06 June 2022 02:19 PM
जोग संजोग टाइम्स,
तीन साल का बच्चा लोहे की कील निगल गया। गांव से उसे बीकानेर लाए। पीबीएम ईएनटी हॉस्पिटल में आपातकालीन ब्रोंकोस्कॉपी सर्जरी कर श्वास नली में अटकी कील सुरक्षित तरीके से निकाली। बच्चा अभी ईएनटी वार्ड में भर्ती है। ईएनटी के सीनियर प्रोफेसर डॉ.दीपचंद के मुताबिक गांव से बच्चे को लाए तो उसकी हालत खराब थी। उसे तुरंत ओटी भेजा और ब्रोंकोस्कॉपी सर्जरी प्लान की। चूंकि श्वास नली में कील होना काफी रिस्की होता है इसलिए परिजनों को भी बता दिया गया था। इसके बावजूद डॉक्टर्स की टीम ने पूरी मेहनत कर इसे सुरक्षित तरीके से निकाला। इस टीम में डॉ.गौरव गुप्ता के साथ डॉ देवेन्द्र, मुकुल, स्नेहलता, नरेन्द्र आदि शामिल थे। श्वास नली में अटकी कील को इतने सुरक्षित तरीके से निकाला कि उससे बच्चे को कोई नुकसान न पहुंचे।
डॉक्टर्स का कहना है, पीबीएम ईएनटी हॉस्पिटल में इन दिनों हर दूसरे दिन कोई न कोई बच्चा ऐसा पहुंच रहा है जिसने कुछ निगल लिया और श्वास नली में फंस गया। फंसने वाली चीजों में सुपारी, मूंगफली, बेर, बटन, सिक्का आदि शामिल है। डॉक्टर्स का कहना है, गर्मी की छुट्टियों में हमेशा ही ऐसे केस बढ़ जाते हैं। इसके अलावा मूंगफली की फसल बिजाई के समय भी बच्चों से जुड़े ऐसे मामले ज्यादा सामने आते हैं।
जोग संजोग टाइम्स,
तीन साल का बच्चा लोहे की कील निगल गया। गांव से उसे बीकानेर लाए। पीबीएम ईएनटी हॉस्पिटल में आपातकालीन ब्रोंकोस्कॉपी सर्जरी कर श्वास नली में अटकी कील सुरक्षित तरीके से निकाली। बच्चा अभी ईएनटी वार्ड में भर्ती है। ईएनटी के सीनियर प्रोफेसर डॉ.दीपचंद के मुताबिक गांव से बच्चे को लाए तो उसकी हालत खराब थी। उसे तुरंत ओटी भेजा और ब्रोंकोस्कॉपी सर्जरी प्लान की। चूंकि श्वास नली में कील होना काफी रिस्की होता है इसलिए परिजनों को भी बता दिया गया था। इसके बावजूद डॉक्टर्स की टीम ने पूरी मेहनत कर इसे सुरक्षित तरीके से निकाला। इस टीम में डॉ.गौरव गुप्ता के साथ डॉ देवेन्द्र, मुकुल, स्नेहलता, नरेन्द्र आदि शामिल थे। श्वास नली में अटकी कील को इतने सुरक्षित तरीके से निकाला कि उससे बच्चे को कोई नुकसान न पहुंचे।
डॉक्टर्स का कहना है, पीबीएम ईएनटी हॉस्पिटल में इन दिनों हर दूसरे दिन कोई न कोई बच्चा ऐसा पहुंच रहा है जिसने कुछ निगल लिया और श्वास नली में फंस गया। फंसने वाली चीजों में सुपारी, मूंगफली, बेर, बटन, सिक्का आदि शामिल है। डॉक्टर्स का कहना है, गर्मी की छुट्टियों में हमेशा ही ऐसे केस बढ़ जाते हैं। इसके अलावा मूंगफली की फसल बिजाई के समय भी बच्चों से जुड़े ऐसे मामले ज्यादा सामने आते हैं।
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