24 May 2022 01:19 PM
जोग संजोग टाइम्स,
कुतुब मीनार में पूजा के अधिकार की याचिका पर दिल्ली के साकेत कोर्ट में सुनवाई चल रही है। हालांकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने कुतुब मीनार में पूजा के अधिकार वाली याचिका का विरोध किया है। साकेत कोर्ट में सोमवार को दाखिल किए हलफनामे में कहा कि कुतुब मीनार पूजा का स्थान नहीं है और इसकी मौजूदा स्थिति को बदला नहीं जा सकता।
दरअसल हिंदू पक्ष की दलील थी कि 27 मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है, जिसके अवशेष वहां मौजूद हैं। इसलिए वहां मंदिरों को दोबारा बनाए जाए। वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना है कि ASI ने कुव्व्त उल इस्लाम मस्जिद में नमाज बंद करवा दी है।
कुतुब मीनार केस अपडेट
ASI का जवाब- पूजा का अधिकार नहीं दे सकते
कोर्ट में दाखिल याचिका पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने अपना जवाब साकेत कोर्ट में दाखिल किया है। इसमें कहा गया है कि हिंदू पक्ष की याचिकाएं कानूनी तौर पर सही नहीं हैं। पुराने मंदिर को तोड़कर कुतुब मीनार परिसर बनाना ऐतिहासिक तथ्य का मामला है। कुतुब मीनार को 1914 से संरक्षित स्मारक का दर्जा मिला है। उसकी पहचान बदली नहीं जा सकती और न ही अब वहां पूजा की अनुमति दी जा सकती है। संरक्षित होने के समय से यहां कभी पूजा नहीं हुई है।
इमाम का आरोप ASI ने नमाज भी बंद करवा दी
इससे पहले ही मीनार की मस्जिद के इमाम शेर मोहम्मद ने आरोप लगाया है कि ASI ने 13 मई से नमाज पढ़ना भी बंद करवा दिया है। मीनार के मेन गेट के दाईं ओर बनी मुगलकालीन छोटी मस्जिद में नमाज होती थी। 2016 में यहां दोबारा नमाज शुरू हुई थी। शुरुआत में यहां 4-5 लोग नमाज पढ़ते थे, लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या 40 से 50 तक पहुंच गई थी।
कुतुब मीनार की खुदाई पर अभी कोई फैसला नहीं
संस्कृति सचिव गोविंद मोहन और ASI अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले हफ्ते साइट का दौरा किया। अधिकारियों ने कहा कि यह दौरा नियमित था। केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि कुतुब मीनार में खुदाई पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
यह है पूरा मामला मामला तब उठा जब यह कहा गया कि कुतुब मीनार परिसर में बनी कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद को एक मंदिर को तोड़कर बनाया गया था। हिंदू पक्ष ने 120 साल पुराने इसी मंदिर की बहाली की मांग की थी। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि 1198 में मुगल सम्राट कुतुब-दीन-ऐबक के शासन में लगभग 27 हिंदू और जैन मंदिरों को अपवित्र और क्षतिग्रस्त कर दिया गया था और उन मंदिरों के स्थान पर इस मस्जिद को बनाया गया था।
ASI के पूर्व रीजनल डायरेक्टर ने किया था दावा
ASI के पूर्व रीजनल डायरेक्टर धर्मवीर शर्मा ने दावा किया है कि कुतुब मीनार को कुतब-उद-दीन ऐबक ने नहीं बनवाया था। उन्होंने इसको लेकर 3 बड़े दावे किए थे। पहला कि कुतुब मीनार नहीं, सन टॉवर है। दूसरा कुतुब मीनार के टॉवर में 25 इंच का टिल्ट (झुकाव) है, क्योंकि यहां से सूर्य का अध्ययन किया जाता था। इसीलिए 21 जून को सूर्य आकाश में जगह बदल रहा था तब भी कुतुब मीनार की उस जगह पर आधे घंटे तक छाया नहीं पड़ी। यह विज्ञान है और एक पुरातात्विक साक्ष्य भी।
तीसरा कि लोग दावा करते हैं कि कुतुब मीनार एक स्वतंत्र इमारत है और इसका संबंध करीब की मस्जिद से नहीं है। दरअसल, इसके दरवाजे नॉर्थ फेसिंग हैं, ताकि इससे रात में ध्रुव तारा देखा जा सके।
