14 January 2023 01:09 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर ,
34 वर्षीय गीता गर्भवती थी। एएनसी चैकअप में सामने आया कि हीमोग्लोबिन लगभग आठ यानी खून की कमी है। आयरन की गोलियां, इंजेक्शन देने की जरूरत है। तीन चैकअप के बाद हॉस्पिटल नहीं आई। पीबीएम हॉस्पिटल में प्रसव के दौरान खून बहने से उसकी मौत हो गई।
बीकानेर में गर्भवती या प्रसूता के मौत का यह इकलौता मामला नहीं है। बीते सालभर में 50 महिलाओं की प्रसव के दौरान मौत हुई। राहत की बात यह है कि मौतों का यह आंकड़ा बीते साल से काफी कम रहा है। मसलन वर्ष 2021 में 91 महिलाओं की प्रसव के दौरान मौत हुई थी। मतलब यह कि मातृ मृत्यु के मामलों में 45.05 प्रतिशत की कमी आई है। इसके साथ ही चिंता की एक बात यह भी है कि जननी शिशु सुरक्षा योजना सहित स्थानी स्तर पर चल रहे पुकार जैसे कार्यक्रमों के बावजूद अब तक घरों पर प्रसव हो रहा है।
वर्ष 2022 में होम डिलीवरी का आंकड़ा 155 रहा। इससे पहले वर्ष 2021 में 487 महिलाओं का घर पर ही प्रसव हुआ। ऐसे में होम डिलीवरी में 68.17 प्रतिशत का बड़ा सुधार तो हुआ है लेकिन यह पूरी तरह बंद नहीं हुई है। आरसीएचओ डा.राजेशकुमार गुप्ता का कहना है, जननी सुरक्षा याेजना के साथ ही जिला स्तर पर पुकार जैसा कार्यक्रम चलाने के बाद स्थिति में बहुत सुधा हुआ है। इसमें गांव की एक गर्भवती के घर मीटिंग हाेती है। किशाेरियाें के देखभाल पर भी बात हाेती है।
बच्चों को बचाना मुश्किल...11 महीने तक के 1137 बच्चों की मौत
मातृ मृत्यु के आंकड़ों में जहां 45 प्रतिशत की कमी आई वहीं बीकानेर की शिशु मृत्युदर पर खास फर्क नहीं पड़ा। बीते साल भर में 11 महीने की उम्र तक के 1137 बच्चों की मौत हो गई। वर्ष 2021 में भी इस उम्र के 1186 बच्चों की मौत हो चुकी थी। ऐसे में महज 4.13 प्रतिशत की कमी आई है। इसी तरह एक से पांच वर्ष तक की उम्र के 122 बच्चों की मौत सालभर में हुई है। यह बीते साल के 137 से 10.95 प्रतिशत कम है।
17 प्रतिशत महिलाओं के प्रसव का पता नहीं
46716 महिलाओं का प्रसव होना था दिसंबर तक।
38639 प्रसव की रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग के पास।
82.71 प्रतिशत प्रसव रजिस्टर्ड।
17.29 प्रतिशत का पता नहीं।
आशंका : मातृ-शिशु मृत्यु के आंकड़े अंडर रिपोर्टिंग हो सकते हैं।
मातृ-शिशु मृत्यु के मामलों में लगातार गिरावट आ रही है। बीते साल की तुलना में मातृ मृत्यु 45 प्रतिशत तक कम हुई है। इंस्टीट्यूशन डिलीवरी और एएनसी चैकअप की संख्या बढ़ी है। इसके बावजूद एक-एक केस की समीक्षा हो रही है। किसी भी मामले में फॉलोअप नहीं होने पर जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होगी। -डा.मोहम्मद अबरार पंवार, सीएमएचओ
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर ,
34 वर्षीय गीता गर्भवती थी। एएनसी चैकअप में सामने आया कि हीमोग्लोबिन लगभग आठ यानी खून की कमी है। आयरन की गोलियां, इंजेक्शन देने की जरूरत है। तीन चैकअप के बाद हॉस्पिटल नहीं आई। पीबीएम हॉस्पिटल में प्रसव के दौरान खून बहने से उसकी मौत हो गई।
बीकानेर में गर्भवती या प्रसूता के मौत का यह इकलौता मामला नहीं है। बीते सालभर में 50 महिलाओं की प्रसव के दौरान मौत हुई। राहत की बात यह है कि मौतों का यह आंकड़ा बीते साल से काफी कम रहा है। मसलन वर्ष 2021 में 91 महिलाओं की प्रसव के दौरान मौत हुई थी। मतलब यह कि मातृ मृत्यु के मामलों में 45.05 प्रतिशत की कमी आई है। इसके साथ ही चिंता की एक बात यह भी है कि जननी शिशु सुरक्षा योजना सहित स्थानी स्तर पर चल रहे पुकार जैसे कार्यक्रमों के बावजूद अब तक घरों पर प्रसव हो रहा है।
वर्ष 2022 में होम डिलीवरी का आंकड़ा 155 रहा। इससे पहले वर्ष 2021 में 487 महिलाओं का घर पर ही प्रसव हुआ। ऐसे में होम डिलीवरी में 68.17 प्रतिशत का बड़ा सुधार तो हुआ है लेकिन यह पूरी तरह बंद नहीं हुई है। आरसीएचओ डा.राजेशकुमार गुप्ता का कहना है, जननी सुरक्षा याेजना के साथ ही जिला स्तर पर पुकार जैसा कार्यक्रम चलाने के बाद स्थिति में बहुत सुधा हुआ है। इसमें गांव की एक गर्भवती के घर मीटिंग हाेती है। किशाेरियाें के देखभाल पर भी बात हाेती है।
बच्चों को बचाना मुश्किल...11 महीने तक के 1137 बच्चों की मौत
मातृ मृत्यु के आंकड़ों में जहां 45 प्रतिशत की कमी आई वहीं बीकानेर की शिशु मृत्युदर पर खास फर्क नहीं पड़ा। बीते साल भर में 11 महीने की उम्र तक के 1137 बच्चों की मौत हो गई। वर्ष 2021 में भी इस उम्र के 1186 बच्चों की मौत हो चुकी थी। ऐसे में महज 4.13 प्रतिशत की कमी आई है। इसी तरह एक से पांच वर्ष तक की उम्र के 122 बच्चों की मौत सालभर में हुई है। यह बीते साल के 137 से 10.95 प्रतिशत कम है।
17 प्रतिशत महिलाओं के प्रसव का पता नहीं
46716 महिलाओं का प्रसव होना था दिसंबर तक।
38639 प्रसव की रिपोर्ट स्वास्थ्य विभाग के पास।
82.71 प्रतिशत प्रसव रजिस्टर्ड।
17.29 प्रतिशत का पता नहीं।
आशंका : मातृ-शिशु मृत्यु के आंकड़े अंडर रिपोर्टिंग हो सकते हैं।
मातृ-शिशु मृत्यु के मामलों में लगातार गिरावट आ रही है। बीते साल की तुलना में मातृ मृत्यु 45 प्रतिशत तक कम हुई है। इंस्टीट्यूशन डिलीवरी और एएनसी चैकअप की संख्या बढ़ी है। इसके बावजूद एक-एक केस की समीक्षा हो रही है। किसी भी मामले में फॉलोअप नहीं होने पर जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होगी। -डा.मोहम्मद अबरार पंवार, सीएमएचओ
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