07 February 2023 12:55 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर ,
सरकारी विभागों की अंधेरगर्दी का सबसे बड़ा उदाहरण एग्रीकल्चर स्कूल लेक्चरर की भर्ती में दिखाई दे रहा है। राजस्थान लोक सेवा आयोग एक तरफ तो सभी विषयों में एमएससी करने वाले बेरोजगारों को नियुक्ति आदेश थमा रहा है, वहीं दूसरी ओर सिर्फ तीन विषयों के अलावा एमएससी करने वालों को इसी नियुक्ति में अयोग्य घोषित कर रहा है। एक ही नियुक्ति के लिए दो तरह के नियमों के चलते सैकड़ों बेरोजगार परेशान हो रहे हैं।
शिक्षा विभाग की डिमांड के आधार पर राजस्थान लोक सेवा आयोग ने साल 2018 में विज्ञापन जारी करते हुए करीब 280 एग्रीकल्चर स्कूल लेक्चरर के लिए आवेदन मांगे थे। इसकी योग्यता एग्रीकल्चर के किसी भी विषय में एमएससी होना था। बड़ी संख्या में लोगों ने आवेदन कर दिया। इसी आधार पर नियुक्ति हो गई। अभी तक कई पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। इसी बीच वर्ष 2021 में जब नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी हुआ तो शिक्षा विभाग ने सिर्फ तीन विषयों में एमएससी करने वाले युवाओं को ही अवसर दिया। राजस्थान लोक सेवा आयोग ने वर्ष 1970 में बने नियमों को हवाला देते हुए नियुक्ति देने से इनकार कर दिया।
पहली नियुक्ति में सभी विषय क्यों?
दरअसल, वर्ष 2018 की नियुक्ति के समय भी आरपीएससी ने शिक्षा विभाग से योग्यता के बारे में पूछा तो विभाग ने योग्यता निर्धारण के लिए एक कमेटी बना दी। जिसमें एग्रीकल्चर युनिवर्सिटी के प्रतिनिधि शामिल किए गए थे। इस कमेटी की सिफारिश के आधार पर सभी विषयों को मान्यता दी गई। इसी आधार पर आरपीएससी ने नियुक्ति दे दी।
अब आरपीएससी का अड़ंगा क्यों?
दरअसल, आरपीएससी का अड़ंगा भी वाजिब है। सरकार ने वर्ष 2021 में नियम बना दिया कि सिर्फ तीन विषयों के पोस्ट ग्रेजुएट ही शिक्षा विभाग में लेक्चरर बन सकते हैं। ऐसे में नई नियुक्ति जारी करते हुए इसी नियम का पालन किया गया।
वर्ष 1970 का नियम यथावत
दरअसल, शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने वर्ष 1970 के नियमों को ही कॉपी-पेस्ट कर दिया। नियमावली में जो योग्यता डाली गई थी, वो पचास साल पुरानी व्यवस्था ही रख दी गई। वर्ष 1970 में तीन विषयों में ही एमएससी होती थी, ऐसे में तीन विषयों के पोस्ट ग्रेजुएट ही पात्र थे। अब जब एक दर्जन से ज्यादा विषयों में एमएससी हो रही है तो सभी को पात्र मानना चाहिए था।
शिक्षा विभाग ने गलती भी सुधारी
शिक्षा विभाग ने बाद में आरपीएससी को लिखित में दिया कि सभी विषयों के पोस्ट ग्रेजुएट को इस भर्ती में पात्र माना जाए। इस पत्र को आरपीएससी ने तवज्जो नहीं दी। आरपीएससी का कहना है कि सिर्फ पत्र लिखने से पूर्व में सरकार की ओर से बने नियमों को नहीं बदला जा सकता। बेहतर होगा कि शिक्षा विभाग नियमों में ही परिवर्तन करावें। इसके लिए केबिनेट का अनुमोदन होना चाहिए। उसी का प्रोसेस अभी चल रहा है।
फाइलों में अटका नियम परिवर्तन
