07 April 2022 04:14 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर
मिली जानकारी के अनुसार महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी पर सरकार के एक और टैक्स की मार पड़ सकती है। विशेषकर उन लोगों पर जिन्होंने वर्ष 2009 के बाद मकान या अन्य कोई कंस्ट्रक्शन कराया है। ऐसे लोगों से सरकार लेबर सेस वसूलेगी। इसके लिए लेबर डिपार्टमेंट ने प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों को एक लेटर लिखा है। इसमें उनसे 2009 से जारी बिजली के कनेक्शनों की जानकारी मांगी है। इन बिलों के आधार पर ही डिपार्टमेंट के लोगों को रैंडम नोटिस जारी करके लेबर सेस जमा करवाने के लिए कहा जाएगा।
दरअसल, केन्द्र सरकार ने कंस्ट्रक्शन वर्कर्स के वेलफेयर के लिए साल 2009 में एक कानून लाकर लेबर सेस का प्रावधान किया था। इसके तहत कोई भी व्यक्ति, संस्था या कंपनी कंस्ट्रक्शन करवाती है तो उसे इस कंस्ट्रक्शन की कुल लागत का एक फीसदी राशि लेबर सेस के रूप में सरकार को देना पड़ता है। कंस्ट्रक्शन वर्कर्स सेस फंड में जमा इस राशि को सरकार श्रमिकों के लिए चलाई जा रही 13 तरह की स्कीम में अनुदान या सहायता के रूप में देती है।
बिजली के बिल को मानेंगे आधार
राजस्थान लेबर डिपार्टमेंट के कमीश्नर अंतर सिंह नेहरा ने बताया कि हमने तीनों डिस्कॉम जयपुर, जोधपुर और अजमेर के एमडी को पत्र लिखा है कि वे अपने-अपने एरिया के सभी जिलों के बिजली के कनेक्शन जारी करने की सूचना हमे उपलब्ध करवाए। 2009 के बाद जारी बिजली के बिलों को हम आधार मानकर रैंडम नोटिस जारी करेंगे। नोटिस के बाद मौके की रिपोर्ट करवाएं और उसके आधार पर व्यक्ति से लेबर सेस वसूलेंगे।जितना बिल्टअप एरिया होगा उसे हमारी निर्धारित कॉस्ट से कैलकुलेशन करके कंस्ट्रक्शन कॉस्ट का निर्धारण किया जाएगा।
बिल्टअप एरिया के आधार पर कंस्ट्रक्शन कॉस्ट निर्धारित
नेहरा ने बताया कि अगर सेस के निर्धारण को लेकर कोई विवाद होता है तो उसके लिए हमारे यहां नियमों में कंस्ट्रक्शन कॉस्ट भी निर्धारित की है। जो पीडब्ल्यूडी और बाजार मूल्य से भी कम है। हम किसी भी ए क्लास के निर्माण की प्रतिवर्ग फीट की लागत 1 हजार रुपए से भी कम निर्धारित कर रखी है। जिस व्यक्ति के घर या संस्था का जितना बिल्टअप एरिया होगा उसे हमारी निर्धारित कॉस्ट से कैलकुलेशन करके कंस्ट्रक्शन कॉस्ट का निर्धारण किया जाएगा। सेस की गणना की जाएगी।
इन 13 स्कीमों में मिलता है फायदा
वर्तमान में राज्य सरकार ने रजिस्टर्ड कंस्ट्रक्शन श्रमिकों के वेलफेयर के लिए 13 तरह की स्कीम चला रखी है। इसमें निर्माण श्रमिक सुलभ्य आवास योजना, निर्माण श्रमिक जीवन व भविष्य सुरक्षा योजना, निर्माण श्रमिक टूलकिट सहायता योजना, शुभशक्ति योजना, प्रसूति सहायता योजना, सिलिकोसिस पीडि़त सहायता योजना, अंतरराष्ट्रीय खेल के लिए प्रत्सोहान सहायता योजना, आईआईटी/आईआईएम में प्रवेश पर ट्यूशन फीस पुर्नभरण योजना समेत अन्य है। इन योजनाओं में 11 लाख रुपए तक प्रोत्साहन, अनुदान व सहायता राशि दी जाती है।
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर
