03 January 2023 06:31 PM
जोग संजोग टाइम्स,
23 जनवरी को बजट सत्र की घोषणा के साथ ही राजस्थान में नए जिले बनाए जाने की चर्चा ने फिर जोर पकड़ लिया है। प्रदेश में इस समय 33 जिले हैं। यहां आखिरी जिला प्रतापगढ़ 2008 में वसुंधरा सरकार के समय बना था। तब से अब तक राजस्थान इस मोर्चे पर खाली हाथ है।
जरूरत बड़ी, मांग जायज
कई गांवों की दूरी मुख्यालय से 200 किमी तक है। हर काम के लिए आप पब्लिक को परेशानी होती है। डेवलपमेंट भी अटक रहा है। राज्य में जिन तहसीलों को जिले बनाए जाने की मांग प्रमुखता से उठाई जाती रही है, उनमें- बालोतरा (बाड़मेर), कोटपुतली (जयपुर), फलौदी (जोधपुर), ब्यावर (अजमेर), नीम का थाना (सीकर) और डीडवाना (नागौर) शामिल हैं। भास्कर ने पड़ताल में जाना कि इन क्षेत्रों में मौजूद कई गांवों की जिला मुख्यालय से दूरी 200 किलोमीटर तक है, जिसे तय करने में घंटों का समय लग जाता है। नतीजतन, यहां के निवासियों को तमाम तरह के छोटे से लेकर बड़े तक राजनीतिक- प्रशासनिक फायदों से वंचित रहना पड़ता है।
जोग संजोग टाइम्स,
23 जनवरी को बजट सत्र की घोषणा के साथ ही राजस्थान में नए जिले बनाए जाने की चर्चा ने फिर जोर पकड़ लिया है। प्रदेश में इस समय 33 जिले हैं। यहां आखिरी जिला प्रतापगढ़ 2008 में वसुंधरा सरकार के समय बना था। तब से अब तक राजस्थान इस मोर्चे पर खाली हाथ है।
जरूरत बड़ी, मांग जायज
कई गांवों की दूरी मुख्यालय से 200 किमी तक है। हर काम के लिए आप पब्लिक को परेशानी होती है। डेवलपमेंट भी अटक रहा है। राज्य में जिन तहसीलों को जिले बनाए जाने की मांग प्रमुखता से उठाई जाती रही है, उनमें- बालोतरा (बाड़मेर), कोटपुतली (जयपुर), फलौदी (जोधपुर), ब्यावर (अजमेर), नीम का थाना (सीकर) और डीडवाना (नागौर) शामिल हैं। भास्कर ने पड़ताल में जाना कि इन क्षेत्रों में मौजूद कई गांवों की जिला मुख्यालय से दूरी 200 किलोमीटर तक है, जिसे तय करने में घंटों का समय लग जाता है। नतीजतन, यहां के निवासियों को तमाम तरह के छोटे से लेकर बड़े तक राजनीतिक- प्रशासनिक फायदों से वंचित रहना पड़ता है।
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