं के आरआर हॉस्पिटल ने दो इंजेक्शन मिलना बताया, जबकि स्टॉकिस्ट ने चार बताए। सहायक ड्रग कंट्रोलर ने बीकानेर और बीकानेर से बाहर 890 इंजेक्शन की सप्लाई का रिकॉर्ड दिया। जबकि, छह अधिकृत स्टॉकिस्ट ने 1400 इंजेक्शन सप्लाई किए। दोनों के रिकॉर्ड में 510 इंजेक्शन का घोटाला सामने आया। इसके अलावा कुछ अस्पतालों ने तो इंजेक्शन मिलने से ही इंकार कर दिया।ये अस्पताल और डॉक्टर्स अधिकृत नहीं, फिर भी दिए इंजेक्शन मारवाड़ हॉस्पिटल, श्रीराम हॉस्पिटल, पीटी कृष्णा हॉस्पिटल। इनके अलावा डॉ. अशोक गुप्ता, जेके पुरोहित, अजय गुप्ता, एमजी चौधरी, श्रेया जैन, अमित, गोपाल, विजय शांति बांठिया, दयाल शर्मा व अन्य। जीवनरक्षा अस्पताल कोविड-19 के लिए अधिकृत अस्पताल है। लेकिन, स्टॉकिस्ट ने अस्पताल के डॉक्टर धनपत डागा और विकास पारीक के नाम पर अलग से इंजेक्शन दिए। नियम विरुद्व होने के बावजूद बीकानेर से बाहर मेडिकल स्टोर पर इंजेक्शन सप्लाई किए गए। जोधपुर में श्रीराम मेडिकल स्टोर और उदयपुर में बालाजी ड्रग हाउस को बिना निर्धारित प्रपत्र के इंजेक्शन दे दिए। रेमडेसिविर इंजेक्शन के छह अधिकृत स्टॉकिस्ट मित्तल ड्रग एजेंसी, मित्तल फार्मा, जिंदल मेडिकोज, राजेन्द्र मेडिकोज, तंवर मेडिकोज, मित्तल फार्मा, गौरव एजेंसी। कोविड-19 के अधिकृत अस्पताल डीटीएम हॉस्पिटल, कोठारी हॉस्पिटल, एमएन हॉस्पिटल, जीवन रक्षा हॉस्पिटल, गोविन्दम और वरदान हॉस्पिटल।
बीकानेर। मौत का तांडव मचा रहे कोरोना के कहर में रोगियों केलिये जीवन रक्षक रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वालोंपर शिंकजा कसने के लिये बीकानेर पहुंची एसओजी की टीम ने यहांदवा कारोबार जगत की पांच फर्मो को जांच में दायरे मे लेकरएफआईआर दर्ज कर ली है। जानकारी के अनुसार कहर बरपा रहे कोरोना के दौर में यहां बीकानेर में बीते एक माह के अंतराल में करीबढाई तीन करोड़ रूपये के रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी हुई है। यहां बड़े पैमाने पर हुई इस कालाबाजारी में फिलहाल मित्तल फार्मा,मित्तल ड्रग ऐजेसी,तंवर मेडिकोज,गौरव ऐजेंसी और राजेन्द्र मेडिकलएण्ड जनरल स्टोर का नाम सामने आया है। जानकारी के अनुसार जांचपड़ताल के लिये बीते सप्ताह बीकानेर आई एसओजी टीम इन फर्मो केरेमडेसिविर इंजेक्शन की खरीद फरो-त और सप्लाई से जुड़े दस्तावेज भी कब्जे में लिये है। इंजेक्शन की कालाबाजारी के खेल में जीवन रक्षा होस्पीटल,डॉ.तनवीर मालावत होस्पीटल,एमएन होस्पीटल संचालकों के अलावा औषधी विभाग के सहायक औषधी नियंत्रक की मिलीभगत भी सामने आई है। वहीं दवा कारोबार जगत से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि सबसे ज्यादा कालाबाजारी मित्तल फार्मा और मित्तल ड्रग ऐजेसी की सामने आई है । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन दोनों फर्मो के संचालकों ने करीब 1011 रेमडेसिविर इंजेक्शन ब्लैक में बेचे है । मजे कि बात तो यह है कि मित्तल फार्मा और मित्तल ड्रग ऐजेंसी ने अपनी बिलिंग में शहर के डॉ.अशोक सुथार,डॉ.केके पुरोहित,डॉ.विजय शांति बांठिया,डॉ.अजय गुप्ता,डॉ.श्रेयासं जैन,डॉ.अच्यूत त्रिवेदी के अलावा कोलकाता,जयपुर और श्रीगंगानगर के कई प्राइवेट होस्पीटल में रेमडेसिविर इंजेक्शनों की सप्लाई देना बताया है,जबकि इनमें अधिकांश बिल ही फर्जी बताये जाते है। इस तरह तंवर मेडिकोज और गौरव ऐजेंसी के बिलों में भी रेमडेसिविर इजेंक्शनों की कालाबाजारी के तथ्य सामने आये है। यह भी पता चला है कि इन फर्मो ने फर्जी बिलों के जरिये बीकानेर की प्रावइेट होस्पीटलों में बड़े पैमाने पर रेमडेसिविर इंजेक्शन सप्लाई किये। तीस-तीस हजार में बेचा एक इंजेक्शन बीकानेर में बड़े पैमाने पर हुई रेमडेसिविर इजेंशन की कालाबाजारी से जुड़े मामले की पड़ताल में सामने आया है कि दवा कारोबारियों ने मौके का फायदा उठाने के लिये पहले तो इंजेक्शन की सप्लाई ठप्प कर दी,फिर डिमांड बढने पर एक इंजेक्शन तीस हजार रूपये की कीमत में बेचा। इसके पुख्ता तथ्य भी सामने आये है कि बीकानेर में करीब ढाई तीन हजार रेमडेसिविर इंजेशनों की कालाबाजारी हुई है। जानकारी के अनुसार इस समय अलग अलग कंपनियां रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन कर रहीहैं. इसकी एक डोज की कीमत 899 रुपये से लेकर 5400 रुपये तक है, लेकिन डिमांड बढने और कोरोना की मारामारी का दौर शुरू होने के बाद दवा कारोबारियों ने इस इंजेक्शन की एक डोज तीस से चालीस हजार रूपये में बेची। नकली इंजेक्शन कर दिये सप्लाई हैरानी की बात तो यह है कि रेमडेसिविर इजेंक्शनों की कालाबाजारी में लिप्त मेडिकल फर्मो के संचालकों ने मारामारी के दौर में नकली और एक्सपायर डेट इंजेक्शन भी खूब सप्लाई किये। इसका खुलासा करने के लिये एसओजी ने इंजेक्शन निर्माता कंपनी से बैच नंबरों का ब्यौरा भी मांगा है,और इंजेक्शन सप्लायर मेडिकल फर्मा के दस्तावेजों से मिलान कर रही है। मामला मानव जीवन के स्वास्थ्य से जुड़ा होने के कारण एसओजी इसकी गहनता से जांच कर कड़ी से कड़ी जोड़कर कालाबाजारी में लिप्त दवा कारोबारियों के खिलाफ पुख्ता साक्ष्य सबूत जुटा रही है । एंटी वायरल इंजेक्शन है रेमडेसिविर डॉक्टरों के मुताबिक रेमडेसिविर एंटी वायरल इंजेक्शन है,एंटी वायरल का मतलब है कि ये दवाई शरीर में संक्रमित कोशिशकाओं को ठीक करने साथ वायरल संक्रमण को रोकने में कारगर है,मतलब यह कि जब वायरस शरीर में फेफड़ों की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाता है तो वायरस से लडऩे के लिए और नुकसान को रोकने के लिए ये दवाई दी जाती है. भारत सरकार ने पिछले साल ही कोरोना मरीजों पर इस दवा के इस्तेमाल की मंजूरी दी थी। इस बार कोरोना के जानलेवा पलटवार में इस इंजेक्शन की डिमांड बढने से इसकी कालाबाजारी शुरू हो गई।
