12 May 2021 03:12 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर।
कोरोना पॉजिटिव होने का खतरा कहीं कहीं पॉजिटिव असर भी डाल रहा है। जेल में बंद बहुत सारे कैदियों के लिए भी कोरोना ऐसा ही पॉजिटिव असर लेकर आया है। बीकानेर के अधिवक्ता रवैल भारतीय व विनायक चितलंगी ने राजस्थान हाईकोर्ट में एक रिट पिटीशन दायर कर 65 वर्ष से अधिक उम्र के कैदियों को आपातकालीन अतिरिक्त पैरोल पर रिहा करने की मांग की है। अधिवक्ताओं ने तर्क दिया है कि प्रदेश की जेलों में भीड़भाड़ अधिक है। कैदी व जेलकर्मी लगातार संक्रमित हो रहे हैं। अच्छी चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध नहीं हो पाती। ऐसे में उन्हें पैरोल पर रिहा करना चाहिए। हाईकोर्ट ने अधिवक्ताओं की याचिका को एडमिट कर लिया है। ऐसे में उम्मीद है कि जल्द ही कैदियों के हित में कोई फैसला आ जाए।
एडवोकेट विनायक ने बताया हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए जेलों में बंद कैदियों व पुलिसकर्मियों की जीवनरक्षा हेतु जेलों में भीड़भाड़ कम करने के निर्देश जारी किए थे। इसके तहत गिरफ्तारी सीमित करने से लेकर कोविड मरीजों की देखभाल व महामारी प्रबंधन की आवश्यकता भी बताई।
एडवोकेट रवैल ने बताया कि इसके तहत विशेष समिति द्वारा केरल में 560, दिल्ली में 145, पंजाब हरियाणा में 278 व महाराष्ट्र ने 307 कैदियों को पैरोल अथवा टेम्पररी बैल पर छोड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार राजस्थान में भी विशेष समिति गठित होनी थी लेकिन अभी तक समिति गठित नहीं की गई है। यह समिति ही तय करेगी कि किन कैदियों को रिहा करना है।
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर।
कोरोना पॉजिटिव होने का खतरा कहीं कहीं पॉजिटिव असर भी डाल रहा है। जेल में बंद बहुत सारे कैदियों के लिए भी कोरोना ऐसा ही पॉजिटिव असर लेकर आया है। बीकानेर के अधिवक्ता रवैल भारतीय व विनायक चितलंगी ने राजस्थान हाईकोर्ट में एक रिट पिटीशन दायर कर 65 वर्ष से अधिक उम्र के कैदियों को आपातकालीन अतिरिक्त पैरोल पर रिहा करने की मांग की है। अधिवक्ताओं ने तर्क दिया है कि प्रदेश की जेलों में भीड़भाड़ अधिक है। कैदी व जेलकर्मी लगातार संक्रमित हो रहे हैं। अच्छी चिकित्सा सुविधा भी उपलब्ध नहीं हो पाती। ऐसे में उन्हें पैरोल पर रिहा करना चाहिए। हाईकोर्ट ने अधिवक्ताओं की याचिका को एडमिट कर लिया है। ऐसे में उम्मीद है कि जल्द ही कैदियों के हित में कोई फैसला आ जाए।
एडवोकेट विनायक ने बताया हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए जेलों में बंद कैदियों व पुलिसकर्मियों की जीवनरक्षा हेतु जेलों में भीड़भाड़ कम करने के निर्देश जारी किए थे। इसके तहत गिरफ्तारी सीमित करने से लेकर कोविड मरीजों की देखभाल व महामारी प्रबंधन की आवश्यकता भी बताई।
एडवोकेट रवैल ने बताया कि इसके तहत विशेष समिति द्वारा केरल में 560, दिल्ली में 145, पंजाब हरियाणा में 278 व महाराष्ट्र ने 307 कैदियों को पैरोल अथवा टेम्पररी बैल पर छोड़ा है।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार राजस्थान में भी विशेष समिति गठित होनी थी लेकिन अभी तक समिति गठित नहीं की गई है। यह समिति ही तय करेगी कि किन कैदियों को रिहा करना है।
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