23 March 2022 12:45 PM
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर
मिली जानकारी के अनुसार अब इसे क्या कहें ?भारत अपने संस्कार भूलता जा रहा है, बुजुर्ग और वृद्ध माता-पिता का हमेशा सम्मान करने के लिए प्रसिद्ध भारत में बड़ी संख्या में वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा हो रही है। उनका परित्याग कर उन्हें वृद्धाश्रम तक पहुंचाया जा रहा है। जबकि वरिष्ठ नागरिकों को जिंदगी के इस पड़ाव में भी संविधान के अनुच्छेद२१ में प्रदत्त गरिमा और सम्मान के साथ जीने का अधिकार है, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। आज भले ही भारत को युवाओं का भारत कहा जाता है , परन्तु इस समय देश का प्रत्येक १२ वां व्यक्ति वरिष्ठ नागरिक है। मोटे अनुमान के अनुसार भारत में वरिष्ठ नागरिकों की आबादी करीब १५ करोड़ है निकट भविष्य में और वृद्धि होगी । ऐसी स्थिति में इस श्रेणी में आने वाले देश के वरिष्ठ नागरिको के लिए बेहतर सुविधाओं की आवश्यकता है।
कितनी विसंगति है बुजुर्ग और वृद्ध माता-पिता का हमेशा सम्मान करने के लिए प्रसिद्ध हमारे भारत में ही अब बड़ी संख्या में वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा हो रही है। उनका परित्याग कर उन्हें वृद्धाश्रम तक पहुंचाया जा रहा है। कोई ऐसा कस्बा शेष नहीं है, जहाँ वृद्धाश्रम जैसी गतिविधि नहीं चल रही हो , कहीं ये वृद्ध आश्रम ठीक चल रहे हैं तो कहीं इनकी दशा दयनीय है | वरिष्ठ नागरिकों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के मामले में देश की न्यायपालिका भी हस्तक्षेप कर चुकी है। उसने इस वर्ग के लोगों के लिए विशेष योजना तैयार करने और पहले से मौजूद वृद्धावस्था नीति का सख्ती से पालन करने के निर्देश भी दे रखे हैं, परन्तु राज्य और केंद्र सरकार की प्राथमिकता सूची में वृद्ध कल्याण निचले पायदान पर है । कहने को भारत में वृद्धावस्था नीति भी बनाई गई है परंतु इस पर पूरी गंभीरता से अमल नहीं हो रहा है। परिणाम ६० साल की उम्र का पड़ाव लांघ चुके अनेक वरिष्ठ नागरिकों को आये-दिन तरह-तरह से अपमानित और उपेक्षित होने का अनुभव होता है।
जोग संजोग टाइम्स बीकानेर
मिली जानकारी के अनुसार अब इसे क्या कहें ?भारत अपने संस्कार भूलता जा रहा है, बुजुर्ग और वृद्ध माता-पिता का हमेशा सम्मान करने के लिए प्रसिद्ध भारत में बड़ी संख्या में वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा हो रही है। उनका परित्याग कर उन्हें वृद्धाश्रम तक पहुंचाया जा रहा है। जबकि वरिष्ठ नागरिकों को जिंदगी के इस पड़ाव में भी संविधान के अनुच्छेद२१ में प्रदत्त गरिमा और सम्मान के साथ जीने का अधिकार है, लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। आज भले ही भारत को युवाओं का भारत कहा जाता है , परन्तु इस समय देश का प्रत्येक १२ वां व्यक्ति वरिष्ठ नागरिक है। मोटे अनुमान के अनुसार भारत में वरिष्ठ नागरिकों की आबादी करीब १५ करोड़ है निकट भविष्य में और वृद्धि होगी । ऐसी स्थिति में इस श्रेणी में आने वाले देश के वरिष्ठ नागरिको के लिए बेहतर सुविधाओं की आवश्यकता है।
कितनी विसंगति है बुजुर्ग और वृद्ध माता-पिता का हमेशा सम्मान करने के लिए प्रसिद्ध हमारे भारत में ही अब बड़ी संख्या में वरिष्ठ नागरिकों की उपेक्षा हो रही है। उनका परित्याग कर उन्हें वृद्धाश्रम तक पहुंचाया जा रहा है। कोई ऐसा कस्बा शेष नहीं है, जहाँ वृद्धाश्रम जैसी गतिविधि नहीं चल रही हो , कहीं ये वृद्ध आश्रम ठीक चल रहे हैं तो कहीं इनकी दशा दयनीय है | वरिष्ठ नागरिकों को बेहतर सुविधाएं उपलब्ध कराने के मामले में देश की न्यायपालिका भी हस्तक्षेप कर चुकी है। उसने इस वर्ग के लोगों के लिए विशेष योजना तैयार करने और पहले से मौजूद वृद्धावस्था नीति का सख्ती से पालन करने के निर्देश भी दे रखे हैं, परन्तु राज्य और केंद्र सरकार की प्राथमिकता सूची में वृद्ध कल्याण निचले पायदान पर है । कहने को भारत में वृद्धावस्था नीति भी बनाई गई है परंतु इस पर पूरी गंभीरता से अमल नहीं हो रहा है। परिणाम ६० साल की उम्र का पड़ाव लांघ चुके अनेक वरिष्ठ नागरिकों को आये-दिन तरह-तरह से अपमानित और उपेक्षित होने का अनुभव होता है।
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