बीकानेर। जीवन रक्षक रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने वालों पर शिंकजा कसने के लिये बीकानेर पहुंची एसओजी की टीम ने यहां दवा कारोबार जगत की पांच फर्मो को जांच में दायरे मे लेकर एफआईआर दर्ज कर ली है। जानकारी के अनुसार कहर बरपा रहे कोरोना के दौर में यहां बीकानेर में बीते एक माह के अंतराल में करीब ढाई तीन करोड़ रूपये के रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी हुई है । पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की शुरुआती जांच में बीकानेर में कोरोना मरीजों को लगाए जाने वाले महंगे इंजेक्शन रेमडेसिविर की बड़े पैमाने पर कालाबाजारी और गड़बडिय़ां सामने आई हैं। एक माह में ही 510 इंजेक्शनों का घोटाला हुआ है। बीकानेर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का पता चलने पर एसओजी की एक टीम बीकानेर आई और एक अप्रैल से तीन मई तक का पूरा रिकॉर्ड खंगाला। इस कालाबाजारी में फिलहाल मित्तल फार्मा, मित्तल ड्रग ऐजेसी,जिन्दल मेडिकोज,तंवर मेडिकोज,गौरव ऐजेंसी और राजेन्द्र मेडिकल एण्ड जनरल स्टोर का नाम सामने आया है। जानकारी के अनुसार जांच पड़ताल के लिये बीते सप्ताह बीकानेर आई एसओजी टीम इन फर्मो के रेमडेसिविर इंजेक्शन की खरीद फरोख्त और सप्लाई से जुड़े दस्तावेज भी कब्जे में लिये है। इन इंजेक्शनों की कालाबाजारी के खेल में जीवन रक्षा होस्पीटल,डॉ.तनवीर मालावत अस्पताल ,एमएन अस्पताल संचालकों के अलावा औषधी विभाग के सहायक औषधी नियंत्रक की मिलीभगत भी सामने आई है। वहीं दवा कारोबार जगत से जुड़े सूत्रों ने बताया है कि सबसे ज्यादा कालाबाजारी मित्तल फार्मा और मित्तल ड्रग ऐजेसी की सामने आई है । सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इन दोनों फर्मो के संचालकों ने करीब 1011 रेमडेसिविर इंजेक्शन ब्लैक में बेचे है । मजे कि बात तो यह है कि मित्तल फार्मा और मित्तल ड्रग ऐजेंसी ने अपनी बिलिंग में शहर के डॉ.अशोक सुथार,डॉ.केके पुरोहित,डॉ.विजय शांति बांठिया,डॉ.अजय गुप्ता,डॉ.श्रेयासं जैन,डॉ.अच्यूत त्रिवेदी के अलावा कोलाकता,जयपुर और श्रीगंगानगर के कई प्राइवेट अस्पताल में रेमडेसिविर इंजेक्शनों की सप्लाई देना बताया है,जबकि इनमें अधिकांश बिल ही फर्जी बताये जाते है। इस तरह तंवर मेडिकोज और गौरव ऐजेंसी के बिलों में भी रेमडेसिविर इजेंक्शनों की कालाबाजारी के तथ्य सामने आये है। यह भी पता चला है कि इन फर्मो ने फर्जी बिलों के जरिये बीकानेर की प्रावइेट होस्पीटलों में बड़े पैमाने पर