जोग संजोग टाइम्स,
कुतुब मीनार में पूजा के अधिकार की याचिका पर दिल्ली के साकेत कोर्ट में सुनवाई चल रही है। हालांकि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने कुतुब मीनार में पूजा के अधिकार वाली याचिका का विरोध किया है। साकेत कोर्ट में सोमवार को दाखिल किए हलफनामे में कहा कि कुतुब मीनार पूजा का स्थान नहीं है और इसकी मौजूदा स्थिति को बदला नहीं जा सकता।
दरअसल हिंदू पक्ष की दलील थी कि 27 मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई है, जिसके अवशेष वहां मौजूद हैं। इसलिए वहां मंदिरों को दोबारा बनाए जाए। वहीं मुस्लिम पक्ष का कहना है कि ASI ने कुव्व्त उल इस्लाम मस्जिद में नमाज बंद करवा दी है।
कुतुब मीनार केस अपडेट
ASI का जवाब- पूजा का अधिकार नहीं दे सकते
कोर्ट में दाखिल याचिका पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने अपना जवाब साकेत कोर्ट में दाखिल किया है। इसमें कहा गया है कि हिंदू पक्ष की याचिकाएं कानूनी तौर पर सही नहीं हैं। पुराने मंदिर को तोड़कर कुतुब मीनार परिसर बनाना ऐतिहासिक तथ्य का मामला है। कुतुब मीनार को 1914 से संरक्षित स्मारक का दर्जा मिला है। उसकी पहचान बदली नहीं जा सकती और न ही अब वहां पूजा की अनुमति दी जा सकती है। संरक्षित होने के समय से यहां कभी पूजा नहीं हुई है।
इमाम का आरोप ASI ने नमाज भी बंद करवा दी
इससे पहले ही मीनार की मस्जिद के इमाम शेर मोहम्मद ने आरोप लगाया है कि ASI ने 13 मई से नमाज पढ़ना भी बंद करवा दिया है। मीनार के मेन गेट के दाईं ओर बनी मुगलकालीन छोटी मस्जिद में नमाज होती थी। 2016 में यहां दोबारा नमाज शुरू हुई थी। शुरुआत में यहां 4-5 लोग नमाज पढ़ते थे, लेकिन धीरे-धीरे इनकी संख्या 40 से 50 तक पहुंच गई थी।
कुतुब मीनार की खुदाई पर अभी कोई फैसला नहीं
संस्कृति सचिव गोविंद मोहन और ASI अधिकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले हफ्ते साइट का दौरा किया। अधिकारियों ने कहा कि यह दौरा नियमित था। केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि कुतुब मीनार में खुदाई पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है।
यह है पूरा मामला मामला तब उठा जब यह कहा गया कि कुतुब मीनार परिसर में बनी कुव्वत-उल-इस्लाम मस्जिद को एक मंदिर को तोड़कर बनाया गया था। हिंदू पक्ष ने 120 साल पुराने इसी मंदिर की बहाली की मांग की थी। याचिका में यह भी आरोप लगाया गया है कि 1198 में मुगल सम्राट कुतुब-दीन-ऐबक के शासन में लगभग 27 हिंदू और जैन मंदिरों को अपवित्र और क्षतिग्रस्त कर दिया गया था और उन मंदिरों के स्थान पर इस मस्जिद को बनाया गया था।
ASI के पूर्व रीजनल डायरेक्टर ने किया था दावा
ASI के पूर्व रीजनल डायरेक्टर धर्मवीर शर्मा ने दावा किया है कि कुतुब मीनार को कुतब-उद-दीन ऐबक ने नहीं बनवाया था। उन्होंने इसको लेकर 3 बड़े दावे किए थे। पहला कि कुतुब मीनार नहीं, सन टॉवर है। दूसरा कुतुब मीनार के टॉवर में 25 इंच का टिल्ट (झुकाव) है, क्योंकि यहां से सूर्य का अध्ययन किया जाता था। इसीलिए 21 जून को सूर्य आकाश में जगह बदल रहा था तब भी कुतुब मीनार की उस जगह पर आधे घंटे तक छाया नहीं पड़ी। यह विज्ञान है और एक पुरातात्विक साक्ष्य भी।
तीसरा कि लोग दावा करते हैं कि कुतुब मीनार एक स्वतंत्र इमारत है और इसका संबंध करीब की मस्जिद से नहीं है। दरअसल, इसके दरवाजे नॉर्थ फेसिंग हैं, ताकि इससे रात में ध्रुव तारा देखा जा सके।
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07 June 2021 10:52 PM
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