07 September 2022 07:36 PM
जोग संजोग टाइम्स,
जोहड़ बीड़ राजस्थान का प्रसिद्ध गिद्ध संरक्षण क्षेत्र है। जहां देशी जाति के साथ-साथ विदेशी प्रजातियों के गिद्ध बड़ी संख्या में दिखाई देते है। करीब लगभग 226 हैक्टेयर क्षेत्र में फैला यह संरक्षण क्षेत्र गिद्धों का प्राकृतिक आवास है। प्रशासन द्वारा सम्पूर्ण क्षेत्र की सुरक्षा के लिए चारदिवारी एवं चेनलिंक फेसिंग की गई है ।
पिछले लगभग 50 वर्षों से यहां पर निगम ठेकेदार द्वारा मृत पशु खुले में डाले जाते हैं। ठेकेदार मृत पशु की चमड़ी, आंते, चर्बी एवं हड्डियों को निकाल कर सूखने के लिये छोड़ देता है। इस सम्पूर्ण कार्यवाही में समय लगता है। आयुक्त नगर निगम बीकानेर के अनुसार लम्पी से मृत पशुओं को सुजानदेसर, करमीसर एवं नाल क्षेत्र में समुचित दफनाया जा रहा है। जोहड़बीड़ में गैर लम्पी मृत पशु डाले जा रहे हैं। जहां यह एक माह तक खुले में रहते हैं ताकि इनके अवशेषों को गिद्ध व रेप्टर्स खा सकें और हड्डियां सूख कर उपयोग में लेने लायक हो सके। इस क्षेत्र में काफी संख्या में कुत्ते भी मौजूद हैं। ये भी इन मृत पशुओं को खाते हैं। यहां पर 8 प्रजाति के गिद्ध रिर्पाेटेड हैं तथा कुछ गिद्ध यहां के अब रेजिडेंट हो गये हैं। वर्तमान में यहा पर लगभग 4000 गिद्ध सम्पूर्ण क्षेत्र में मौजूद है। गिद्धों प्रकृति का सफाई कर्मी माना गया हैं। इनकी उपस्थिति किसी पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य का संकेतक भी होती है।
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जोहड़ बीड़ राजस्थान का प्रसिद्ध गिद्ध संरक्षण क्षेत्र है। जहां देशी जाति के साथ-साथ विदेशी प्रजातियों के गिद्ध बड़ी संख्या में दिखाई देते है। करीब लगभग 226 हैक्टेयर क्षेत्र में फैला यह संरक्षण क्षेत्र गिद्धों का प्राकृतिक आवास है। प्रशासन द्वारा सम्पूर्ण क्षेत्र की सुरक्षा के लिए चारदिवारी एवं चेनलिंक फेसिंग की गई है ।
पिछले लगभग 50 वर्षों से यहां पर निगम ठेकेदार द्वारा मृत पशु खुले में डाले जाते हैं। ठेकेदार मृत पशु की चमड़ी, आंते, चर्बी एवं हड्डियों को निकाल कर सूखने के लिये छोड़ देता है। इस सम्पूर्ण कार्यवाही में समय लगता है। आयुक्त नगर निगम बीकानेर के अनुसार लम्पी से मृत पशुओं को सुजानदेसर, करमीसर एवं नाल क्षेत्र में समुचित दफनाया जा रहा है। जोहड़बीड़ में गैर लम्पी मृत पशु डाले जा रहे हैं। जहां यह एक माह तक खुले में रहते हैं ताकि इनके अवशेषों को गिद्ध व रेप्टर्स खा सकें और हड्डियां सूख कर उपयोग में लेने लायक हो सके। इस क्षेत्र में काफी संख्या में कुत्ते भी मौजूद हैं। ये भी इन मृत पशुओं को खाते हैं। यहां पर 8 प्रजाति के गिद्ध रिर्पाेटेड हैं तथा कुछ गिद्ध यहां के अब रेजिडेंट हो गये हैं। वर्तमान में यहा पर लगभग 4000 गिद्ध सम्पूर्ण क्षेत्र में मौजूद है। गिद्धों प्रकृति का सफाई कर्मी माना गया हैं। इनकी उपस्थिति किसी पारिस्थितिक तंत्र के स्वास्थ्य का संकेतक भी होती है।
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