11 May 2022 11:10 AM

जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
बीकानेर, 10 मई। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह ने मंगलवार को नोखा मूल के असम प्रवासी एम.डी. गट्टाणी की पुस्तक 'जैविक कृषि एवं गौधन’ का विमोचन किया।
इस अवसर पर कुलपति प्रो. सिंह ने कहा कि कृषि रसायनों के अत्यधिक उपयोग के कारण हमने अनेक असाध्य रोगों को न्योता दिया है। अगर समय रहते नहीं चेते तो आने वाली पीढ़ियों के लिए हालात और अधिक दुष्कर हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि एक दौर में देश में जैविक खेती ही हुआ करती थी, लेकिन अधिक उत्पादन के कारण हम जैविक खेती को भूल गए हैं। पूर्ण रूप से जैविक पद्धति पर निर्भर रही हमारी कृषि व्यवस्था समय की मांग के अनुरूप कृत्रिम रसायनों पर निर्भर हो गई। वर्तमान समय में जल,जमीन और वायु प्रदूषण का मूल कारण रसायन आधारित कृषि व्यवस्था है।
लेखक गट्टाणी ने वीडियो के माध्यम से जैविक खेती प्रोत्साहन से जुड़े कार्यों के बारे में बताया।
उन्होंने कहा कि 'जैविक कृषि और गोधन' पुस्तक द्वारा किसानों को जैविक खेती एवं गौधन से जुड़े सभी पहलुओं की जानकारी देने का प्रयास किया गया है। इसमें मुख्य रूप से जैविक खेती एवं इसके सिद्धांत, जैविक खेती के लाभ, जैविक खाद बनाने के तरीके और उनका उपयोग, हरी खाद एवं राइजोबियम जीवाणु कल्चर, जैविक कीटनाशक, रोगनाशक बनाने की विधियां और उपयोग, मिश्रित खेती से मृदा की उर्वरा शक्ति को बढ़ाना, खरपतवार की समस्या को फायदे में बदलना एवं गौधन की जानकारी दी गई है।
लेखक एम डी गट्टाणी ने कुलपति प्रो आर पी सिंह और बिहार कृषि विश्वविद्यालय भागलपुर के कुलपति डॉ अरुण कुमार को आसामीज फुलाम गमछा पहनाकर अभिनंदन किया। ओम प्रकाश राठी ने आभार व्यक्त किया।
यह रहे उपस्थित. डॉ. पी एस शेखावत, डॉ. दाताराम, डॉ. वीर सिंह, डॉ. मधु शर्मा, डॉ. विमला डुंकवाल, डॉ. दीपाली धवन, सतीश सोनी, इंजी. विपिन लड्ढा आदि मौजूद रहे।
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर,
बीकानेर, 10 मई। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आर. पी. सिंह ने मंगलवार को नोखा मूल के असम प्रवासी एम.डी. गट्टाणी की पुस्तक 'जैविक कृषि एवं गौधन’ का विमोचन किया।
इस अवसर पर कुलपति प्रो. सिंह ने कहा कि कृषि रसायनों के अत्यधिक उपयोग के कारण हमने अनेक असाध्य रोगों को न्योता दिया है। अगर समय रहते नहीं चेते तो आने वाली पीढ़ियों के लिए हालात और अधिक दुष्कर हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि एक दौर में देश में जैविक खेती ही हुआ करती थी, लेकिन अधिक उत्पादन के कारण हम जैविक खेती को भूल गए हैं। पूर्ण रूप से जैविक पद्धति पर निर्भर रही हमारी कृषि व्यवस्था समय की मांग के अनुरूप कृत्रिम रसायनों पर निर्भर हो गई। वर्तमान समय में जल,जमीन और वायु प्रदूषण का मूल कारण रसायन आधारित कृषि व्यवस्था है।
लेखक गट्टाणी ने वीडियो के माध्यम से जैविक खेती प्रोत्साहन से जुड़े कार्यों के बारे में बताया।
उन्होंने कहा कि 'जैविक कृषि और गोधन' पुस्तक द्वारा किसानों को जैविक खेती एवं गौधन से जुड़े सभी पहलुओं की जानकारी देने का प्रयास किया गया है। इसमें मुख्य रूप से जैविक खेती एवं इसके सिद्धांत, जैविक खेती के लाभ, जैविक खाद बनाने के तरीके और उनका उपयोग, हरी खाद एवं राइजोबियम जीवाणु कल्चर, जैविक कीटनाशक, रोगनाशक बनाने की विधियां और उपयोग, मिश्रित खेती से मृदा की उर्वरा शक्ति को बढ़ाना, खरपतवार की समस्या को फायदे में बदलना एवं गौधन की जानकारी दी गई है।
लेखक एम डी गट्टाणी ने कुलपति प्रो आर पी सिंह और बिहार कृषि विश्वविद्यालय भागलपुर के कुलपति डॉ अरुण कुमार को आसामीज फुलाम गमछा पहनाकर अभिनंदन किया। ओम प्रकाश राठी ने आभार व्यक्त किया।
यह रहे उपस्थित. डॉ. पी एस शेखावत, डॉ. दाताराम, डॉ. वीर सिंह, डॉ. मधु शर्मा, डॉ. विमला डुंकवाल, डॉ. दीपाली धवन, सतीश सोनी, इंजी. विपिन लड्ढा आदि मौजूद रहे।
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27 January 2022 04:00 PM
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