रेमडेसिविर इंजेक्शन सप्लाई किये। तीस-तीस हजार में बेचा एक इंजेक्शन बीकानेर में बड़े पैमाने पर हुई रेमडेसिविर इजेंक्शन की कालाबाजारी से जुड़े मामले की पड़ताल में सामने आया है कि दवा कारोबारियों ने मौके का फायदा उठाने के लिये पहले तो इंजेक्शन की सप्लाई ठप्प कर दी,फिर डिमांड बढने पर एक इंजेक्शन तीस हजार रूपये की किमत में बेचा। इसके पुख्ता तथ्य भी सामने आये है कि बीकानेर में करीब ढाई तीन हजार रेमडेसिविर इंजेक्शनों की कालाबाजारी हुई है। जानकारी के अनुसार इस समय अलग अलग कम्पनियां रेमडेसिविर इंजेक्शन का उत्पादन कर रही हैं. इसकी एक डोज की कीमत 899 रुपये से लेकर 5400 रुपये तक है,लेकिन डिमांड बढने और कोरोना की मारामारी का दौर शुरू होने के बाद दवा कारोबारियों ने इस इंजेक्शन की एक डोज तीस से चालीस हजार रूपये में बेची। बीकानेर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की डिमांड पर स्टॉकिस्ट ने जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, श्रीगंगानगर, चूरू, झुंझुनूं, भिवानी, कोलकाता सहित अनेक जगह भेजे। एसडीएमएच हॉस्पिटल जयपुर, महाराजा अग्रसेन हॉस्पिटल जयपुर ने कहा कि ना तो स्टॉकिस्ट को मांग पत्र भेजा और ना ही इंजेक्शन मिले। झुंझुनूं के आरआर हॉस्पिटल ने दो इंजेक्शन मिलना बताया, जबकि स्टॉकिस्ट ने चार बताए। सहायक ड्रग कंट्रोलर ने बीकानेर और बीकानेर से बाहर 890 इंजेक्शन की सप्लाई का रिकॉर्ड दिया। जबकि, छह अधिकृत स्टॉकिस्ट ने 1400 इंजेक्शन सप्लाई किए। दोनों के रिकॉर्ड में 510 इंजेक्शन का घोटाला सामने आया। इसके अलावा कुछ अस्पतालों ने तो इंजेक्शन मिलने से ही इंकार कर दिया।ये अस्पताल और डॉक्टर्स अधिकृत नहीं, फिर भी दिए इंजेक्शन मारवाड़ हॉस्पिटल, श्रीराम हॉस्पिटल, पीटी कृष्णा हॉस्पिटल। इनके अलावा डॉ. अशोक गुप्ता, जेके पुरोहित, अजय गुप्ता, एमजी चौधरी, श्रेया जैन, अमित, गोपाल, विजय शांति बांठिया, दयाल शर्मा व अन्य। जीवनरक्षा अस्पताल कोविड-19 के लिए अधिकृत अस्पताल है। लेकिन, स्टॉकिस्ट ने अस्पताल के डॉक्टर धनपत डागा और विकास पारीक के नाम पर अलग से इंजेक्शन दिए। नियम विरुद्व होने के बावजूद बीकानेर से बाहर मेडिकल स्टोर पर इंजेक्शन सप्लाई किए गए। जोधपुर में श्रीराम मेडिकल स्टोर और उदयपुर में बालाजी ड्रग हाउस को बिना निर्धारित प्रपत्र के इंजेक्शन दे दिए। रेमडेसिविर इंजेक्शन के छह अधिकृत स्टॉकिस्ट मित्तल ड्रग एजेंसी, मित्तल फार्मा, जिंदल मेडिकोज, राजेन्द्र मेडिकोज, तंवर मेडिकोज, मित्तल फार्मा, गौरव एजेंसी। कोविड-19 के अधिकृत अस्पताल डीटीएम हॉस्पिटल, कोठारी हॉस्पिटल, एमएन हॉस्पिटल, जीवन रक्षा हॉस्पिटल, गोविन्दम और वरदान हॉस्पिटल।
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