08 September 2022 02:05 PM
जोग संजोग टाइम्स,
राजस्थान समेत कई राज्यों में लंपी बीमारी कहर बरपा रही है। गोवंश में फैले इस वायरस की तुलना इंसानों के लिए जानलेवा रहे कोरोना वायरस से की जा रही है। राजस्थान और गुजरात में तो इस बीमारी के कारण हजारों की संख्या में गोवंश की मौत हो चुकी है।
हालात यह हैं कि संख्या अधिक होने के कारण गोवंश को दफनाने के बजाय खुले में फेंका जा रहा है। इससे रिहायशी इलाकों में बदूब फैल रही है। इंसानों के लिए नई बीमारी का खतरा पैदा हो रहा है। राजस्थान के करीब दस जिलों में लंपी कहर ढा रही है। राजस्थान में बीते करीब एक माह में 50 हजार से ज्यादा गोवंश की मौत हुई है।
बीकानेर में हर रोज 300 गायें मर रहीं
जोधपुर, जालोर, पाली और बीकानेर में हालात सबसे अधिक खराब हैं। बीकानेर में तो हालात इन दिनों भयावह हैं। शहर के आसपास के इलाकों में हर दिन करीब 300 गाेवंश की मौत हो रही है। वहीं, प्रशासन और स्थानीय लोग गायों और दूसरे मरे जानवरों को शहर से ही करीब दस किलोमीटर दूर जोड़बीड़ के खुले डंपिंग यार्ड में फेंक रहे हैं।
बीकानेर शहर में गायों के शव उठाने का जिम्मा नगर निगम के पास है। निगम के अनुसार गायों को जोड़बीड़ एरिया में ही फेंका जा रहा है।
जोड़बीड़ का यह इलाका जानवरों के डंपिंग यार्ड के लिए ही चिह्नित है। ये पूरा एरिया गिद्धों के लिए जाना जाता है। यहां पहले भी मरे ऊंटों और जानवरों को गिद्धों के लिए डाला जाता रहा है, लेकिन इस बार जानवरों की संख्या अधिक है। इससे यहां चारों ओर गोवंश की लाशें फैल गई हैं और गिद्धों की संख्या फिलहाल यहां कम होने से शव सड़ रहे हैं।
बदबू ऐसी है कि 5 किलोमीटर तक ठहरना मुश्किल है। इस एरिया के आसपास के गढ़वाल, सुरधना, किलचू, आंबासर, नैनो का बास, गीगासर की 50 हजार की आबादी बदबू से काफी परेशान है। वहीं, लूणकरनसर (बीकानेर) में नेशनल हाईवे से कुछ दूरी पर ही गायों की लाशें बिखरी हुई देखी जा सकती हैं। ऐसे ही हालात महाजन, अरजनसर, खाजूवाला, छत्तरगढ़ के आसपास हैं।
जोग संजोग टाइम्स,
राजस्थान समेत कई राज्यों में लंपी बीमारी कहर बरपा रही है। गोवंश में फैले इस वायरस की तुलना इंसानों के लिए जानलेवा रहे कोरोना वायरस से की जा रही है। राजस्थान और गुजरात में तो इस बीमारी के कारण हजारों की संख्या में गोवंश की मौत हो चुकी है।
हालात यह हैं कि संख्या अधिक होने के कारण गोवंश को दफनाने के बजाय खुले में फेंका जा रहा है। इससे रिहायशी इलाकों में बदूब फैल रही है। इंसानों के लिए नई बीमारी का खतरा पैदा हो रहा है। राजस्थान के करीब दस जिलों में लंपी कहर ढा रही है। राजस्थान में बीते करीब एक माह में 50 हजार से ज्यादा गोवंश की मौत हुई है।
बीकानेर में हर रोज 300 गायें मर रहीं
जोधपुर, जालोर, पाली और बीकानेर में हालात सबसे अधिक खराब हैं। बीकानेर में तो हालात इन दिनों भयावह हैं। शहर के आसपास के इलाकों में हर दिन करीब 300 गाेवंश की मौत हो रही है। वहीं, प्रशासन और स्थानीय लोग गायों और दूसरे मरे जानवरों को शहर से ही करीब दस किलोमीटर दूर जोड़बीड़ के खुले डंपिंग यार्ड में फेंक रहे हैं।
बीकानेर शहर में गायों के शव उठाने का जिम्मा नगर निगम के पास है। निगम के अनुसार गायों को जोड़बीड़ एरिया में ही फेंका जा रहा है।
जोड़बीड़ का यह इलाका जानवरों के डंपिंग यार्ड के लिए ही चिह्नित है। ये पूरा एरिया गिद्धों के लिए जाना जाता है। यहां पहले भी मरे ऊंटों और जानवरों को गिद्धों के लिए डाला जाता रहा है, लेकिन इस बार जानवरों की संख्या अधिक है। इससे यहां चारों ओर गोवंश की लाशें फैल गई हैं और गिद्धों की संख्या फिलहाल यहां कम होने से शव सड़ रहे हैं।
बदबू ऐसी है कि 5 किलोमीटर तक ठहरना मुश्किल है। इस एरिया के आसपास के गढ़वाल, सुरधना, किलचू, आंबासर, नैनो का बास, गीगासर की 50 हजार की आबादी बदबू से काफी परेशान है। वहीं, लूणकरनसर (बीकानेर) में नेशनल हाईवे से कुछ दूरी पर ही गायों की लाशें बिखरी हुई देखी जा सकती हैं। ऐसे ही हालात महाजन, अरजनसर, खाजूवाला, छत्तरगढ़ के आसपास हैं।
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