ऐसे में अब नियमों में परिवर्तन के लिए सचिवालय स्तर पर फाइल चल रही है। सामान्य प्रशासन विभाग, वित्त विभाग और कार्मिक विभाग में फाइल चल रही है। राज्य सरकार की प्राथमिकता नहीं होने के कारण ये फाइल पिछले एक साल से इधर से उधर चक्कर ही काट रही है। इस बीच आरपीएससी एग्जाम लेकर नियुक्ति जारी कर देगा तो तीन विषयों के अलावा किसी विषय में पीजी करने वाले स्टूडेंट्स हाथ मलते रह जाएंगे।
इन विषयों का है चक्कर
फिलहाल एग्रोनॉमी, हार्टिकल्चर और एनिमल हसबेंड्री में पीजी करने वाले युवा ही स्कूल लेक्चरर बन सकते हैं, जबकि इससे पहले साल 2018 में जारी विज्ञापन एग्रीकल्चर इकोनोमिक, जेनेटिक एंड प्लांट ब्लीडिंग, एग्रीकल्चर एक्सटेंशन, एग्रीकल्चर मिट्टी विज्ञान, एग्रीकल्चर मेट्रोलॉजी जैसे सभी विषयों में पीजी करने वाले युवाओं से आवेदन मांगे गए थे।
सरकार से उम्मीद
एग्रीकल्चर के बेरोजगार युवक पवन कुमार बिश्नोई का कहना है कि जब शिक्षा विभाग और आरपीएससी हमारी बात से सहमत है तो उन्हें नियमों में फेरबदल भी फटाफट करना चाहिए। ज्यादा लेटलतीफी हुई तो हम नियुक्ति से वंचित रह जाएंगे। बेरोजगारों की मांग है कि नियम संशोधन प्रक्रिया अतिशीघ्र पूर्ण हो । साल 2021 वाले नियम की दिनांक से ही नियम प्रभावी हो । साल 2022 वाली भर्ती में ये नियम लागू होने चाहिए।
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जोग संजोग टाइम्स बीकानेर ,
सरकारी विभागों की अंधेरगर्दी का सबसे बड़ा उदाहरण एग्रीकल्चर स्कूल लेक्चरर की भर्ती में दिखाई दे रहा है। राजस्थान लोक सेवा आयोग एक तरफ तो सभी विषयों में एमएससी करने वाले बेरोजगारों को नियुक्ति आदेश थमा रहा है, वहीं दूसरी ओर सिर्फ तीन विषयों के अलावा एमएससी करने वालों को इसी नियुक्ति में अयोग्य घोषित कर रहा है। एक ही नियुक्ति के लिए दो तरह के नियमों के चलते सैकड़ों बेरोजगार परेशान हो रहे हैं।
शिक्षा विभाग की डिमांड के आधार पर राजस्थान लोक सेवा आयोग ने साल 2018 में विज्ञापन जारी करते हुए करीब 280 एग्रीकल्चर स्कूल लेक्चरर के लिए आवेदन मांगे थे। इसकी योग्यता एग्रीकल्चर के किसी भी विषय में एमएससी होना था। बड़ी संख्या में लोगों ने आवेदन कर दिया। इसी आधार पर नियुक्ति हो गई। अभी तक कई पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया चल रही है। इसी बीच वर्ष 2021 में जब नियुक्ति के लिए विज्ञापन जारी हुआ तो शिक्षा विभाग ने सिर्फ तीन विषयों में एमएससी करने वाले युवाओं को ही अवसर दिया। राजस्थान लोक सेवा आयोग ने वर्ष 1970 में बने नियमों को हवाला देते हुए नियुक्ति देने से इनकार कर दिया।
पहली नियुक्ति में सभी विषय क्यों?
दरअसल, वर्ष 2018 की नियुक्ति के समय भी आरपीएससी ने शिक्षा विभाग से योग्यता के बारे में पूछा तो विभाग ने योग्यता निर्धारण के लिए एक कमेटी बना दी। जिसमें एग्रीकल्चर युनिवर्सिटी के प्रतिनिधि शामिल किए गए थे। इस कमेटी की सिफारिश के आधार पर सभी विषयों को मान्यता दी गई। इसी आधार पर आरपीएससी ने नियुक्ति दे दी।
अब आरपीएससी का अड़ंगा क्यों?
