09 February 2023 01:33 PM
बॉर्डर एरिया में सेना के लिए बनी सड़क तक को जिप्सम माफिया निगल गए। बज्जू से लेकर खाजूवाला तक बॉर्डर एरिया के सड़कों बुरे हाल हैं। लेकिन डीएमएफटी के तहत 123 करोड़ के प्रस्ताव में से बॉर्डर की सड़कों के लिए एक भी पैसा मंजूर नहीं है।
बॉर्डर एरिया में जिप्सम का वैध और अवैध खनन सेना और बीएसएफ के लिए सबसे बड़ी परेशानी बना हुआ है। बीएसएफ की सांचू, कावेरी, सुमेर, मारुती सहित आस-पास की सीका चौकियों का रास्ता रणजीतपुरा से जाता है। यहां करीब 40 किलोमीटर से ज्यादा यह मार्ग पूरी तरह से टूटा पड़ा है। हालात ये है कि राववाला से लेकर खाजूवाला तक दंतौर, बल्लर आदि क्षेत्र की 253 किलोमीटर लंबी सड़कें क्षतिग्रस्त पड़ी हैं। पत्थर निकले हुए हैं। गाड़ियां 10-20 की गति से ज्यादा नहीं चल पाती। बॉर्डर एरिया में दो किलोमीटर पर रात्रिकालीन कर्फ्यू रहता है। एक किलोमीटर में खनन पर रोक है। जिसे बढ़ाकर अब बीएसएफ ने दो किमी कर दिया है। बीएसएफ की गाड़ियां पेट्रोलिंग करती हैं, लेकिन सड़क टूटी होने के कारण काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। इसके अलावा युद्धाभ्यास के दौरान सेना की आवाजाही भी रहती है। पिछले पांच साल से इस सड़क का यही हाल है। सड़क की मरम्मत के लिए बीएसएफ बीकानेर सेक्टर के डीआईजी मुख्य सचिव तक पत्र लिख चुके, लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हुआ। जिप्सम की गाड़ियों के कारण दिन भर धूल उड़ती रहती है। सड़कें टूटने के बाद माफियाओं ने कच्चे रास्ते बना डाले हैं। कबरेवाला में नहर के पड़े पर गाड़ियां चल रही हैं, जिससे नहर को भी खतरा हो गया है।
डीएमएफटी से 53 करोड़ खर्च पर बॉर्डर की सड़कों के लिए कुछ नहीं दिया
डीएमएफटी यानी राजस्थान डिस्ट्रिक्ट माइन्स एंड मिनरल्स फाउंडेशन ट्रस्ट के तहत खनन प्रभावित क्षेत्र एवं जनहित के कार्यों के लिए धनराशि खर्च की जाती है। इसके लिए 123 करोड़ के प्रस्ताव तैयार किए गए थे, जिसमें से 53 करोड़ की स्वीकृतियां जारी की गई हैं। इसमें साढ़े सात करोड़ रुपए शहर की सड़कों के लिए भी हैं, जबकि बॉर्डर पर टूटी हुई 253 किलोमीटर लंबी सड़कों के लिए एक भी पैसा मंजूर नहीं किया गया है।
डीएमएफटी में रॉयल्टी का 10 प्रतिशत डेवलपमेंट पर खर्च होता है। इसमें सड़क की मरम्मत प्राथमिकता में शामिल नहीं है। टोप प्रायरटी के काम कराए जाते हैं। बॉर्डर एरिया के लिए सौ करोड़ चाहिए, जो संभव नहीं है। इसके लिए सरकार को अलग से बजट देना होगा। -राजेंद्र सिंह बलारा, माइनिंग इंजीनियर, खनन विभाग
किसान बोले-माफियाओं की गाड़ियों पर लगे अंकुश, सड़कें जल्द बनें
जिप्सम माफियाओं की गाड़ियों पर अंकुश लगना चाहिए जो ओवर लोड गाड़ियों पर पूर्ण रोक लगे तथा टूटी हुई सड़के जल्दी नई बननी चाहिए। -डूंगरराम कासनिया, निवासी, 142 आरडी बरसलपुर ब्रांच
कई जगह कई सालों से सड़कें नही बनी है। बाॅर्डर एरिया में बीएसएफ और सेना की आवाहाजी रहती है। इसलिए सड़कें नई बननी चाहिए। - मांगीलाल सुथार, निवासी, रणजीतपूरा
इन चकों में 253 किमी सड़कें क्षतिग्रस्त
