22 January 2022 04:31 PM
जोग संजोग टाइम्स,
जिले में कोरोना संक्रमण अपने चरम पर है। जिसके रोकथाम के लिये निश्चित रूप से राज्य सरकार व जिला प्रशाासन मुस्तैदी से काम कर रहा है। इसके लिये आमजन से कोरोना की जांच करवाने के लिये सचेत किया जा रहा है। किन्तु कोरोना जांच को लेकर अब सवाल उठने लगे है। अनेक जनों ने बीकानेर तहलका न्यूज से इस बारे में सच्चाई जानने के लिये कहा तो हमने इसकी सच्चाई जानने का प्रयास किया। तो चौकानें वाले तथ्य सामने आएं। पता चला कि इन दिनों स्वास्थ्य विभाग की ओर से आरटीपीसीआर की बजाय अधिकांश जांचे रेपिट ऐटिजन टेस्ट प्रक्रिया के जरिये की जा रही है। जिसके चलते आंकड़ों पर अचानक ब्रेक सा गया है। हालांकि चिकित्सा विभाग इस बात का दावा कर रहा है कि रेपिट एंटिजन टेस्ट से रिपोर्ट हाथों हाथ आ जाती है और संक्रमित का पता चलने पर न केवल उसका इलाज शुरू कर दिया जाता है बल्कि उससे अन्य लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा भी नहीं रहता। परन्तु कई लोगों के साथ ऐसा नहीं हुआ। जिसके चलते जांच करवाने वाले लोगों में अपनी रिपोर्ट और संक्रमण की स्थिति का पता भी नहीं चल पाया। एक जने ने अपना नाम न छापने की शर्ते पर बताया कि उसने छ: नंबर डिस्पेसरी में रेपिट ऐटिजन टेस्ट करवाने के आठ घंटे बाद उन्हें संक्रमित होने की जानकारी भेजी गई।वो भी बार बार विभाग के अधिकारियों से संपर्क साधने के बाद। संक्रमित इस व्यक्ति का कहना है कि अगर रेपिट ऐटिजन टेस्ट से हाथों हाथ रिपोर्ट का पता चलता है तो उन्हें आठ घंटे बाद इसकी जानकारी उपलब्ध क्यों करवाई गई। ऐसे में कही स्वास्थ्य विभाग जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ तो नहीं कर रहा है । सस्ती रेपिट ऐटिजन टेस्ट कर के पॉजिटिव आने के आंकड़े को रोक रहे है। लोगों का आरोप है कि ऐसा लगता है कि रेपिट एंटिजन टेस्ट के रिकार्ड का संधारण भी सरकार के पास नहीं होने से ऐसी गफलत हो रही है। जो गंभीर है।
यहां होती है रेपिट ऐटिजन टेस्ट से जांच
डिस्पेन्सरी1 नंबर से 7 नम्बर के अलावा फोर्ट डिस्पेन्सरी,तिलकनगर डिस्पेन्सरी,इंद्रा कॉलोनी डिस्पेन्सरी,बीछवाल डिस्पेन्सरी,मुक्ताप्रसाद डिस्पेन्सरी,रामपुरा डिस्पेन्सरी,मुरलीधर डिस्पेन्सरी,गंगाशहर में काफी दिनों से आरटीपीसीआर टेस्ट की जगह रेपिट ऐटिजन टेस्ट करने की हिदायत दे रखी है। जबकि सप्लाई में आरटीपीसीआर की वाइल आई पड़ी है। जानकारों की माने तो रेपिट ऐटिजन टेस्ट जो एक स्लाइड है और इसका कोई वैधानिक प्रोसेस नहीं है।जबकि आरटीपीसीआर एक बहुत बड़ा टेस्ट प्रोशेस है जो मशीन से प्रोशेस होकर टेस्ट रिपोर्ट आती जिसमे गड़बड़ी की संभावना कम होती है। ऐसे में लोगों ने फिर से आरटीपीसीआर जांचें शुरू करवाने की अपील सरकार से की है। ताकि हकीकत में सही आंकड़े सरकार के सामने आएं।
वर्जन
ऐसी कोई बात नहीं है,दोनों टेस्ट अपनी अपनी जगह है। हाथों हाथ संक्रमण का पता लगाने के लिये रेपिट ऐटिजन टेस्ट किया जाता है। ताकि संक्रमण आगे बढ़े नहीं। हां कुछ शिकायतें आई है,जिनको सूचीबद्व किया गया है। जिसकी जांच करवाकर समाधान किया जाएगा। लेकिन आंकड़े छिपाने वाली कोई बात नहीं है।
डॉ बी एल मीणा,मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी
जोग संजोग टाइम्स,
जिले में कोरोना संक्रमण अपने चरम पर है। जिसके रोकथाम के लिये निश्चित रूप से राज्य सरकार व जिला प्रशाासन मुस्तैदी से काम कर रहा है। इसके लिये आमजन से कोरोना की जांच करवाने के लिये सचेत किया जा रहा है। किन्तु कोरोना जांच को लेकर अब सवाल उठने लगे है। अनेक जनों ने बीकानेर तहलका न्यूज से इस बारे में सच्चाई जानने के लिये कहा तो हमने इसकी सच्चाई जानने का प्रयास किया। तो चौकानें वाले तथ्य सामने आएं। पता चला कि इन दिनों स्वास्थ्य विभाग की ओर से आरटीपीसीआर की बजाय अधिकांश जांचे रेपिट ऐटिजन टेस्ट प्रक्रिया के जरिये की जा रही है। जिसके चलते आंकड़ों पर अचानक ब्रेक सा गया है। हालांकि चिकित्सा विभाग इस बात का दावा कर रहा है कि रेपिट एंटिजन टेस्ट से रिपोर्ट हाथों हाथ आ जाती है और संक्रमित का पता चलने पर न केवल उसका इलाज शुरू कर दिया जाता है बल्कि उससे अन्य लोगों में संक्रमण फैलने का खतरा भी नहीं रहता। परन्तु कई लोगों के साथ ऐसा नहीं हुआ। जिसके चलते जांच करवाने वाले लोगों में अपनी रिपोर्ट और संक्रमण की स्थिति का पता भी नहीं चल पाया। एक जने ने अपना नाम न छापने की शर्ते पर बताया कि उसने छ: नंबर डिस्पेसरी में रेपिट ऐटिजन टेस्ट करवाने के आठ घंटे बाद उन्हें संक्रमित होने की जानकारी भेजी गई।वो भी बार बार विभाग के अधिकारियों से संपर्क साधने के बाद। संक्रमित इस व्यक्ति का कहना है कि अगर रेपिट ऐटिजन टेस्ट से हाथों हाथ रिपोर्ट का पता चलता है तो उन्हें आठ घंटे बाद इसकी जानकारी उपलब्ध क्यों करवाई गई। ऐसे में कही स्वास्थ्य विभाग जनता के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ तो नहीं कर रहा है । सस्ती रेपिट ऐटिजन टेस्ट कर के पॉजिटिव आने के आंकड़े को रोक रहे है। लोगों का आरोप है कि ऐसा लगता है कि रेपिट एंटिजन टेस्ट के रिकार्ड का संधारण भी सरकार के पास नहीं होने से ऐसी गफलत हो रही है। जो गंभीर है।
यहां होती है रेपिट ऐटिजन टेस्ट से जांच
डिस्पेन्सरी1 नंबर से 7 नम्बर के अलावा फोर्ट डिस्पेन्सरी,तिलकनगर डिस्पेन्सरी,इंद्रा कॉलोनी डिस्पेन्सरी,बीछवाल डिस्पेन्सरी,मुक्ताप्रसाद डिस्पेन्सरी,रामपुरा डिस्पेन्सरी,मुरलीधर डिस्पेन्सरी,गंगाशहर में काफी दिनों से आरटीपीसीआर टेस्ट की जगह रेपिट ऐटिजन टेस्ट करने की हिदायत दे रखी है। जबकि सप्लाई में आरटीपीसीआर की वाइल आई पड़ी है। जानकारों की माने तो रेपिट ऐटिजन टेस्ट जो एक स्लाइड है और इसका कोई वैधानिक प्रोसेस नहीं है।जबकि आरटीपीसीआर एक बहुत बड़ा टेस्ट प्रोशेस है जो मशीन से प्रोशेस होकर टेस्ट रिपोर्ट आती जिसमे गड़बड़ी की संभावना कम होती है। ऐसे में लोगों ने फिर से आरटीपीसीआर जांचें शुरू करवाने की अपील सरकार से की है। ताकि हकीकत में सही आंकड़े सरकार के सामने आएं।
वर्जन
ऐसी कोई बात नहीं है,दोनों टेस्ट अपनी अपनी जगह है। हाथों हाथ संक्रमण का पता लगाने के लिये रेपिट ऐटिजन टेस्ट किया जाता है। ताकि संक्रमण आगे बढ़े नहीं। हां कुछ शिकायतें आई है,जिनको सूचीबद्व किया गया है। जिसकी जांच करवाकर समाधान किया जाएगा। लेकिन आंकड़े छिपाने वाली कोई बात नहीं है।
डॉ बी एल मीणा,मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी
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