मिली जानकारी के अनुसार महंगाई की मार झेल रहे आम आदमी पर सरकार के एक और टैक्स की मार पड़ सकती है। विशेषकर उन लोगों पर जिन्होंने वर्ष 2009 के बाद मकान या अन्य कोई कंस्ट्रक्शन कराया है। ऐसे लोगों से सरकार लेबर सेस वसूलेगी। इसके लिए लेबर डिपार्टमेंट ने प्रदेश की सभी बिजली कंपनियों को एक लेटर लिखा है। इसमें उनसे 2009 से जारी बिजली के कनेक्शनों की जानकारी मांगी है। इन बिलों के आधार पर ही डिपार्टमेंट के लोगों को रैंडम नोटिस जारी करके लेबर सेस जमा करवाने के लिए कहा जाएगा।
दरअसल, केन्द्र सरकार ने कंस्ट्रक्शन वर्कर्स के वेलफेयर के लिए साल 2009 में एक कानून लाकर लेबर सेस का प्रावधान किया था। इसके तहत कोई भी व्यक्ति, संस्था या कंपनी कंस्ट्रक्शन करवाती है तो उसे इस कंस्ट्रक्शन की कुल लागत का एक फीसदी राशि लेबर सेस के रूप में सरकार को देना पड़ता है। कंस्ट्रक्शन वर्कर्स सेस फंड में जमा इस राशि को सरकार श्रमिकों के लिए चलाई जा रही 13 तरह की स्कीम में अनुदान या सहायता के रूप में देती है।
बिजली के बिल को मानेंगे आधार
राजस्थान लेबर डिपार्टमेंट के कमीश्नर अंतर सिंह नेहरा ने बताया कि हमने तीनों डिस्कॉम जयपुर, जोधपुर और अजमेर के एमडी को पत्र लिखा है कि वे अपने-अपने एरिया के सभी जिलों के बिजली के कनेक्शन जारी करने की सूचना हमे उपलब्ध करवाए। 2009 के बाद जारी बिजली के बिलों को हम आधार मानकर रैंडम नोटिस जारी करेंगे। नोटिस के बाद मौके की रिपोर्ट करवाएं और उसके आधार पर व्यक्ति से लेबर सेस वसूलेंगे।जितना बिल्टअप एरिया होगा उसे हमारी निर्धारित कॉस्ट से कैलकुलेशन करके कंस्ट्रक्शन कॉस्ट का निर्धारण किया जाएगा।
बिल्टअप एरिया के आधार पर कंस्ट्रक्शन कॉस्ट निर्धारित
नेहरा ने बताया कि अगर सेस के निर्धारण को लेकर कोई विवाद होता है तो उसके लिए हमारे यहां नियमों में कंस्ट्रक्शन कॉस्ट भी निर्धारित की है। जो पीडब्ल्यूडी और बाजार मूल्य से भी कम है। हम किसी भी ए क्लास के निर्माण की प्रतिवर्ग फीट की लागत 1 हजार रुपए से भी कम निर्धारित कर रखी है। जिस व्यक्ति के घर या संस्था का जितना बिल्टअप एरिया होगा उसे हमारी निर्धारित कॉस्ट से कैलकुलेशन करके कंस्ट्रक्शन कॉस्ट का निर्धारण किया जाएगा। सेस की गणना की जाएगी।
इन 13 स्कीमों में मिलता है फायदा
वर्तमान में राज्य सरकार ने रजिस्टर्ड कंस्ट्रक्शन श्रमिकों के वेलफेयर के लिए 13 तरह की स्कीम चला रखी है। इसमें निर्माण श्रमिक सुलभ्य आवास योजना, निर्माण श्रमिक जीवन व भविष्य सुरक्षा योजना, निर्माण श्रमिक टूलकिट सहायता योजना, शुभशक्ति योजना, प्रसूति सहायता योजना, सिलिकोसिस पीडि़त सहायता योजना, अंतरराष्ट्रीय खेल के लिए प्रत्सोहान सहायता योजना, आईआईटी/आईआईएम में प्रवेश पर ट्यूशन फीस पुर्नभरण योजना समेत अन्य है। इन योजनाओं में 11 लाख रुपए तक प्रोत्साहन, अनुदान व सहायता राशि दी जाती है।
RELATED ARTICLES
18 September 2025 12:36 PM
© Copyright 2021-2025, All Rights Reserved by Jogsanjog Times| Designed by amoadvisor.com