बॉर्डर एरिया में सेना के लिए बनी सड़क तक को जिप्सम माफिया निगल गए। बज्जू से लेकर खाजूवाला तक बॉर्डर एरिया के सड़कों बुरे हाल हैं। लेकिन डीएमएफटी के तहत 123 करोड़ के प्रस्ताव में से बॉर्डर की सड़कों के लिए एक भी पैसा मंजूर नहीं है।
बॉर्डर एरिया में जिप्सम का वैध और अवैध खनन सेना और बीएसएफ के लिए सबसे बड़ी परेशानी बना हुआ है। बीएसएफ की सांचू, कावेरी, सुमेर, मारुती सहित आस-पास की सीका चौकियों का रास्ता रणजीतपुरा से जाता है। यहां करीब 40 किलोमीटर से ज्यादा यह मार्ग पूरी तरह से टूटा पड़ा है। हालात ये है कि राववाला से लेकर खाजूवाला तक दंतौर, बल्लर आदि क्षेत्र की 253 किलोमीटर लंबी सड़कें क्षतिग्रस्त पड़ी हैं। पत्थर निकले हुए हैं। गाड़ियां 10-20 की गति से ज्यादा नहीं चल पाती। बॉर्डर एरिया में दो किलोमीटर पर रात्रिकालीन कर्फ्यू रहता है। एक किलोमीटर में खनन पर रोक है। जिसे बढ़ाकर अब बीएसएफ ने दो किमी कर दिया है। बीएसएफ की गाड़ियां पेट्रोलिंग करती हैं, लेकिन सड़क टूटी होने के कारण काफी परेशानी झेलनी पड़ती है। इसके अलावा युद्धाभ्यास के दौरान सेना की आवाजाही भी रहती है। पिछले पांच साल से इस सड़क का यही हाल है। सड़क की मरम्मत के लिए बीएसएफ बीकानेर सेक्टर के डीआईजी मुख्य सचिव तक पत्र लिख चुके, लेकिन अब तक काम शुरू नहीं हुआ। जिप्सम की गाड़ियों के कारण दिन भर धूल उड़ती रहती है। सड़कें टूटने के बाद माफियाओं ने कच्चे रास्ते बना डाले हैं। कबरेवाला में नहर के पड़े पर गाड़ियां चल रही हैं, जिससे नहर को भी खतरा हो गया है।
डीएमएफटी से 53 करोड़ खर्च पर बॉर्डर की सड़कों के लिए कुछ नहीं दिया
डीएमएफटी यानी राजस्थान डिस्ट्रिक्ट माइन्स एंड मिनरल्स फाउंडेशन ट्रस्ट के तहत खनन प्रभावित क्षेत्र एवं जनहित के कार्यों के लिए धनराशि खर्च की जाती है। इसके लिए 123 करोड़ के प्रस्ताव तैयार किए गए थे, जिसमें से 53 करोड़ की स्वीकृतियां जारी की गई हैं। इसमें साढ़े सात करोड़ रुपए शहर की सड़कों के लिए भी हैं, जबकि बॉर्डर पर टूटी हुई 253 किलोमीटर लंबी सड़कों के लिए एक भी पैसा मंजूर नहीं किया गया है।
डीएमएफटी में रॉयल्टी का 10 प्रतिशत डेवलपमेंट पर खर्च होता है। इसमें सड़क की मरम्मत प्राथमिकता में शामिल नहीं है। टोप प्रायरटी के काम कराए जाते हैं। बॉर्डर एरिया के लिए सौ करोड़ चाहिए, जो संभव नहीं है। इसके लिए सरकार को अलग से बजट देना होगा। -राजेंद्र सिंह बलारा, माइनिंग इंजीनियर, खनन विभाग
किसान बोले-माफियाओं की गाड़ियों पर लगे अंकुश, सड़कें जल्द बनें
जिप्सम माफियाओं की गाड़ियों पर अंकुश लगना चाहिए जो ओवर लोड गाड़ियों पर पूर्ण रोक लगे तथा टूटी हुई सड़के जल्दी नई बननी चाहिए। -डूंगरराम कासनिया, निवासी, 142 आरडी बरसलपुर ब्रांच
कई जगह कई सालों से सड़कें नही बनी है। बाॅर्डर एरिया में बीएसएफ और सेना की आवाहाजी रहती है। इसलिए सड़कें नई बननी चाहिए। - मांगीलाल सुथार, निवासी, रणजीतपूरा
इन चकों में 253 किमी सड़कें क्षतिग्रस्त
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