दरअसल, आरपीएससी का अड़ंगा भी वाजिब है। सरकार ने वर्ष 2021 में नियम बना दिया कि सिर्फ तीन विषयों के पोस्ट ग्रेजुएट ही शिक्षा विभाग में लेक्चरर बन सकते हैं। ऐसे में नई नियुक्ति जारी करते हुए इसी नियम का पालन किया गया।
वर्ष 1970 का नियम यथावत
दरअसल, शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने वर्ष 1970 के नियमों को ही कॉपी-पेस्ट कर दिया। नियमावली में जो योग्यता डाली गई थी, वो पचास साल पुरानी व्यवस्था ही रख दी गई। वर्ष 1970 में तीन विषयों में ही एमएससी होती थी, ऐसे में तीन विषयों के पोस्ट ग्रेजुएट ही पात्र थे। अब जब एक दर्जन से ज्यादा विषयों में एमएससी हो रही है तो सभी को पात्र मानना चाहिए था।
शिक्षा विभाग ने गलती भी सुधारी
शिक्षा विभाग ने बाद में आरपीएससी को लिखित में दिया कि सभी विषयों के पोस्ट ग्रेजुएट को इस भर्ती में पात्र माना जाए। इस पत्र को आरपीएससी ने तवज्जो नहीं दी। आरपीएससी का कहना है कि सिर्फ पत्र लिखने से पूर्व में सरकार की ओर से बने नियमों को नहीं बदला जा सकता। बेहतर होगा कि शिक्षा विभाग नियमों में ही परिवर्तन करावें। इसके लिए केबिनेट का अनुमोदन होना चाहिए। उसी का प्रोसेस अभी चल रहा है।
फाइलों में अटका नियम परिवर्तन
ऐसे में अब नियमों में परिवर्तन के लिए सचिवालय स्तर पर फाइल चल रही है। सामान्य प्रशासन विभाग, वित्त विभाग और कार्मिक विभाग में फाइल चल रही है। राज्य सरकार की प्राथमिकता नहीं होने के कारण ये फाइल पिछले एक साल से इधर से उधर चक्कर ही काट रही है। इस बीच आरपीएससी एग्जाम लेकर नियुक्ति जारी कर देगा तो तीन विषयों के अलावा किसी विषय में पीजी करने वाले स्टूडेंट्स हाथ मलते रह जाएंगे।
इन विषयों का है चक्कर
फिलहाल एग्रोनॉमी, हार्टिकल्चर और एनिमल हसबेंड्री में पीजी करने वाले युवा ही स्कूल लेक्चरर बन सकते हैं, जबकि इससे पहले साल 2018 में जारी विज्ञापन एग्रीकल्चर इकोनोमिक, जेनेटिक एंड प्लांट ब्लीडिंग, एग्रीकल्चर एक्सटेंशन, एग्रीकल्चर मिट्टी विज्ञान, एग्रीकल्चर मेट्रोलॉजी जैसे सभी विषयों में पीजी करने वाले युवाओं से आवेदन मांगे गए थे।
सरकार से उम्मीद
एग्रीकल्चर के बेरोजगार युवक पवन कुमार बिश्नोई का कहना है कि जब शिक्षा विभाग और आरपीएससी हमारी बात से सहमत है तो उन्हें नियमों में फेरबदल भी फटाफट करना चाहिए। ज्यादा लेटलतीफी हुई तो हम नियुक्ति से वंचित रह जाएंगे। बेरोजगारों की मांग है कि नियम संशोधन प्रक्रिया अतिशीघ्र पूर्ण हो । साल 2021 वाले नियम की दिनांक से ही नियम प्रभावी हो । साल 2022 वाली भर्ती में ये नियम लागू होने चाहिए।
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